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1. सामान्य फैटी लीवर और स्टियाटोसिस- इस दौरान लीवर में वसा का जमनी शुरु हो जाती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | 1. सामान्य फैटी लीवर और स्टियाटोसिस- इस दौरान लीवर में वसा का जमनी शुरु हो जाती है। मगर सूजन की समस्या नहीं होती है। इस समय व्यक्ति को कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसके अलावा इसे डेली डाइट में कुछ बदलाव करके ठीक किया जा सकता है।
2. नॉन-एल्कोहलिक स्टियाटोहेपाटाइटिस- इस अवस्था में लीवर में वसा जमने से सूजन होने लगती है। इस दौरान लीवर क्षतिग्रस्त ऊतकों या टिशु को ठीक करने की कोशिश करता है। इसके कारण सूजन वाले टिशूज में घाव होने लगते हैं। इस दौरान रक्त वाहिकाओं में घाव वाले टिशु विकसित होने से फिब्रोसिस होने की अवस्था उतपन्न होती है।
3. फिबरोसिस- जैसे कि पहले ही बताया गया है कि रक्त वाहिकाओं में घाव वाले टिशु विकसित होने से फिब्रोसिस की समस्या होने लगती है। इस दौरान भी लीवर सामान्य तरीके से काम करने में सक्षम होता है। फिबरोसिस की अवस्था आने पर सही इलाज करने से इसे परेशानी को बढ़ने से रोका जा सकता है। भले ही इस अवस्था में घाव वाले टिशूज की जगह पर स्वस्थ टिशूज बन जाते हैं। मगर इससे लीवर का काम प्रभावित होने से सिरोसिस की समस्या हो सकती है।
4. सिरोसिस- यह नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर का चौथा व आखिरी चरण है। इस अवस्था पर पहुंचने से लीवर की कार्य प्रणाली बंद हो जाती है। इस दौरान त्वचा व आंखों में पीलापन आदि लक्षण दिखाई देते हैं। इस दौरान टिशू में बने घाव को दूर करना भी आसान नहीं होता है।
एक्सरपर्ट्स के अनुसार, ज्यादातर लोगों में सामान्य फैटी लीवर के लक्षण पाएं जाते हैं जिसे डेली लाइफ स्टाइल व डाइट में बदलाव करने ठीक किया जा सकता है। वहीं इसके तीसरे और चौथे चरण यानि फिबरोसिस तथा सिरोसिस को विकसित होने में 3-4 वर्ष लगते हैं।
फैटी लीवर के कारण
. भारी मात्रा में कैफीन का सेवन
. आनुवांशिकता
वजन बढ़न
. अधिक मात्रा में ऑयली व मसालेदार भोजन खाना
. खून में वसा का लेवल अधिक होना
. डायबिटीज
. स्टेरॉयड, एस्पिरीन या ट्रेटासिलीन आदि दवाओं का अधिक सेवन करना
. पीने के पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा का होना
. वायरल हेपेटाइटिस
फैटी लीवर के लक्षण
आप फैटी लीवर के शुरुआती लक्षणों से पहचानकर इसे रोक सकती है। चलिए जानते हैं इसके बारे में...
. वजन कम होना
. आंखों और त्वचा में पीलापन बढ़ना
. थकान, कमजोरी महसूस होना
. पेट के दाए हिस्से के ऊपरी भाग में दर्द होना
. पेट में सूजन की शिकायत होमा
बच्चों में फैटी लीवर के कारण व लक्षण
वैसे तो बच्चों में फैटी लीवर के लक्षण बेहद ही कम दिखाई देते हैं। इनमें से नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर के कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। मगर फिर भी मोटापे से परेशान या जिन बच्चों में चयापचय विकार हो उनमें देखने को मिलते हैं। इसके पीछे का मुख्य कारण भारी मात्रा में चीनी, मसालेदार, ऑयली, जंक फूड आदि का सेवन करना है। फैटी लीवर से परेशान बच्चे को पेट दर्द, थकान, कमजोरी, खून में लीवर लीवर एन्जाइम्स का स्तर बढ़ना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।
ऐसे करें फैटी लीवर से बचाव
आयुर्वेद अनुसार, व्यक्ति अपने लाइफ स्टाइल व डेली डाइट में बदलाव करने फैटी लीवर की परेशानी से बच सकता है। आयुर्वेद शरीर में मौजूद वात, पित्त, कफ के सिद्धान्त पर काम करता है। यह प्राकृतिक तौर पर असंतुलित दोषों में बैलेंस बनाने में मदद करता है। यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकाले व रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करता है। मगर आयुर्वेद उपचार में रोगी को अपनी जीवनशैली व खानपान का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।
इस बातों का रखें ध्यान
. ताजे फल व सब्जियों का सेवन करें।
. फाइबर से भरपूर चीजें खाएं।
. नमक का सेवन कम करें। इसके अलावा ट्रांसफैट, रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट्स तथा सफेद चीनी खाने से बचें।
. अल्कोहल व कैफीन से परहेज रखें।
. लहसुन शरीर में फैट जमा होने से रोकता है। इसलिए डेली डाइट में इसका सेवन करें।
. ग्रीन-टी, नींबू पानी आदि पीएं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इसका सेवन करने से फैटी लीवर की समस्या कम होने में मदद मिलती है।
. जंक व ऑयली फूड ना खाएं।
ज्यादा से ज्यादा हरी व पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां जैसे कि पालक, ब्रोकली, लौकी, टिंडा, तोरी, प्याज, लहसुन, अदरक आदि का सेवन करें।
. साबुत अनाज खाएं।
. राजमा, सफेद चना, काली दाल आदि का सेवन कम करें। इसकी जगह हरी मूंग दाल और मसूर दाल का सेवन करें।
. मक्खन, मेयोनीज, चिप्स, केक, पिज्जा, मिठाई, चीनी आदि वजन बढ़ाने और लीवर पर फैट जमा होने का कारण बनती है। ऐसे में इसका सेवन करने से बचे।
. रोजाना 20-30 मिनट तक प्राणायाम करें। सुबह-शाम सैर करें।
बच्चों में फैटी लीवर का खतरा कम करने के उपाय
. मीठा, जंक फूड ना दें।
. रेशेदार व हरी सब्जियां खिलाएं।
डॉक्टर के पास कब जाना सही?
अब हमने आपकोे फैटी लीवर होने के कारण, लक्षण आदि संबंधी जरूरी जानकारी दे दी है। ऐसे में अगर आपको लक्षण ज्यादा दिखाई दें तो बिना देरी लगाएं डॉक्टर से संपर्क करें। इसतरह आप समय पर इसका इलाज करवाकर स्वस्थ हो पाएंगे।

Ritisha Jaiswal
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