- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- जानें टाइप 3 डायबिटीज...
x
डायबिटीज की वजह से हार्ट डिजीज समेत कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
डायबिटीज की वजह से हार्ट डिजीज समेत कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. टाइप 1 डायबिटीज में मरीज के शरीर में इंसुलिन बेहद कम मात्रा में बनता है या बिल्कुल नहीं बनता. इसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. टाइप 2 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन रजिस्टेंस पैदा हो जाता है और इंसुलिन बनने के बावजूद इसका सही इस्तेमाल हमारा शरीर नहीं कर पाता. ये दो प्रमुख डायबिटीज के टाइप होते हैं. हालांकि, कई बार 'टाइप 3 डायबिटीज' का जिक्र होता है. यह टाइप इस बीमारी का सबसे घातक रूप भी कहा जा सकता है. जिसके चलते मरीज को न केवल ब्लड बल्कि दिमाग की तमाम परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है. जानिए यह क्या है और इससे हेल्थ कैसे प्रभावित होती है.
क्या है टाइप 3 डायबिटीज?
मेडिकल न्यूज टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लोग अल्जाइमर डिजीज के लिए 'टाइप 3 डायबिटीज' शब्द का उपयोग करते हैं. हालांकि आधिकारिक हेल्थ ऑर्गनाइजेशन इस शब्द को स्वीकार नहीं करते हैं. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसुलिन रजिस्टेंस दिमाग में अमाइलॉइड प्लेक्स, सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण बनता है. डॉक्टर्स ने भी इस बीमारी को टाइप 3 डायबिटीज के तौर पर स्वीकृत नहीं किया है. उनके अनुसार, इस बीमारी को अल्जाइमर की श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए. आमतौर पर इस बीमारी के चलते मरीज की याद्दाश्त पर गहरा असर पड़ता है. इसके कारण उसे दिमाग से जुड़े कई रोग हो सकते है. इस बीमारी के लक्षण काफी कॉमन लगते हैं, लेकिन समय रहते इलाज न कराने पर यह बेहद घातक भी साबित हो सकती है.
जानें टाइप 3 डायबिटीज के लक्षण
याद्दाश्त कम होना, जो कामकाज को प्रभावित करे
नई योजनाएं बनाने और लिखने में दिक्कत होना
घर की आम गतिविधियों को पूरा करने में परेशानी
किसी से मिलने की जगह बार-बार भूल जाना
किसी एक विषय पर अपनी राय ना बना पाना
सामाजिक और आर्थिक कार्यों के प्रति कम होती रुचि
मूड में अचनाक बदलाव होना
टाइप 3 डायबिटीज से ऐसे करें बचाव
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग के अनुसार हर दिन फिजिकल एक्टिविटी, ब्लड प्रेशर की मॉनिटरिंग, कॉग्निटिव ट्रेनिंग के जरिए इससे बचाव किया जा सकता है. टाइप 3 डायबिटीज की रोकथाम का खाने-पीने को लेकर कोई कनेक्शन सामने नहीं आया है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज की सलाह है कि शरीर के वजन को कंट्रोल रखने और फिजिकल एक्टिविटी से इंसुलिन रजिस्टेंस और प्री-डायबिटीज को रोकने में मदद मिल सकती है. वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर रोग से बचने के लिए किसी भी रणनीति की प्रभावशीलता को साबित नहीं किया है. हालांकि ब्लड शुगर को कंट्रोल रखकर फायदा मिल सकता है.
Ritisha Jaiswal
Next Story