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सीलिएक रोग एक इम्यून रिएक्शन है, जो कि ग्लूटेन युक्त आहार ( गेंहू, जौ, और राई ) खाए जाने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता रिएक्शन करने लगती है. जो की 1-2% आबादी में पाई जाति है. ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन है जो कि गेंहू, जौ, और राई में मुख्य रूप से पाया जाता है, और ये उत्तर भारत में हमारा मुख्य आहार है. ये बीमारी बच्चों में ज्यादा होती है. हालांकि ये व्यस्कों में भी हो सकती है. बच्चों में इस बीमारी से उनके विकास पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है.
यह बीमारी आंतों को नुकसान पहुंचाती है. जिसमे खाने की सही पहचान न होने से इसके लक्षण बच्चों में आने लगते हैं. इस बीमारी में दस्त, विकास की समस्या, पेट दर्द, पेट का फूलना और पेट में सूजन शामिल है. वहीं, बच्चों में दस्त भी सीलिएक रोग का लक्षण हो सकता है. इसके अलावा कुछ रोगियों में थकान, उल्टी, मतली और कमजोरी जैसे लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं. वयस्कों की तुलना में बच्चों में ये लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं. कई बार सही समय पर जांच न हो तो बच्चे गंभीर भी हो सकते हैं.
आपको बता दें कि दुनिया भर में इस बीमारी के प्रति जागरूता के लिए विश्व सीलिएक डिजीज अवेयरनेस डे मनाया जाता है. मेदांता हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ दुर्गा प्रसाद के अनुसार सीलिएक रोग से बच्चों का विकास धीमा होने लगता है. बच्चों में चिड़चिड़ापन, हड्डियों में दर्द होना, त्वचा पर निशान दिखना, बालों का झड़ना, हाथ-पैरों में झुनझुनी, थकान और सिरदर्द, डिप्रेशन, ध्यान देने में कठिनाई आदि होने लगती है. जब परिवार में किसी करीबी सदस्य जैसे माता-पिता को सीलिएक रोग होता है, तो बच्चे में इसके होने की संभावना भी अधिक रहती है. जिन परिवारों में सीलिएक रोग है, उनके बच्चों में इस रोग के होने की संभावना 10 गुना तक बढ़ जाती है.
डॉ दुर्गा प्रसाद बताते हैं कि सीलिएक रोग से बचाव के लिए एक विशेष डाइट चार्ट होता है. जो माता-पिता को साथ में दिया जाता है. इससे बचने के लिए खान-पान पर खास ध्यान देन जरूरी होता है. इससे बचने के लिए आपको ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से हमेशा दूरी बनानी पड़ती है. इससे बचने के लिए ग्लूटेन फ्री फूड्स ही खा सकते हैं. गेहूं, राई, जाऊ से बने खाद्य पदार्थों जैसे ब्रेड, पास्ता, बिस्कुट, केक और कुकीज का सेवन बिल्कुल न करें. सोया सॉस, डिब्बाबंद सूप और आइसक्रीम के सेवन से भी बचें. चटनी, मसाला और कैचअप में भी ग्लूटेन होता है, इसलिए आपको इनके सेवन से भी बचना चाहिए.
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Apurva Srivastav
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