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जानिए किन राज्यों में दिवाली पर मां लक्ष्मी के बजाय इन देवी की होती है पूजा,और क्यों होता है ऐसा

Kajal Dubey
13 Nov 2020 2:10 PM GMT
जानिए किन राज्यों में दिवाली पर मां लक्ष्मी के बजाय इन देवी की होती है पूजा,और क्यों होता है ऐसा
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दिवाली का पावन पर्व (Diwali Festival) 14 नवंबर यानी शनिवार को धूमधाम से मनाया जाएगा.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दिवाली का पावन पर्व (Diwali Festival) 14 नवंबर यानी शनिवार को धूमधाम से मनाया जाएगा. इस पवित्र त्योहार पर मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन घर में मां लक्ष्मी की पूजा करने से खुशहाली और धन-समृद्धि बनी रहती है. लेकिन दिवाली के दिन कुछ राज्यों में मां लक्ष्मी की पूजा नहीं की जाती है.

दिवाली एक ऐसा त्योहार (Festival) है, जिसके साथ कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. उत्तर भारत में दिवाली पर हर कोई मां लक्ष्मी की पूजा करता है. वहीं, कुछ राज्यों में मां लक्ष्मी के बजाय महाकाली की पूजा की जाती है. पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पूर्वोतर राज्यों में दिवाली के पांचों दिन मां काली की उपासना की जाती है.

इन राज्यों में दिवाली पर मां लक्ष्मी के बजाय मां महाकाली की पूजा करने के पीछे क्या कारण है, ये आज हम आपको विस्तार से बताएंगे.

महाकाली की पूजा की वजह

शास्त्रों के अनुसार, प्राचीन समय में महाकाली और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें महाकाली ने सभी राक्षसों का वध किया था. हालांकि, राक्षसों के विनाश के बाद भी महाकाली का क्रोध शांत नहीं हो रहा था. महाकाली को मां लक्ष्मी का ही अवतार माना गया है. इसलिए कहीं पर उनके शांत रूप मां लक्ष्मी को तो कहीं पर रौद्र रूप महाकाली को पूजा जाता है.

शास्त्रों के अनुसार, दिवाली वाले दिन ही महाकाली का जन्म हुआ था. इसलिए खासतौर पर पश्चिम बंगाल में महाकाली की पूजा की जाती है.

महाकाली की पूजा का महत्व

पुराणों में बताया गया है कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी ने महाकाली का रौद्र रूप रूप धारण कर राक्षसों का वध किया था. कहा जाता है कि दिवाली के दिन मां महाकाली की पूजा करने से सुख की प्राप्ति होती है और दुखों से छुटकारा मिलता है. साथ ही महाकाली की पूजा करने से राहु और केतु की दशा-दिशा भी मजबूत होती है.

महाकाली की पूजा का तरीका

मां महाकाली की पूजा दो तरीकों से की जाती है. एक तरीका सामान्य है तो दूसरा तंत्र साधना. सामान्य तरीके से की जाने वाली पूजा आसान होती है. इसके लिए महाकाली को विशेष रूप से 108 गुड़हल के फूल, 108 बेल पत्र एवं माला, 108 मिट्टी के दीए और 108 दूर्वा चढ़ाएं.

इसके साथ ही फल, मिठाई, खिचड़ी, खीर और तली हुई सब्जी का भोग भी महाकाली को लगाया जाता है. पूजा की विधि में सुबह से व्रत रखा जाता है और रात में भोग, पुष्प के साथ हवन किया जाता है

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