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जानिए कब और क्यों डॉक्टर देते हैं सिजेरियन डिलीवरी की सलाह
जानिए कब और क्यों डॉक्टर देते हैं सिजेरियन डिलीवरी की सलाह
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गर्भावस्था जितनी सामान्य और सहज प्रक्रिया है, उतनी ही सहज प्रक्रिया है प्रसव भी। तेजी से बदलती जीवनशैली और आदतों ने प्रसव की प्राकृतिक और सहज प्रकिया पर भी असर डाला है। यही कारण है कि आजकल ज्यादातर महिलाएं सीजेरियन या सी सेक्शन या ऑपरेशन के जरिए शिशु को जन्म देती हैं। आज से एक पीढ़ी पहले तक की महिलाओं के लिए सिजेरियन का मतलब खराब हुआ करता था और नॉर्मल या वैजाइनल डिलीवरी ही बच्चे को जन्म देने के एकमात्र तरीके के रूप में स्वीकार की जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। समय, परिस्थितियों व अन्य कई कारणों से डॉक्टर सिजेरियन का निर्णय लेते हैं। वहीं कई बार गर्भवती खुद भी पीड़ा से जल्द बाहर निकलने के लिए सिजेरियन को आसान विकल्प मानती हैं। उन डॉक्टर्स का प्रतिशत भी कम नहीं है जो पैसे के लालच में सामान्य प्रसव को भी सिजेरियन में बदल डालते हैं। द इंटरनेशनल सीजेरियन अवेयरनेस नेटवर्क (आईसीएएन) द्वारा हर वर्ष अप्रैल माह को "इंटरनेशनल सिजेरियन अवेयरनेस मन्थ" के रूप में मनाया जाता है। ये प्रयास है लोगों को सिजेरियन डिलीवरी को लेकर जागरूक बनाने का और बेवजह सिजेरियन डिलीवरी से बचाव करने का। आइए जानें क्या वाकई सिजेरियन डिलीवरी खराब होती है? क्या इससे मां का शरीर हमेशा के लिए मुश्किलों का शिकार हो जाता है?