लाइफ स्टाइल

बच्चे कैसे बचें पेरेंट्स की फाइट से जानें ट्रिक

Deepa Sahu
30 May 2024 3:15 PM GMT
बच्चे कैसे बचें पेरेंट्स की फाइट से जानें ट्रिक
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लाइफस्टाइल; बच्चों को बचाने पर तो चर्चा होती है, मगर आज के तेज़-तर्रार बच्चे खुद ऐसा कर सकते हैं। इस लेख को $खुद भी पढ़ें और अपने बच्चे को भी पढ़वाएं- वे छोटी-छोटी बात पर बेचैन हो जाते हैं और हमेशा इस डर के साथ जीने लगते हैं कि उनके माता-पिता का कभी भी अलगाव हो सकता है। माता-पिता की यह छोटी सी गलती बच्चे के मानसिक संतुलन, उसकी खुशियां व उनके आने वाले जीवन पर बुरा असर डाल सकती है, इसलिए ऐसे समय पर बच्चों को चाहिए कि वे अपने पेरेंट्स को इस बात का एहसास दिलाएं कि उनके झगड़े का कितना प्रभाव पड़ रहा है। माता-पिता के झगड़ें के दौरान बच्चा अपने को इस प्रकार से सुरक्षित रख सकता है और खुद को कैसे बेहतर महसूस करवा सकता है, आइए जानें-
अपना बर्ताव सामान्य रखें कोशिश करें कि आप उस लड़ाई का कारण ना बनें। किसी एक की साइड ना लें और आप उनके झगड़े के बीच बिलकुल ना आएं। उनकी लड़ाई सुलझाना आपका काम नहीं है। अगर कोई एक भी पेरेंट आपको इसके बीच में लाने की कोशिश करता हो तो उन्हें साफ-साफ कह दें कि आपको इसमें दिलचस्पी नहीं है।
घर में कोई अलग से कोना ढूंढ़ें यह बहुत जरूरी है कि अगर आपके पेरेंट्स की लड़ाई का आप पर बहुत अधिक तनाव पड़ रहा है तो आप अकेले कहीं बैठ जाएं। इससे आपको बार-बार यह लड़ाइयां सुननी और देखनी नहीं पड़ेंगी। आप चाहें तो अपनी बालकनी में घूम सकते हैं या किसी ऐसे कमरे में जाकर बैठें, जहां आपको यह सब सुनाई ना दें।
अपने किसी दोस्त के घर जाएं अगर आपको अपने घर में कोई ऐसा व्यक्तिगत कोना नहीं मिल पाता तो आप किसी और के घर जा सकते हैं। अपने किसी पड़ोसी के घर जाएं, जो आपके करीब हो। आप चाहें तो अपने किसी करीबी परिवार के सदस्य या दोस्त के घर जा सकते हैं।
अपनी पसंद की मूवी देखें या गाने सुनें अगर आप घर से बाहर नहीं निकल सकते तो अपने को किसी ऐसे काम में व्यस्त कर लें, जिससे आपका ध्यान बटें। अगर आपके लिए ऊंची आवाज में कुछ सुनना मुमकिन हो तो सुनें। इसके अलावा अगर आप पढ़ रहे हैं तो अपना होमवर्क करें। इस समय को आप अपनी देखभाल करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने कान में हेडफोन लगाकर कोई किताब भी पढ़ सकते हैं। इससे आपका ध्यान लड़ाई पर नहीं जाएगा।
खुद को जिम्मेदार ठहराना बंद करें अगर आपके पेरेंट्स आपके बारे में बात करते हैं तो कभी ये ना सोचें कि इसके जिम्मेदार आप हैं। आप कभी भी उनकी लड़ाई का कारण नहीं हो सकते, क्योंकि यह केवल उनके अतीत के कारण होता है। आप कभी भी कोई ऐसा काम नहीं कर सकते, जो उन्हें इस हद तक पहुंचा दें।
अपने खुद के स्वस्थ रिश्ते बनाएं अपने पेरेंट्स की लड़ाई से बचने के लिए आप अपनी जिन्दगी में दूसरे लोगों को शामिल कर सकते हैं। बहुत से शोधों से यह पता चला है कि अच्छी सोशल लाइफ से आपका स्वास्थ भी अच्छा रहता है। अगर आपके पेरेंट्स आदर्श पेरेंट्स ना बन सके तो हो सकता है आपको बाहर के लोगों में अच्छे रिश्ते मिल जाएं। यह थोड़ा कठिन हो सकता है पर आप पैरेंट्स से अच्छे से वार्तलाप करेंगे तो टूटे रिश्ते से बचकर रहना आसान होगा।
अपने पेरेंट्स से बातचीत करें कभी-कभी पेरेंट्स को इस बात का एहसास नहीं होता कि उनकी इस हरकत से बच्चों को कितनी तकलीफ हो रही है। बहस खत्म होने के बाद अपने पेरेंट्स को अपनी भावनाएं बताएं। अपनी भावनाएं व्यक्त करते समय अपने-आप को शांत रखें। अपने पेरेंट्स को शॄमदा महसूस करवाने की कोशिश कभी ना करें। आपका लक्ष्य यह नहीं होना चाहिए कि अपने पेरेंट्स से बदला लेना है। ऐसे ही कुछ टिप्स हम यहां दे रहे हैं-
अपने पेरेंट्स को उनकी लड़ाई से हो रहे प्रभावों के बारे में बताएं। कुछ शोधों से यह पता चला है कि पेरेंट्स की लड़ाई से बच्चों का भावनात्मक संतुलन सही से विकसित नहीं हो पाता। सभी साइकोलॉजिस्ट्स का मानना है कि बच्चों के अच्छे विकास के लिए पेरेंट्स व बच्चों के बीच का यह रिश्ता मजबूत होना चाहिए।
अपने पेरेंट्स को अच्छी और बुरी लड़ाई के बारे में जानने के लिए कहें। अच्छी लड़ाइयां वे होती हैं जिसमें लोग लड़ाइयों को खत्म करने के लिए कोई ना कोई तरीका आजमाने की कोशिश करते हैं। बुरी लड़ाई में एक-दूसरे का अपमान करना या एक-दूसरे की पेरेंटिंग स्किल्स का मजाक उड़ाना किसी लड़ाई को सुलझाने का अच्छा तरीका नहीं है। .उन्हें अकेले में लड़ने की सलाह दें। आपके इस अनुरोध से आप अपने पेरेंट्स के झगड़े से होने वाले तनाव से बच पाएंगे। अपने पेरेंट्स को यह समझाएं कि उनके अकेले में लड़ने से आपकी भावनाओं को चोट कम पहुंचती है।
लड़ाई के बाद के तनाव घटाएं सबसे पहले इस बात को समझें कि कुछ झगड़े होना बहुत आम बात है। अगर हर बार लड़ाई के बाद आपके पेरेंट्स एक-दूसरे को मना लेने में कामयाब हो जाएं और यह लड़ाई बार-बार ना हो तो आपको किसी बात की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। स्कूल में मौजूद शिक्षक व काउंसलर बच्चों की व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान करने में माहिर होते हैं। अगर आपके स्कूल में ऐसी सुविधा है तो आपको इसका जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। आपको उन्हें वह हर बात बताने क
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