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जानिए कौन है नीरजा भनोट, जिन्होंने आतंकियों से की देशवासियों की रक्षा

Tara Tandi
12 July 2022 9:28 AM GMT
जानिए कौन है नीरजा भनोट, जिन्होंने आतंकियों से की देशवासियों की रक्षा
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देश की सीमा की सुरक्षा करने के लिए आज भारतीय रक्षा मंत्रालय में कई महिला अधिकारी हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश की सीमा की सुरक्षा करने के लिए आज भारतीय रक्षा मंत्रालय में कई महिला अधिकारी हैं, जो भारतीय वायुसेना, जल सेना और थल सेना में कार्यरत हैं। ये महिला अधिकारी भारत की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण लेती हैं। खुद के जीवन को देश के लिए कुर्बान करने से भी पीछे नहीं हटती। इसी तरह देश के अंदरूनी विवादों और समस्याओं से भारतवासियों की रक्षा के लिए महिला पुलिस अधिकारी, डॉक्टर और नर्स होती हैं। लेकिन एक ऐसी महिला जो भारतीय रक्षा मंत्रालय में शामिल नहीं थी, न ही उन्होंने कोई ट्रेनिंग ली थी, पर जब देशवासियों की रक्षा का मौका आया तो आतंकवादियों के सामने डटकर एक खड़ी हुईं और खुद की जान दांव पर लगाकर 360 लाख लोगों की जान बचाई। ये नीरजा भनोट की शहादत की कहानी है। नीरजा भनोट पर फिल्म भी बन चुकी है, जिसमें उनके किरदार को सोनम कपूर ने पर्दे पर उतारा था। नीरजा भनोट की शहादत की कहानी हर किसी में देशभक्ति का संचार कर देगी। चलिए जानते हैं कौन है नीरजा भनोट, जिन्होंने आतंकियों से की देशवासियों की रक्षा।

नीरजा भनोट का जीवन परिचय
नीरजा भनोट इतिहास के पन्नों में दर्ज वह नाम है, जिनके साहस की कहानी पूरी दुनिया में मशहूर है। नीरजा भनोट अशोक चक्र से सम्मानित पहली महिला हैं। उन्होंने आतंकियों से सैकड़ों लोगों की जान बचाई थी। नीरजा भनोट का जन्म एक पंजाबी परिवार में 5 सितंबर 1963 को हुआ था। उनका बचपन चंडीगढ़ में बीता। चंडीगढ़ के सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकंडरी स्कूल से शुरुआत पढ़ाई के बाद वह पूरे परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गईं। मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से नीरजा ने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
नीरजा भनोट का करियर
कम उम्र से ही नीरजा खुले विचारों और स्वतंत्र स्वभाव की महिला थीं। एक बार वह अपने भाईयों के साथ स्कूटर से कहीं जा रही थीं, वहीं सड़क के किनारे एक दंपति आपस में झगड़ रहे थे। वह उन्हें रोकने लगीं तो उनके भाईयों ने इस बात पर उन्हें टोका तो 17 साल की नीरजा ने कहा कि उन्हें दबाव वाली जिंदगी स्वीकार नहीं। उन्हें मॉडलिंग का शौक था। शादी के बाद पति से अलग होने के बाद नीरजा ने मुंबई में मॉडलिंग में अपने करियर की शुरुआत की थी। वहीं एक एयरलाइंस में एयर होस्टेस की नौकरी भी करती थीं।
प्लेन हाईजैक के दौरान नीरजा ने बचाई लोगों की जान
साल 1986 में कराची में एक विमान उड़ान भरने के लिए पायलट का इंतजार में था, लेकिन अचानक चार आतंकवादियों में पूरे विमान को हाईजैक करते हुए सभी यात्रियों को गन प्वाइंट पर ले लिया। आतंकी बड़ा हमला करने के लिए विमान का अपहरण करने वाले थे और उन्होंने पायलट की मांग की थी। पर रात के अंधेरे में नीरजा ने अपनी सूझबूझ से विमान का दरवाजा खोल दिया और सभी यात्रियों की जान बचाई। हालांकि इस दौरान आतंकियों ने फायरिंग कर दी और नीरजा शहीद हो गईं।
विमान में 360 लोग थे, जिन्हें नीरजा ने अपना जान की बाजी लगाकर बचाया था। भारत की पहली ऐसी महिला थीं, जिन्हें अशोक चक्र दिया गया। उनकी बहादुरी के लिए तमगा ए इंसानियत का खिताब भी दिया गया। उनके जीवन को फिल्मी पर्दे पर उतारा गया।
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