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एक मां होना छोटी और मामूली बात नहीं है. मां होना एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है. यह हर महिला जानती है. वह अपनी ओर से उन ज़िम्मेदारियों को निभाने की पूरी और ईमानदार कोशिश करती है. हमें पूरा विश्वास है कि आप भी ऐसा ही करती होंगी. बावजूद इसके अगर आप अक्सर ख़ुद को यह कहती रहती हैं,‘मैं एक बुरी मां हूं’, ‘मैं कोई भी काम ठीक तरह से नहीं कर सकती,’ तो एक बार दोबारा अपने बारे में सोचने की ज़रूरत है. आप एक काम करें, थोड़ा ठहरें, एक क़दम पीछे लें और अपने मन में घर कर चुकीं इन नकारात्मक भावनाओं को स्टेप बाय स्टेब बाहर निकालें. यक़ीन मानिए, ऐसा करने के बाद आपको यह एहसास होगा कि आप बुरी मां नहीं हैं.
अपनी अपेक्षाओं को रीसेट करें
हम ख़ुद से तभी हताश और निराश होते हैं, जब हम अपनी अपेक्षाओं की सूची वास्तविकता के दायरे के बाहर जाकर बनाने लगते हैं. तो बतौर मां आपकी आपसे जो अपेक्षाएं हैं, वह चेक कीजिए. आप पाएंगी कि आपने एक दिन में बच्चे के लिए किए जाने वाले कामों की सूची को इतनी लंबी बना रखी है, जितना एक इंसान कर ही नहीं सकता. माना आप मां हैं, बच्चे को सबसे बेस्ट देना चाहती हैं, पर यह भी न भूलें कि आप एक इंसान भी हैं. आपके पास अपने लिए, बच्चे के लिए एक दिन में सिर्फ़ चौबीस घंटे ही होते हैं. तो सबसे पहले अपनी अपेक्षाओं की सूची पर काम कीजिए और उसे रीसेट कीजिए. जब आप अपने सारे काम करना शुरू कर देंगी तो यह ख़्याल दिल से निकलने लगेगा कि आप एक बुरी मां हैं या बच्चे के लिए उतना नहीं कर पातीं, जितना करना चाहिए था.
ख़ुद की तुलना, दूसरी परफ़ेक्ट मांओं से भूलकर भी न करें
अच्छा या बुरा होने वाली भावना तभी आती है, जब हम चीज़ों की तुलना करना शुरू कर देते हैं. अगर आप दूसरी मांओं से अपनी तुलना करने लगेंगी तो इस बात की हंड्रेड परसेंट संभावना है कि आप ख़ुद को अच्छी या बुरी मां के तौर पर देखेंगी. पर यह इंसानी फ़ितरत है कि वह दूसरों से कहीं न कहीं ख़ुद को कमतर ही समझता है. तो इस बात की ज़्यादा संभावना है कि आप ख़ुद को बुरी मां समझेंगी. तो अगर आप ख़ुद को सोशल मीडिया पर मौजूद तमाम तथाकथित परफ़ेक्ट मांओं से कंपेयर करना जारी रखेंगी तो ख़ुद को अवसाद के गहरे गर्त में जाने के लिए तैयार रखिए. उम्मीद है आप समझ गई होंगी कि आप एक अच्छी मां हैं, परफ़ेक्ट बनने की कोशिश मत ही कीजिए.
सुनिए, मदद मांगकर आप बुरी मां नहीं बन जाएंगी
महिलाएं, ख़ासकर मांएं बच्चों की परवरिश के मामले में मदद मांगने को पता नहीं क्यों गुनाह मांगती हैं. ज़्यादातर मांओं को लगता है कि बच्चा उनकी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है. है, पर इस ज़िम्मेदारी को निभाने में किसी की सहायता ज़रूरी हो तो बेझिझक मांगिए. इससे यह साबित नहीं होता कि आप बच्चे की परवरिश करने लायक़ नहीं हैं, बल्कि इससे यह पता चलता है कि आप बच्चे की सही परवरिश के लिए कितनी सजग हैं. आप अपने काम और बच्चे के लालन-पालन की ज़िम्मेदारी को स्मार्ट तरीक़े से हैंडल करना जानती हैं. आप बच्चे की कुछ ज़िम्मेदारियां अपने जीवनसाथी पर भी डाल सकती हैं. अगर वे बहुत ज़्यादा व्यस्त हों तो आप दोनों मिलकर किसी फ़ुल टाइम हेल्प की मदद ले सकते हैं. सच में, ऐसा करके आप बुरी मां क़तई नहीं बनने जा रहीं. बच्चे को एक चिड़चिड़ाती हुई मां के साथ ज़्यादा टाइम बिताने के बजाय, एक हंसती-मुस्कुराती और एनर्जेटिक मां के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताना ज़्यादा रास आएगा.
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