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जानिए स्मूथनिंग और रिबॉन्डिंग में आखिर क्या है, फर्क

Tara Tandi
20 March 2022 4:34 AM GMT
जानिए स्मूथनिंग और रिबॉन्डिंग में आखिर क्या है, फर्क
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महिलाएं जिनके बाल कर्ली या फिर वेवी होते हैं. वह अपने बालों को स्ट्रेटनर से स्ट्रेट कर एक नया लुक देना हमेशा पसंद करती हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महिलाएं जिनके बाल कर्ली या फिर वेवी होते हैं. वह अपने बालों को स्ट्रेटनर से स्ट्रेट कर एक नया लुक देना हमेशा पसंद करती हैं. लेकिन जिन महिलाओं को स्ट्रेट हेयर बेहद पसंद होते हैं उनके लिए बार-बार स्ट्रेटनर का इस्तेमाल करना झंझट वाला काम हो जाता है. इसी तरीके को अपनाने से ना केवल उनके काफी सारा समय बर्बाद होता है. साथ ही साथ उनके बाल भी डैमेज हो जाते हैं, जो महिलाएं चाहती हैं कि उनके बाल लंबे समय तक स्ट्रैट हों ऐसे में या तो वह रिबॉन्डिंग का ऑप्शन चुनती हैं या फिर स्मूथनिंग का. लेकिन आमतौर पर महिलाएं दोनों हेयर ट्रीटमेंट को एक ही मानती है. जबकि वास्तव बात यह है कि यह दोनों ट्रीटमेंट अलग-अलग है. इनके अलग प्रभाव होते हैं. अलग साइड इफेक्ट्स होते हैं. चलिए जानते हैं कि स्मूथनिंग और रिबॉन्डिंग में आखिर फर्क क्या है?

रिबॉन्डिंग-अगर आपके बाल कर्ली हैं. ऐसे में आप रिबॉन्डिंग करवा सकती हैं. यह एक तरीके से परमानेंट हेयर फिक्सिंग है, क्योंकि एक बार रिबॉन्डिंग कराने के बाद आपके बाल लगभग 1 साल तक स्ट्रैट रहते हैं. हालांकि, इसका एक नुकसान भी है. इस प्रक्रिया में केमिकल से आपके बालों के अंदर तक जाकर हेयर स्ट्रक्चर को तोड़ देते हैं, जिससे बाल काफी कमजोर हो जाते हैं. इस पूरे प्रोसेस में लगभग 4 से 5 घंटे का समय लगता है. हेयर रिबॉन्डिंग का एक फायदा यह है कि आप अपने बाल लंबे समय तक स्ट्रेट रख सकते हैं. जब आप एक बार हेयर रिबॉन्डिंग करवाती हैं तो इससे आपको कर्ली या फिर फ्रिजी हेयर से छुटकारा मिल जाता है. साथ ही आपके बालों में शाइन भी आ जाता है.
नुकसान- हेयर रिबॉन्डिंग हेयर केयर टाइप के लिए सही नहीं होता है. अगर आपके बाल पतले या कमजोर हैं तो फिर आपको हेयर फॉर की समस्या से जूझना पड़ सकता है. हेयर रिबॉन्डिंग आपके बालों को कमजोर बनाता है. साथ ही साथ आप अपने लुक को बनाए रखने के लिए टचअप की भी बार-बार जरूरत पड़ती है. इसमें आपको बहुत अधिक समय भी लग सकता है और साथ ही साथ पैसे भी ज्यादा खर्च होते हैं.
स्मूथनिंग-हेयर स्मूथनिंग एक लाइट वर्जन है जो बालों को सीधा करने में मदद करता है. यह ट्रीटमेंट इन महिलाओं के लिए बेहद अच्छा माना जाता है जो इनके पहले से ही स्ट्रैट बाल है. स्मूथनिंग करवाने से आपके बाल और भी अधिक स्मूथ और सिल्की हो जाते हैं. जबकि स्ट्रेटनिंग व रिबॉन्डिंग से आपको स्ट्रीट लुक मिल सकता है. इससे पूरे प्रक्रिया में कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह बालों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इसका असर कम से कम चार से 8 महीने तक रहता है.
नुकसान-हेयर स्मूथनिंग के रिजल्ट ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिकते हैं. आपको 4 से 8 महीने के बीच इस को दोबारा करवाने की जरूरत पड़ जाती है. इसमें फॉर्मल डिहाइड केमिकल्स का यूज भी किया जाता है और अगर इसके गलत तरीके से किया जाता है तो इससे आंखें स्किन ऊपरी परत में भी जलन हो सकती है.
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