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दरअसल जब आप सो रहे होते हैं तो आपका दिमाग शरीर के रिफेक्स रिस्पॉन्सिस जैसे छींकना और खांसने को बंद कर देता है। तो जब आपके शरीर को छींकना होता है तो वह जाग जाता है। देखा जाए तो हमारा शरीर छींक को दो तरह से रोकता है। और ये इस बार पर निर्भर होता है कि आप नींद के कौन से फेस में हैं।
नींद के दो फेज
नींद को दो फेज में बांटा जाता है- नॉन रैपिड आई मूवमेंट स्लीप (NREM) यानी ये नींद का शुरुआती चरण होता है और रैपिड आई मूवमेंट (REM) स्लीप इस फेज में नींद में आप सपने देखते है। पूरी रात आपकी नींद इन दो फेज में ही घूमती रहती है।
NREM स्लीप
NREM स्लीप के के तीन स्टेज होते हैं।
1- इसे सबसे हल्की स्लीप स्टेज माना जाता है जो एक से 5 मिनट तक रहती है।
2- दूसरे स्टेज में जैसे-जैसे आप गहरी नींद में जाते हैं आपका हार्ट रेट और बॉडी टेंप्रेचर कम होने लगता है।
3- तीसरी स्टेज को नींद की सबसे गहरी स्टेज माना जाता है। इस स्टेज में व्यक्ति काफी गहरी नींद में सोता है और इस दौरान उठना काफी मुश्किल होता है।
NREM स्लीप के दौरान आपके शरीर का रिफेक्स सिस्टम काम करता रहता है, लेकिन ये इस दौरान काफी कम सेंसेटिव होता है। इसी कारण से कभी-कभी आप तेज आवाज में भी गहरी नींद में सो जाते हैं। NREM स्लीप के दौरान आपका दिमाग का ध्यान धूल-मिट्टी जैसे किसी भी कण की तरफ आकर्षित नहीं कर पाता। हालांकि, आप NREM स्लीप की पहली स्टेज में छींकने के लिए जाग सकते हैं वो भी तब अगर आपकी छींक बहुत ज्यादा स्ट्रॉन्ग है तो।
REM स्लीप
जब आप REM स्लीप में हो तो छींक नहीं सकते क्योंकि जब आप सपने देखते हैं तो मोटर एटोनिया नाम की एक स्थिति आपके शरीर को पैरालाइज्ड कर देती है। आपके सपनों में क्या हो रहा है ये जानने से रोकने के लिए आपका दिमाग आपके शरीर की किसी भी तरह से एक्ट करने की क्षमता को रोक देता है।
किन कारणों से आती है रात में छींक?
आमतौर पर छींक तब आती है जब आपकी नाक में धूल, मिट्टी प्रवेश करते हैं। अगर आपको रात के समय छींक आती है तो इसके पीछे 2 वजहें हो सकती हैं। पहली वजह तो ये कि जब आप लेटे होते हैं तो नाक के रास्ते में ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है। जिसके रिजल्ट में म्यूकस का उत्पादन ज्यादा होता है, जिसके चलते छींक आने के चांसेस काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसका दूसरी कारण ये है कि आप किस वातावरण में सोते हैं।
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