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गर्मियों के मौसम में उल्टी, दस्त व पेचिश जैसी बीमारी बहुत फैलती है। इन बीमारियों के आसान घरेलू इलाज आपकी रसोई में ही मौजूद हैं। प्र आसान इलाज बताए हैं।
ईसबगोल की भूसी 5 से 10 ग्राम (एक या दो चम्मच) दही 125 ग्राम में घोलकर सुबह-शाम खिलाने से दस्त बन्द होते हैं। ईसबगोल की भूसी मल को गाढ़ा करती है और आंतों का कष्ट कम करती है। ईसबगोल की भूसी का लसीलेपन का गुण मरोड़ और पेचिश रोगों को दूर करने में सहायक होता है।
विशेष – अतिसार के रोगी को पूर्ण विश्राम आवश्यक है। रोगी को दो दिन कोई ठोस वस्तु नहीं दी जानी चाहिए बल्कि छाछ या म_ा दिन में दो- तीन बार दिया जा सकता है। यदि रोगी से खाना खाये बिना रहा नहीं जाये तो चावल-दही देना चाहिए। ज्वर होने पर चावल-दही न दें। छिलके वाली मूँग की दाल व चावल की खिचड़ी दी जा सकती है।
सहायक उपचार – खाना खाने के बाद 200 ग्राम छाछ में भुना हुआ जीरा एक ग्राम और काला नमक आधा ग्राम मिलाकर पियें, दस्त बन्द होंगे। दही में भुना हुआ जीरा मिलाकर प्रयोग करने तथा भुनी हुई सौंफ चबाकर खाने से पाचन क्रिया ठीक होती है। आम की गुठली की गिरी को पानी (अथवा दही के पानी) में खूब पीसकर नाभि पर गाड़ा गाढ़ा लेप करने से सब प्रकार के दस्त बन्द हो जाते हैं। नाभि के पास अदरक का रस लगाने से सब तरह के दस्तों में लाभ होता है।
विकल्प :- सौंफ और जीरा सफेद दोनों बराबर वजन लेकर तवे पर घून लें और बारीक पीसकर तीन-तीन ग्राम की मात्रा से तीन-तीन घंटों के अन्तर से ताजा पानी के साथ खिलाएँ। दस्त बन्द करने के लिए आसान दवा है।
आमाशय सम्बन्धी समस्त रोग- सॉफ 12 ग्राम, सफेद जीरा 6 ग्राम दोनों बारीक पीसकर 12 ग्राम खाँड मिलाकर शीशी में रख लें। प्रात: तथा सायं एक चम्मच की मात्रा ठण्डे पानी के साथ दिया करें। 10-15 दिन के सेवन से सब प्रकार के आमाशय सम्बन्धी रोग तथा पेट दर्द, शूल, अफारा आदि नष्ट हो जाते हैं। जिन्हें भोजन से घृणा हो गई हो या भोजन के बाद उल्टी हो जाती है, उनके लिए लाभप्रद हैं, अत्यन्त अनुभूत है।
विकल्प – हर प्रकार के दस्त बन्द करने के लिए-सूखा आँवला दस ग्राम और काली हरड़ पाँच ग्राम दोनों को लेकर खूब बारीक पीस लें। फिर एक-एक ग्राम की मात्रा से प्रात: सायं पानी के साथ फाँके। हर प्रकार के दस्त बन्द करने के लिए अत्यन्त सरल और अचूक औषधि है। तीन-चार मात्राओं के सेवन से रोगी को बिल्कुल आराम आ जाता है तथा इससे आमाशय को भी बल मिलता है।
पतले दस्त – आधा कप उबलता हुआ गर्म पानी लें। इसमें एक चम्मच अदरक का रस मिलायें और जितना गरम पी सकें, उतना गर्म पी लें। इस तरह एक-एक घंटे में एक-एक खुराक लेते रहने से पानी की तरह हो रहे पतले दस्त बन्द हो जाते हैं। अनुभूत है।
प्रबल पानी की भाँति नदी के वेग के समान दस्त – 30 ग्राम या आवश्यकतानुसार सूखे आँवले को पानी में खूब बारीक पीस लें और लुग्दी (चटनी) बना लें। रोगी को चित्त लेटा दें। रोगी की नाभि के चारों और उस लुग्दी का कुंआ सा गोलाकार घेरा बना दें। नाभि बीच में खाली रहे। इस घेरे में तुरन्त अदरक का रस भर दें और रोगी को चित्त लेटा रहने दें। इस क्रिया से बिना औषधि खाये भयंकर से भयंकर अत्यन्त प्रबल पानी की भाँति और न रुकने वाले नदी के वेग के समान तथा समुद्र के समान हिलोरे मारते दस्त भी रुक जाते हैं।
