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यदि पारंपरिक योग आपको उबाऊ लगता हो और आप अपने वर्कआउट में कुछ रोमांच लाना चाहती हों तो योग की इन विविधताओं से रूबरू होइए.
ऐक्वा योग
पानी से प्यार करनेवालों को स्विमिंग पूल में किया जानेवाला यह योग बेहद पसंद आएगा. पानी जोड़ों पर पड़नेवाले दबाव को कम करता है और आपको अधिक लचीला बनाता है. आर्थ्राइटिस, सख़्त जोड़ों और पीठ की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए यह बेहतरीन साबित हो सकता है. पानी में स्ट्रेचिंग करना आपके फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और शरीर पर शांतिदायक प्रभाव डालता है.
ऐंटी-ग्रैविटी योग
ऐंटी-ग्रैविटी या एरियल योग में पिलाटे, डांस योग और जिमनैस्टिक्स सभी का समन्वय है. झूले पर किए जानेवाले इस योग से पूरे शरीर का वर्कआउट होता है. आपका पूरे सेशन के दौरान गुरुत्वाकर्षण से मुक़ाबला है, जो संतुलन और लचीलेपन को बढ़ाने में सहायता करता है. ऐंटी-ग्रैविटी योग पीठ को लचीला और मज़बूत बनाने में सहायक होता है और सिर से लेकर पांव तक शरीर को एक सीध में बनाए रखता है. यह सुनिश्चित करता है कि सभी हिस्सों में पर्याप्त खिंचाव आए. एरियल योग पारंपरिक योग अभ्यास में नयापन, आनंद और मुश्क़िलों का नया स्तर और तीव्रता लाता है.
स्टैंड अप पैडल (एसयूपी)
हालांकि यह योग भारत में लोकप्रिय नहीं हो पाया है, जिसका कारण यहां का मौसम और स्वच्छ बीचेस की कमी है, लेकिन विदेशों में यह काफ़ी चर्चित है. स्टैंड अप पैडल योग सर्फ़िंग और योग का मेल है. इस योग में एक सर्फ़बोर्ड पर खड़े होकर क्रमबद्ध आसन करने होते हैं. एक अस्थिर सतह पर व्यायाम करके आप अपने कोर व मांसपेशियों को मज़बूत बनाते हैं, जैसा कि सामान्य योग क्लास में नहीं हो पाता. यह संतुलन, एकाग्रता, मज़बूती और लचीलेपन को बेहतर बनाता है.
बैले योग
जब आप बैले के बारे में सोचती हैं तो पहली चीज़ जो दिमाग़ में आती है वह है लालित्य, लचीलापन और पॉश्चर. बैले डांसर्स अपने सुडौल, छरहरे शरीर के लिए जाने जाते हैं. योग का यह रूप बैले और योग इन दोनों विधाओं का समन्वय है, जो आपकी मांसपेशियों में लचीलापन लाता है. बैले और योग के मिलन से शरीर को मज़बूती और सुडौल बनने में सहायता मिलती है.
ऐक्रो योग
पार्टनर आधारित इस वर्कआउट में योग के साथ ऐक्रोबैटिक्स और थाई मसाज के कुछ तत्व शामिल होते हैं. ऐक्रो योग संतुलन, लचीलापन और ताक़त बढ़ाने के लिए गुरुत्वाकर्षण और शरीर के भार का इस्तेमाल करता है. दंपतियों द्वारा किए जाने पर यह भावनात्मक रूप से उन्हें और क़रीब लाता है.
हिप हॉप योग
योग के इस मज़ेदार तरीक़े को अपनाकर आप अपने रूटीन में एक अच्छी आदत शामिल करें. ये उन लोगों के लिए है, जो अपनी क्लास में कुछ मज़ेदार शामिल करना चाहते हैं. इसके सेशन्स में संगीत का बोलबाला होता है और यह ऊर्जा से भरपूर होता है. कोरियोग्राफ़ी काफ़ी गतिशील और प्रेरक होती है. ये युवाओं के बीच काफ़ी लोकप्रिय है और यह वास्तव में शरीर में खिंचाव लाता है. हिप हॉप योग समुदाय की भावना को प्रबल करता है, क्योंकि यह एक के पीछे एक क्रमबद्ध तरीक़े से या समूह में किया जाता है, जो ख़ूबसूरत सामूहिक ऊर्जा का निर्माण करता है. हिप हॉप योग में योग और हिप हॉप दोनों ही विधाओं की ख़ासियतें शामिल हैं, जैसे-संपूर्ण शरीर का वर्कआउट और दिमाग़ी शांति व उत्साह में बढ़ोतरी.
लेकिन... क्लासिक को नज़रअंदाज़ न करें
अब जब आप जान चुकी हैं कि योग की दुनिया के नए ट्रेंड्स कौन-से हैं, इससे पहले कि आप इनमें से किसी को अपनी रूटीन में शामिल करें, कुछ बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी है. विभिन्न प्रकार के योग को अपनाने के लिए पारंपरिक योग में मज़बूत आधार का होना बहुत ज़रूरी है. हमें योग के पारंपरिक स्वरूप का अभ्यास करना बंद नहीं करना चाहिए और नए लोगों को हठ, अष्टांग, अय्यंगर या शिवानंदा स्टाइल से शुरुआत करनी चाहिए. पारंपरिक तकनीकों, आसनों और अलाइन्मेंट्स पर अपनी पकड़ मज़बूत बनाने के बाद ही आप प्रयोगात्मक फ़ॉर्म्स की शुरुआत कर सकती हैं. ज़्यादातर नए फ़ॉर्म्स में ज़्यादा ताक़त, स्टैमिना और फुर्ती की ज़रूरत होती है, इसलिए कोई भी मुश्क़िल प्रकार आज़माने से पहले बुनियादी योग के पॉश्चर जान लेना चाहिए. यदि पूरी सतर्कता और बुद्धिमत्ता के साथ इन्हें नहीं किया गया तो इसके परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं.
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