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- जानिए अंग फड़कने का...
अंग फड़कने का क्या है अर्थ है: कभी न कभी आप सभी ने अनुभव किया होगा किआपके किसी न किसी अंग में फड़कन होती है। अंग के भीतर का भाग उछलता सा प्रतीत होता है इसे ही अंग का फड़कना कहते हैं। पुरुष का दायां अंग और स्ति्रयों का बायां अंग फड़कना श्रेष्ठ रहता है। इसके विपरीत अंग फड़कता है तो उसका अशुभ प्रभाव होता है। आइए जानते हैं किस अंग के फड़कने का क्या अर्थ होता है।
मस्तक फड़कने से भूमि लाभ होता है। ललाट से स्थान लाभ, स्कंध से भोग समृद्धि प्राप्त होती है, भू्रमध्य से सुख प्राप्ति, भ्रूयुग्म से विभिन्न प्रकार के सुख, कपौल से शुभ प्राप्ति, नेत्र से धन प्राप्ति, नेत्र कोण से लक्ष्मी लाभ, नेत्र समीप से प्रिय संगम, हस्त से द्रव्य लाभ, पैरों का ऊपरी भाग फड़कने से स्थान लाभ, वक्ष स्थल से विजय, हृदय से ईष्ट सिद्धि, कटि से प्रमाद, कटिपार्श्व से प्रीति, नाभि से स्त्री नाश, भग से पति प्राप्ति, उदर फड़कने से कोष लाभ होता है।
लिंग फड़के तो स्त्री लाभ होता है। गुदा से वाहन लाभ, वृषण से पुत्र लाभ, पादतल से नृपत्ववृद्धि, ओष्ठ से प्रिय वस्तु, कंठ से ऐश्वर्यलाभ, पृष्ठ से पराजय, मुख से मित्र प्राप्ति, भुज से मधुर भोजन, भुज मध्य से धनागम होता है। वस्तिदेश से अभ्युदय, उरु से वस्त्रलाभ, जानु से शत्रुवृद्धि, जंघा से स्वामी प्रीति होती है।