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LIC पॉलिसी बंद कराने से पहले जाने ये जरूरी नियम

Bhumika Sahu
13 Dec 2021 3:39 AM GMT
LIC पॉलिसी बंद कराने से पहले जाने ये जरूरी नियम
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जीवन बीमा पॉलिसी पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है. अगर आपने 31 मार्च 2012 को या उससे पहले पत्नी/पति या बच्चे के नाम पर इंश्योरेंस पॉलिसी ली है तो चुकाए गए प्रीमियम पर 20 फीसदी तक टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एलआईसी की पॉलिसी कई वजहों से बंद कराने की नौबत आ जाती है. प्रीमियम भरने में दिक्कत हो या ग्राहक को वह पॉलिसी पर्याप्त न लगे तो उसे बंद कराने के बारे में सोचा जा सकता है. पॉलिसी बंद कराने पर आपको कुछ पैसे मिलते हैं जिसे सरेंडर वैल्यू कहते हैं. पॉलिसी सरेंडर करने पर जो पैसा मिला, वही सरेंडर वैल्यू होता है. अब आपको यह जानना चाहिए कि क्या वह सरेंडर वैल्यू टैक्स के दायरे में आती है? क्या हमें आईटीआर भरते वक्त सरेंडर वैल्यू का जिक्र करना चाहिए? क्या इनकम टैक्स सरेंडर वैल्यू के हिसाब से हमसे कर वसूल सकता है?

अधिकांश लोग एनॉमेंट प्लान लेते हैं. इस प्लान में लाइफ कवर के साथ अंत में मैच्योरिटी अमाउंट भी मिलता है. इसमें भी दो तरह के प्लान होते हैं-विथ प्रॉफिट और विदाउट प्रॉफिट. यानी एलआईसी का फायदा होता है तो वह ग्राहकों को बोनस के रूप में प्रॉफिट को शेयर करती है. यह पैसा ग्राहक को समय-समय पर दिया जाात है. विदाउट प्रॉफिट प्लान में अंत में मैच्योरिटी अमाउंट दिया जाता है. इन दोनों प्लान के तहत ही ग्राहकों के लिए मनी बैक प्लान, गारंटीड प्लान और पेंशन प्लान जैसी पॉलिसी चलाई जाती है.
कब खरीदी गई है पॉलिसी
जब भी आप ऐसी पॉलिसी सरेंडर करने चलें तो उस पर टैक्स का नियम जरूर जानना चाहिए. अमूमन पॉलिसी पर टैक्स का यही नियम है कि अगर शुरू के दो साल प्रीमियम पूरा चुकाया गया हो तो सरेंडर वैल्यू पर कोई टैक्स नहीं लगता. पॉलिसी कब जारी की गई है इस पर भी टैक्स का नियम लागू होता है. अगर पॉलिसी 31 मार्च 2003 के पहले की है तो वह पूरी तरह से टैक्स फ्री है. अगर पॉलिसी 1 अप्रैल 2003 से 31 मार्च 2012 के बीच की है तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स तभी माफ होगा जब सम एस्योर्ड की राशि प्लान के सालाना प्रीमियम से 5 गुना ज्यादा हो.
कब देना होगा टैक्स
इसी तरह अगर पॉलिसी 1 अप्रैल 2012 के बाद ली गई है तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स तभी माफ होगा जब सम एस्योर्ड (जितने लाख का बीमा लेते हैं) की कुल राशि सालाना प्रीमियम से 10 गुना ज्यादा हो. पॉलिसी अगर 1 अप्रैल 2003 से 31 मार्च 2012 के बीच ली गई है और किसी भी एक साल में चुकाई गई प्रीमियम की कुल राशि सम एस्योर्ड के 20 परसेंट की राशि से अधिक हो तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स देना पड़ेगा. मान लें आपने 5 लाख के सम एस्योर्ड की पॉलिसी ली है और एक साल में अगर उसका 20 परसेंट यानी कि 1 लाख से ज्यादा का प्रीमियम भर दिया तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स देना होगा. यह नियम तभी लगेगा जब आप पॉलिसी बंद कराएंगे और सरेंडर वैल्यू लेंगे. पॉलिसी बंद नहीं कराने पर टैक्स का ऐसा कोई नियम लागू नहीं होता.
टैक्स का लाभ
टैक्स कटने की संभावना है तो दूसरी ओर टैक्स से छूट में कमाई भी की जा सकती है. जीवन बीमा पॉलिसी पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है. अगर आपने 31 मार्च 2012 को या उससे पहले पत्नी/पति या बच्चे के नाम पर इंश्योरेंस पॉलिसी ली है तो चुकाए गए प्रीमियम पर 20 फीसदी तक टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं. यह नियम जीवनसाथी या बच्चे के नाम पर ली गई पॉलिसी के लिए है. अगर आपने 1 अप्रैल 2012 के बाद खुद, बच्चे, पति, पत्नी के नाम से पॉलिसी खरीदी है तो प्रीमियम राशि सम एस्योर्ड के 10 फीसदी के टैक्स लाभ के लिए योग्य है.


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