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सर्दियों में अक्सर पैरों के सुन्न होने की समस्या रहती हैं। वहीं लोग आमतौर पर इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
सर्दियों में अक्सर पैरों के सुन्न होने की समस्या रहती हैं। वहीं लोग आमतौर पर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। मगर यह पेरिफेरल आर्टरी रोग हो सकता है। यह एक तरह का परिधान धमनी रोग है जिसका असर आमतौर पर पैरों पर पड़ता है। हेल्थ एक्सपर्ट अनुसार, इस दौरान शरीर के सभी अंगों में खून का बहाव कम या धीमा पड़ने लगता है। ऐसे में पैरों का सुन्न होना, दर्द व चलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसे दिल व दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता हैं। चलिए आज हम आपको इसे पेरिफेरल आर्टरी रोग के लक्षण व रोकधाम के कुछ खास उपाय बताते हैं...
पेरिफेरल आर्टरी रोग के लक्षण
इस रोग के लक्षण यह होते हैं कि पैरों या बाहों की मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन होने लगती है, जो कोई काम करने से शुरु हो जाती है, जैसे- चलना-फिरना, दौड़ना लेकिन कुछ समय आराम करने के बाद यह अपने-आप ठीक हो जाता है। दर्द जिस जगह हो रहा है, वह आर्टरी की जगह पर निर्भर करता है और पैरों की पिंडली में होने वाला दर्द इस रोग की सबसे आम जगह है। लंगड़ेपन की गंभीरता बड़ी अलग होती है, जिसमें छोटी-मोटी दिक्कतों के अलावा कमज़ोर करने वाली पीड़ा तक होती है। यह गंभीर स्थिति वाली घबराहट व्यक्ति के लिए चलना या दूसरी तरह की शारीरिक गतिविधि करना मुश्किल बना सकती है।
. पैरों में सुन्नपन या कमजोरी आना
. पैरों व बाहों की मांसपेशियों में दर्द व ऐंठन होना
. घबराहट के कारण शारीरिक गतिविधियां (चलना-फिरना, दौड़ना) करने में परेशानी होना
. थोड़ा सा काम करने पर भी कूल्हों, जांघों या ड़ियों की मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन होना
. चलना या सीढ़ी चढ़ने में परेशानी होना
. पैर की निचली सतह का ठंडा रहना
.पैर की उंगलियों या पैरों पर पड़े घावों को ठीक होने में देरी लगना और पैरों का रंग बदलना
. हेयर फॉल की समस्या होना
. पैरों के नाखून धीमी गति से मगर बालों का तेजी से बढ़ना
. पैरों की नसें कमजोर पड़ जाना
. पुरुषों में नपुंसकता
पेरिफेरल आर्टरी रोग बढ़ने पर आराम करने दौरान भी दर्द महसूस हो सकता है। इसके कारण ठीक से नींद ना आने की परेशानी भी सताती है। एक्सपर्ट अनुसार, पैरों को बिस्तर के किनारे लटकाने या फिर कमरे में घूमने से इस दर्द से कुछ समय के लिए आराम मिल सकता है।
पेरिफेरल आर्टरी रोग के कारण
पेरिफेरल आर्टरी रोग आमतौर पर एथेरोस्क्लेरोसिस की वजह से होने का खतरा रहता है। इस रोग (एथेरोस्क्लेरोसिस) में धमनियों के अंदर 'प्लाक' बनने की समस्या होने लगती है। धमनियां ऑक्सीजन युक्त खून को दिल और शरीर के अन्य हिस्सों में ले जाने का काम करती है। बता दें, वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और खून में मौजूद अन्य पदार्थों द्वारा 'प्लाक' का निर्माण होता है। एथेरोस्क्लेरोसिस में, फैटी डिपोज़िट आरट्री की दीवारों पर परत चढ़ाकर खून के बहाव को कम या धीमा कर देती है। इस कारण दिल के साथ पूरे शरीर की आरट्री प्रभावित हो सकती है। अगर शरीर के अंगों को खून की पूर्ति की जरूरत पड़ने पर यह आरट्री में हो तो यह पेरिफेरल आर्टरी रोग होने का कारण बनता है। ऐसे में इस रोग की चपेट में आने का मुख्य कारण खून की नली में सूजन, शरीर के अंगों पर चोट लगना, मांसपेशियों की असामान्य शारीरिक रचना आदि हो सकते हैं।
इन कारण से बढ़ सकता हैं पेरिफेरल आर्टरी रोग
. धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन करना
. डायबिटीज की बीमारी होना
. बढ़ता वजन
. हाई ब्लड प्रेशर व कॉलेस्ट्रॉल की समस्या होना
. हृदय रोग या स्ट्रोक की पारिवारिक हिस्ट्री होना
. होमोसिस्टीन (एक प्रोटीन घटक) टिश्यू बनाने और उसे बनाए रखने में मददगार होता है। इसके स्तर बढ़ने से भी पेरिफेरल आर्टरी रोग हो सकता है।
ऊपर लिखे गए कारणों से शरीर में खून का संचार कम या धीमा पड़ने लगता हैं। ऐसे में पेरिफेरल आर्टरी रोग होने का खतरा बढ़ता है।
आप अपनी लाइफ में कुछ बातों का ध्यान रख कर इसे कंट्रोल या रोक सकते हैं।
. धूम्रपान, अल्कोहल, जंक व ऑयली फूड से परहेज रखें
. डायबिटीज के मरीज ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रखें
. रोजाना एक्सरसाइज व योदा करें
. कम फैट वाला भोजन खाएं
. वजन कंट्रोल रखें
. ब्लड प्रैशर और कॉलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल रखें
हेल्थ एक्सपर्ट अनुसार, समय रहते इस रोग का इलाज करना बेहद जरूरी है। नहीं तो दिल व दिमाग के साथ पैरों में खून का प्रवाह धीमा पर सकता है। हेल्दी डाइट व लाइफ स्टाइल से इस रोग को कंट्रोल किया जा सकता है।
Ritisha Jaiswal
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