पेचिश आँवयुक्त (नई या पुरानी)
स्वच्छ सौंफ 300 ग्राम और मिश्री 300 ग्राम लें। सौंफ के दो बराबर हिस्से कर लें। एक हिस्सा तवे पर भून लें। भुनी हुई और बची हुई सौंफ लेकर बारीक पीस लें और उतनी ही मिश्री (पिसी हुई) मिला लें। इस चूर्ण को छ: ग्राम (दो चम्मच) की मात्रा से दिन में चार बार खायें। ऊपर से दो घूंट पानी पी सकते हैं। ऑवयुक्त पेचिश-नयी या पुरानी (मरोड़ देकर थोड़ा-थोड़ा मल तथा आँव आना) के लिए रामबाण है। सौंफ खाने से बस्ती-शूल या पीड़ा सहित आँव आना मिटता है।
सहायक उपचार — दही-भात, मिश्री के साथ खाने से आँव-मरोड़ों के दस्तों में आराम आता है।
विकल्प— दानामैथी— मैथी (शुष्क दाना) का साग बनाकर रोजाना खाएँ अथवा मैथी दाना का चूर्ण तीन ग्राम दही में मिलाकर सेवन करें। आँव की बीमारी में लाभ के अतिरिक्त इससे मूत्र का अधिक आना भी बन्द होता है। मैथी के बीजों को डॉ. पी. ब्लम ने कॉड लीवर आयल के समान लाभकारी बताया है । चन्दलिया (चौलाई) का साग (बिना मिर्च या तेल पका हुआ) लगभग 150 ग्राम प्रतिदिन 11 दिनों तक खाने से पुराने से पुराना आँव का रोग जड़ से दूर होता है। गुर्दे की पथरी (Kidney Stone) में भी चौलाई का साग लाभकारी है। यह साग राजस्थान में खूब होता है।
छोटी हरड़ तथा पीपर का चूर्ण— हरड़ छोटी दो भाग और पीपर छोटी एक भाग दोनों का बारीक चूर्ण कर लें। एक से डेढ़ ग्राम चूर्ण गर्म पानी से दोनों समय भोजन के बाद आवश्यकतानुसार तीन दिन से एक सप्ताह तक नियमित लें। इससे आँव और शूलसहित दस्त शांत होते हैं। यह अमीबिक पेचिश में विशेष लाभप्रद है।
खूनी दस्त (Bloody Diarrhea) – बेलगिरी दस ग्राम, सूखा धनिया दस ग्राम और मिश्री बीस ग्राम लेकर पीस लें। तीनों चीजें मिलाकर 5 ग्राम चूर्ण ताजा पानी से दिन में तीन बार खिलाने पर बहुत शीघ्र लाभ होता है।
विकल्प — 12 ग्राम धनिया (शुष्क दाना) पीसा हुआ चूर्ण में 12 ग्राम मिश्री मिलाकर आधा कप पानी में घोलकर पीने से दस्त में खून आना रुकेगा।
खाने के बाद तुरन्त पाखाना जाने की आदत से छुटकारा
100 ग्राम सूखे धनिये में 25 ग्राम काला नमक पीसकर मिलाकर रख लें। भोजन के बाद दो ग्राम (आधा चम्मच) की मात्रा फाँककर ऊपर से पानी पी लें। आवश्यकतानुसार निरन्तर एक-दो सप्ताह लेने से खाने के बाद तुरन्त पाखाना जाने की आदत छूट जाती है।
विकल्प —खाने के तुरन्त बाद पाखाना आता हो तो भुनी हुई सौंफ और जीरा समभाग का चूर्ण बनाकर रख लें। खाने के बाद एक चम्मच की मात्रा से इस चूर्ण को फाँककर ताजा पानी पीना चाहिए। भोजन के बाद केवल भुनी हुई सौंफ चबाने से भी लाभ होता है। दो-तीन सप्ताह लें।
संग्रहणी तथा पुरानी पेचिश तथा अन्य उदर रोगों में रामबाण
