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जानिए नवजात को पीलिया होने पर इसका उपचार कब और कैसे करना चाहिए

Teja
23 Jun 2022 8:30 AM GMT
जानिए नवजात को पीलिया होने पर इसका उपचार कब और कैसे करना चाहिए
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जनता से रिश्ता वेव डेस्क :-लिवर कमजोर होने पर कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं, पीलिया या जॉन्डिस भी लिवर की एक बीमारी है जिसमें पीड़ित की आंखें और शरीर की त्वचा ढीली पड़ जाती है. ज्यादातर पीलिया नवजात शिशु और छोटे बच्चों में नजर आता है. कुछ बच्चे तो जन्म से ही पीलिया ग्रसित होते हैं. लेकिन इसमें घबराने की कोई बात नहीं होती है, क्योंकि जन्म के एक से दो सप्ताह के भीतर बच्चे खुद- ब-खुद ठीक हो जाते हैं. नवजात बच्चों में पीलिया एक आम बात है. विशेषज्ञ और डॉक्टर्स के अनुसार 20 में से लगभग 16 नवजात बच्चों को ये बीमारी होती है और केवल कुछ बच्चों को ही इसके इलाज की आवश्यकता पड़ती है. पीलिया होते ही शरीर पर साफ दिखाई देना शुरू हो जाता है,इसका पहला लक्षण होता है शरीर में पीलापन चेहरे, छाती, पेट, हाथों व पैर पीले हो जाते हैं और आंखो के अंदर का सफेद भाग भी पीला पड़ने लगता है.

पीलिया के लक्षण होते हैं

-बच्चों को उल्टी और दस्त होना.

-सौ डिग्री से ज्यादा बुखार रहना.

-पेशाब का रंग गहरा पीला होना.

-चेहरे और आंखों का रंग पीला पड़ना.

नवजात बच्चों में पीलिया के कारण

एनएचएस डॉट कॉम के अनुसार पीलिया ज्यादातर अविकसित लिवर के कारण होता है; लिवर खून से बिलीरुबिन को साफ करने का काम करता है, लेकिन जिन बच्चों का लिवर सही प्रकार से विकसित नहीं हो पाता उन्हें बिलीरुबिन को फिल्टर कर पाने में कठिनाई होती है.ऐसे बच्चों के शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है और वह पीलिया से ग्रस्त हो जाते हैं. प्रीमेच्योर बच्चे यानी जिन बच्चों का जानू किसी कारणवश समय से पहले हो जाता है, उनमें जॉन्डिस का खतरा सबसे अधिक होता है.

छोटे शिशुओं को ठीक प्रकार से स्तनपान न कर पाने और रक्त संबंधी कारणों से पीलिया हो सकता हैं. आमतौर पर पीलिया शिशु को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन शिशु के जन्म के 1 हफ्ते के अंदर पीलिया अगर ठीक नहीं होता है और लंबे समय तक रहता है उसका मतलब होता है बिलीरुबिन का स्तर शरीर में अधिक है तब आपको शिशु को अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिए.

पीलिया का उपचार

बच्चों में पीलिया के लक्षण दिखते हैं आपको बिना देर किए किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. बच्चों को उचित जांच के बाद ही दवाएं देनी चाहिए. जॉन्डिस की जांच के लिए बच्चे के खून और यूरिन की जांच की जाती है,जिससे जॉन्डिस का पता लगाकर बच्चे का इलाज सही प्रकार से किया जा सके.

पीलिया होने पर घरेलू उपचार

जॉन्डिस में नवजात बच्चों के लिए धूप काफी लाभकारी होती है. छोटे बच्चों में पीलिया होने पर उन्हें दिन में तीन से चार बार कुछ चम्मच घर में बना गन्ने का जूस दे. गन्ने के जूस से लिवर मजबूत होता है. नवजात शिशु को पीलिया होने पर दूध में कुछ बूंदे व्हीटग्रास के जूस की मिलाकर दे सकते हैं. व्हीटग्रास लिवर से अतिरिक्त बिलीरुबिन को बाहर निकलने में मदद करता है. आपको बच्चे में लक्षण दिखते ही चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, ताकि बीमारी फैलने से पहले ही रोकी का सके.





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