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जानिए क्या है इस साल की थीम शून्य मलेरिया का अर्थ

Gulabi
25 April 2021 8:39 AM GMT
जानिए क्या है इस साल की थीम शून्य मलेरिया का अर्थ
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मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों के काटने से फैलती है

मलेरिया (Malaria) एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों (Mosquitos) के काटने से फैलती है. हजारों सालों से चली आ रही यह बीमारी आज भी लाखों लोगों की जान लेती है. यह बीमारी आमतौर पर गंदगी वाली जगहों पर नम इलाकों में पनपती है. दुनिया भर में हर साल 25 अप्रैल को इस बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) मनाया जाता है. कोविड महामारी के दौर में यह दिवस स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता के महत्व को रेखांकित करता है.


कैसे हुई इसकी शुरुआत
इस दिवस को मनाने का फैसला साल 2007 में विश्व स्वास्थ्य सभा के 60वें सत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लिया था. इसका उद्देशन्य लोगों को मलेरिया के बारे में शिक्षित करने के लिए किया गया था. इससे पहले इसे अफ्रीकी मलेरिया दिवस के तौर पर मनाया जाता था. 2007 में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया को वैश्विक बीमारी घोषित किया था.

क्या है इस साल की थीम में शून्य मलेरिया का अर्थ
इस साल विश्व मलेरिया दिवस 2021 के लिए थीम 'जीरो मलेरिया स्टार्ट विद मी' है जिसका मतलब शून्य मलेरिया लक्ष्य तक पहुंचना है. इस नारे को बनाने का उद्देश्य मलेरिया को राजनैतिक मुद्दों में शामिल करना, दुनिया के कोने कोने में मलेरिया की रोकथाम की जागरुकता के संदेश पहुंचाने के ले स्रोतों को सक्रिय करना है. इस बार उन देशों की उपलब्धि मनाई जाएगी जो इस बीमारी को खत्म करने के करीब पहुंच चुके हैं.

केवल मच्छर के काटने से फैलता है मलेरिया
सवा सौ साल पहले ही पता चला कि यह बीमारी मादा एनोफिलीस मच्छरों को काटने से फैलती है जिससे प्सामोडियम परजीवी मानव शरीर में प्रवेश कर बुखार, बदन दर्द, सरदर्द, थकान उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. ठहरे हुए पानी में इस बीमारी को फैलाने वाले मच्छरों के पनपने की संभावना बहुत बढ़ जाती है. मच्छर बढ़ने से लोगों में संक्रमण बढ़ता है जिससे मच्छरों में संक्रमण और ज्यादा होता है.

नहीं निकल सका है इसका कोई व्यापक टीका
लेकिन राहत की बात कह सकते हैं कि यह बीमारी केवल मच्छरों से ही लोगों में फैलती है. अभी तक इस बीमारी की इलाज तो निकले हैं लेकिन इसका कोई टीका नहीं निकल सका है. कई टीकों पर कार्य चल रहा है, लेकिन ये टीके व्यापक तौर पर मलेरिया को काबू करने में सक्षम नहीं हैं इस बीमारी को उन उपायों से रोका जाता सकता है जिससे आसपास मच्छरों के पनपने की संभावना ही खत्म हो जाए. यह तरीका डेंगू चिकगुनिया जैसी अन्य बीमारियों में भी बहुत कारगर होता है.
जागरुकता की ज्यादा जरूरत
हर साल मलेरिया ग्रामीण इलाके के लोगों को ज्यादा होता है. यह रोग अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका में ज्यादा होता है क्योंकि यहां की जलवायु इसके मच्छर को पनपने के लिए अनुकूल होती है. ग्रामीण इलाकों में अगर साफ सफाई का ख्याल रखा जाए और मच्छरों के न पनपने के उपायों पर जोर दिया जाए तो इस रोग से बचा जा सकता है.
मलेरिया शब्द इटैलियन भाषा के शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है बुरी हवा. चूंकि यह गंदगी, गंदे पानी के कारण पनपे मच्छरों के कारण होता था, पुराने में मच्छर के कारक की जानकारी के अभाव में लोग समझते थे कि यह खराब हवा से होता है. 1880 में पहले वैज्ञानिक अध्ययन के बाद 1897 में रोनाल्ड रॉस ने मलेरिया के परजीवी का पूरा जीवन चक्र समझाया था.
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