सूखा आँवला और काला नमक बराबर लें। सूखे आँवलों को भिगोकर मुलायम हो जाने पर काला नमक डालकर बारीक पीसे और झरबेरी के बराबर गोलियाँ बनाकर छाया में सुखाकर सावधानी से रख लें। दिन में दो बार भोजन के आधा घंटा बाद लें। इस योग से संग्रहणी तथा पुरानी पेचिश कुछ दिनों के प्रयोग से ठीक हो जाती है।
विशेष—पेट दर्द में गर्म पानी से एक या दो गोली चूसें। शीघ्र आराम मिलता है।
विकल्प — दो पके केले 125 ग्राम दही के साथ कुछ दिन खाने से आंतों की खराबी ठीक होती है और दस्त, पेचिश, संग्रहणी आदि सर्व अतिसारों में लाभदायक है।
वमन या उल्टी (Vomit)
दो लौंग कूटकर 100 ग्राम पानी में डालकर उबालें। आधा पानी रहने पर छानकर स्वाद के अनुसार मिश्री मिलाकर पी लें और करवट लेकर सो जाएँ। दिन भर में चार-चार घंटे से ऐसी चार मात्राएँ लेने से उल्टियाँ बन्द हो जाएंगी।
विशेष- दो लौंग पीसकर 30 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा गर्म करके पिलाने से जी मिचलाना (Nausea ) ठीक हो जाता है। लौंग के पानी से सूखी हिचकियाँ भी शान्त हो जाती है। केवल एक-दो लौंग चबाने-चूसने से भी जी मिचलाना और मुख का बिगड़ा स्वाद ठीक होता है। चक्कर, उबकाई आने में लौंग का प्रयोग बड़ा लाभप्रद है। गर्भावस्था की उल्टियों में दो लौंग मिश्री के साथ पीसकर आधा कप गर्म पानी में मिलाकर देने से आराम होता है। बस में सफर करते समय जिन्हें उल्टियाँ होती हों, उन्हें भी मुँह में एक लौंग रखकर चूसना लाभप्रद रहता है। मुख का बिगड़ा स्वाद ठीक करने के लिए, मुख शुद्धि और कीटाणुरहित करने के लिए आवश्यकता के समय दिन में एक बार एक लाँग चूसना लाभप्रद होता है।
तेज गर्मी के प्रभाव से उत्पन्न वमन
बारह ग्राम धनिया (तीन चम्मच) के चूर्ण को 250 ग्राम पानी में एक घंटे के लिए भिगों दें। स्वाद के लिए एक चम्मच मिश्री का चूर्ण भी मिला सकते हैं। एक घंटे बाद छानकर एक-एक घंटे से बच्चों को एक चाय का चम्मच और बड़ों को एक ऑस (तीस ग्राम) की मात्रा से पिलाने से उल्टी रुक जाती है। गर्मी से चक्कर, उल्टी, दिल धडक़ना आदि शिकायतें मिटती है। गर्भवती की उल्टी भी ठीक होती है। उल्टियों में सूखा धनिया मिश्री के साथ सेवन करने से आशातीत लाभ मिलता है।
यदि जी मिचलाए और कै आने को करे
एक कागजी नींबू के दो टुकड़े कर लें। उन पर पिसा हुआ सैंधा नमक और काली मिर्च मिलाकर लगा लें और धीरे-धीरे चूस लें। देखते ही देखते जी मिचलाना, कै होना, उल्टी होकर चक्कर आना मिटता है।
उबकाई (Nausea)
लौंग 5 व मिश्री 10 ग्राम को खूब महीन पीसकर 30 ग्राम पानी मिलाकर पीने से उबकाई या बदहज्मी मिटती है।
रक्तवमन (Hemoptysis)
जीरा 3 ग्राम और मिश्री 6 ग्राम मिलाकर बनाये गये चूर्ण को पानी के साथ फॉक लेने से उल्टी में खून आना, रक्तस्राव, उबाक, वमन व अरुचि दूर होते हैं। आवश्यकतानुसार दिन में दो-तीन बार लें।
बहुत कठिन वमन
जब किसी दवा से वमन बन्द न हो तो चूने का पानी एक चम्मच, दूध 125 ग्राम में मिलाकर दिन में दो बार पीएँ। इससे ज्वर की वमन, पीले बुखार की काली वमन भी बन्द होती है।
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Apurva Srivastav
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