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जानिए क्या है सरोगेसी प्रेगनेंसी ? भारत में जोड़ी और मां के लिए क्या हैं नियम

Shiddhant Shriwas
22 Jan 2022 11:00 AM GMT
जानिए क्या है सरोगेसी प्रेगनेंसी ? भारत में जोड़ी और मां के लिए क्या हैं नियम
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बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई कपल किसी दूसरी महिला की कोख किराए पर लेता है, तो इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहा जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क|
सरोगेसी क्या है?

बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई कपल किसी दूसरी महिला की कोख किराए पर लेता है, तो इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहा जाता है,यानी सरोगेसी में कोई महिला अपने या फिर डोनर के एग्स के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है. सरोगेसी से बच्चा पैदा करने के पीछे कई वजहें होती हैं. जैसे कि कपल को कोई मेडिकल प्रॉब्लम, प्रेगनेंसी से महिला की जान को खतरा या फिर किसी वजह से महिला खुद प्रेगनेंट नहीं होना चाहती.अपने पेट में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है.

क्या होता है सेरोगेसी एग्रीमेंट

सरोगेसी के लिए एक बच्चे की चाह रखने वाले कपल और सरोगेट मदर के बीच एक एग्रीमेंट किया जाता है. जिसमें प्रेगनेंसी से पैदा होने वाले बच्चे के लीगली माता-पिता सरोगेसी कराने वाले कपल ही होते हैं. सरोगेट मां को प्रेग्नेंसी के दौरान अपना ध्यान रखने और मेडिकल जरूरतों के लिए पैसे दिए जाते हैं. इसके अलावा भी बच्चे के जन्म लेने के बाद महिला की देखभाल और दूसरी जरूरतों के लिए पैसे या दूसरी मेडिकल सर्विस भी शामिल होती हैं. एग्रीमेंट में कपल अपने हिसाब से सेरोगेट मदर के लिए दूसरी सुविधाएंं और नियम भी रख सकता है. बेसिक बातोंं से अलग दोनों पार्टी की रजामंदी के बाद ही सेरोगेसी एग्रीमेंट को कम्पलीट माना जाता है. इसमें आमतौर पर दोनों पक्ष अपने-अपने वकील भी हायर करते हैं, जिससे फ्यूचर में कोई परेशानी न हो.

सरोगेसी के दो प्रकार

सरोगेसी दो तरह की होती है. एक ट्रेडिशनल सरोगेसी जिसमें होने वाले पिता या डोनर का स्पर्म सरोगेट मदर के एग्स से मैच कराया जाता है. इस सरोगेसी में सरोगेट मदर ही बॉयोलॉजिकल मदर होती है. और दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी जिसमें सरोगेट मदर का बच्चे से संबंध जेनेटिकली नहीं होता है. यानी प्रेग्नेंसी में सरोगेट मदर के एग का इस्तेमाल नहीं होता है. इसमें सरोगेट मदर बच्चे की बायोलॉजिकल मां नहीं होती है. वो सिर्फ बच्चे को जन्म देती है. इसमें होने वाले पिता के स्पर्म और माता के एग्स का मेल या डोनर के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूट्रस में प्रत्यारोपित किया जाता है.

दो तरह की होती हैं सरोगेसी

सरोगेसी दो तरह की होती है- एक ट्रेडिशनल सरोगेसी, जिसमें होने वाले पिता या डोनर का स्पर्म सरोगेट मदर के एग्स से मैच कराया जाता है. इस सरोगेसी में सरोगेट मदर ही बॉयोलॉजिकल मदर होती है. दूसरी- जेस्टेशनल सरोगेसी जिसमें सरोगेट मदर का बच्चे से रिलेशन जेनेटिकली नहीं होता है. यानी प्रेग्नेंसी में सरोगेट मदर के एग का इस्तेमाल नहीं होता है. इसमें सरोगेट मदर बच्चे की बायोलॉजिकल मां नहीं होती है. वे सिर्फ बच्चे को जन्म देती है. इसमें होने वाले पिता के स्पर्म और माता के एग्स का मेल या डोनर के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूट्रस में ट्रांसप्लांट किया जाता है.

भारत में सरोगेसी के नियम

भारत में सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए कई नियम बनाए गए हैं. 2019 में ही कमर्शियल सरोगेसी पर बैन लगाया गया था. जिसके बाद सिर्फ मदद करने के लिए ही सरोगेसी का विकल्प खुला रह गया है. कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाने के साथ ही नए बिल में अल्ट्रस्टिक सरोगेसी को लेकर भी नियम-कायदों को सख्त कर दिया गया था. इस बिल के अनुसार विदेशियों, सिंगल पैरेंट, तलाकशुदा कपल्स, लिव-इन पार्टनर्स और एलजीबीटी समुदाय से जुड़े लोगों के लिए सरोगेसी के रास्ते बंद कर दिए गए हैं. सरोगेसी के लिए सरोगेट मदर के पास मेडिकल रूप से फिट होने का सर्टिफिकेट होना चाहिए, तभी वह सरोगेट मां बन सकती है. वहीं सरोगेसी का सहारा लेने वाले कपल के पास इस बात का मेडिकल सर्टिफिकेट होना चाहिए कि वो इनफर्टाइल हैं. हालांकि, सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2020 में कई तरह के सुधार किए गए. इसमें किसी भी 'इच्छुक' महिला को सरोगेट बनने की परमिशन दी गई थी.


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