लाइफ स्टाइल

जानिए रोज दिन में दस हजार कदम चलने से क्‍या होता है

Rani Sahu
8 Nov 2021 7:13 AM GMT
जानिए रोज दिन में दस हजार कदम चलने से क्‍या होता है
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आपने अकसर लोगों को देखा होगा कि अपनी कलाई में फिटबिट बांधे वो रोज दस हजार कदम पूरे होने का इंतजार करते हैं

आपने अकसर लोगों को देखा होगा कि अपनी कलाई में फिटबिट बांधे वो रोज दस हजार कदम पूरे होने का इंतजार करते हैं. लगातार कलाई में बंधी डिजिटल मशीन को चेक करते रहते हैं कि अब कितने कदम पूरे हो गए. 10,000 कदम का लक्ष्‍य पूरा होते ही मानो ऐसा लगता है कि कोई मेडल हाथ लग गया हो. क्‍या रोज दस हजार कदम चलना सचमुच फायदेमंद है? आखिर क्‍या होता है, जब हम रोज दस हजार कदम पैदल चलते हैं.

एक तर्क तो ये हो सकता है कि ऐसा करने से ढेर सारी कैलरी बर्न होती है. कैलरी बर्न करना आधुनिक जीवन शैली के लक्ष्‍यों में से एक है. लेकिन क्‍या सिर्फ कैलरी बर्न होना ही एकमात्र ऐसा फायदा है, जिसके लिए हमें रोज दस हजार कदम पैदल चलना चाहिए. या इसके और भी फायदे हैं.
आइए जानते हैं कि रोज दस हजार कदम पैदल चलने का लक्ष्‍य पूरा होने के क्‍या-क्‍या फायदे होते हैं.
2500-3000 कैलरी बर्न
रोज दस हजार कदम पैदल चलने का सबसे बड़ा फायदा तो ये होता है कि आप प्रतिदिन ढाई से तीन हजार कैलरीज बर्न करते हैं. यानी आप जो कुछ भी खा रहे हैं, वो ऊर्जा में परिवर्तित हो रहा है और वो ऊर्जा काम में लग रही है. क्‍या आपको पता है कि हमारे भोजन का जो हिस्‍सा ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होता, वही फैट बनकर शरीर के भीतर जमा होने लगता है. इसका मोटे या पतले होने से कोई लेना-देना नहीं है. ये बस एक सीधा सा हिसाब है कि जितना शरीर को दिया, उतना खर्च किया. यानि अतिरिक्‍त फैट को बॉडी में जमा नहीं होने दिया. यह स्‍वस्‍थ और संतुलित जीवन जीने का बहुत बुनियादी सबक है. इसे हमेशा ध्‍यान रखें.
लिवर को पसंद है 10,000 स्‍टेप्‍स
किसी से कहें कि जब आप लंबा पैदल चलते हैं, शारीरिक श्रम करते हैं, व्‍यायाम करते हैं तो लिवर को बहुत खुशी मिलती है तो सुनने में थोड़ा अजीब लगता है. लिवर का हमारे वॉक करने या न करने से भला क्‍या लेना-देना. लेकिन ये मजाक नहीं है. लिवर का काम है बाइल बनाना, बाइल जो फैट को पचाने में मददगार होता है. एक सुस्‍त और आरामतलब शरीर में लिवर भी सुस्‍त और आरामतलब हो जाता है. वो अपने काम के प्रति भी लापरवाही बरतने लगता है. कहने का आशय ये है कि बाइल कम बनाता है, खाने को ढंग से पचाता नहीं है, फैट को बर्न नहीं करता और वही सबकुछ मोटापा बनकर शरीर में जमा होने लगता है. इसलिए जब हम पैदल चलते हैं तो सिर्फ हमारे पैद पैदल नहीं चल रहे होते. सिर्फ हमारा शरीर और मन ही दस हजार कदम की दूरी नहीं तय कर रहा होता. हमारा लिवर भी चलता है. अच्‍छे से काम करता है, बाइल बनाता है, खाने को पचाता है, फैट को जमा होने से रोकता है. कुल मिलाकर ये कि लिवर खुश रहता है.
पैंक्रियाज की खुशी के तो कहने ही क्‍या
पैंक्रियाज का काम पता है न आपको. हमारे शरीर के बाएं हिस्‍से में ऊपर की ओर और आंतों के पीछे एक छोटा सा ऑर्गन पैंक्रियाज, जो इंसुलिन नाम का एक हॉर्मोन बनाता है. दस हजार कदम पैदल चलने का पैंक्रियाज के लिए क्‍या मतलब है, ये किसी डायबिटीज के रोगी से पूछिए. जिस शाम खाना खाने के बाद वो वॉक करता है, अगले दिन ब्‍लड में शुगर का स्‍तर कम होता है और जिस दिन वॉक नहीं करता, उस दिन ब्‍लड में शुगर का स्‍तर बढ़ जाता है. कहने का मतलब ये है कि पैंक्रियाज और इंसुलिन दोनों का सीधा-सीधा कनेक्‍शन इस इंसुलिन नाम के हॉर्मोन से है. डायबिटीज के मरीजों के लिए तो ये जादू का काम करता ही है, जो डायबिटिक नहीं हैं, उनके पैंक्रियाज के लिए भी कोई कम जादू नहीं.
यूं समझ लीजिए कि ये जो रोजाना के दस हजार कदम हैं, वो हमारे इस शरीर की मशीन के लिए ऑइल और ग्रीज का काम करते हैं. मशीन की सर्विसिंग करते हैं, उसे दुरुस्‍त रखते हैं और वो लंबे समय तक बिना किसी परेशानी और रुकावट के काम करती रह सकती है.
इस मशीन को फिट रखने के लिए रोजाना दस हजार कदम चलना कोई ज्‍यादा बड़ी बात तो नहीं.
Rani Sahu

Rani Sahu

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