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कोरोना जैसी भयानक महामारी के बाद से ही जहां कुछ लोगों ने वैक्सीन के महत्व को समझा है,
वैक्सीनेशन हमें सुरक्षित और स्वस्थ रखने में काफी अहम भूमिका निभाता है। टीकाकरण की मदद से हम कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचे रहते हैं। पैदा होने के साथ ही मानव शरीर को सुरक्षा प्रदान करने के मकसद से अलग-अलग तरह की वैक्सीन लगाई जाती है। वैक्सीनेशन की इसी अहमियत को बताने के मकसद से हर साल 16 मार्च को नेशनल वैक्सीनेशन डे (National vaccination Day) मनाया जाता है।
कोरोना जैसी भयानक महामारी के बाद से ही जहां कुछ लोगों ने वैक्सीन के महत्व को समझा है, तो वहीं आज भी कई लोग ऐसे हैं, जिनके मन में वैक्सीन को लेकर कई सारे मिथक घर किए हुए हैं। ऐसे में वैक्सीनेशन डे के मौके पर आज हम आपको बताएंगे वैक्सीनेशन से जुड़े कुछ आम मिथक और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा बताएं गए इनके फैक्ट्स के बारे में-
वैक्सीनेशन से जुड़े मिथ वर्सेज फैक्ट्स
मिथ- टीके सुरक्षित नहीं होते हैं?
फैक्ट- किसी बीमारी के लिए बनाई गई वैक्सीन को पूरे मूल्यांकन और परीक्षण के बाद ही लाइसेंस दिया जाता है, ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी दोनों है। साथ ही किसी भी वैक्सीन को लाइसेंस मिलने के बाद खुद WHO इसकी निगरानी करता है।
मिथ- टीकाकरण ऑटिज्म का कारण बनता है?
फैक्ट- मीजल्स-मंप्स-रूबेला (एमएमआर) टीका या कोई अन्य टीके और ऑटिज्म के बीच संबंध का कोई सबूत नहीं है। इस टीकाकरण और ऑटिज्म के बीच संबंध दर्शाती 1998 में आई एक स्टडी को गलत पाया गया और फिर इसे प्रकाशित करने वाले जर्नल द्वारा शोध के इस पेपर को वापस ले लिया गया था। इसके बाद से ही ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया है, जिससे वह पता चले कि टीकाकरण ऑटिज्म का कारण बनता है।
मिथ- एक समय में बच्चे को एक से अधिक टीके देना हानिकारक होता है। साथ ही इससे बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है?
फैक्ट- वैज्ञानिक प्रमाण यह बताते हैं कि एक ही समय में कई टीके देने से बच्चे या उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
मिथ- वैक्सीन्स में पारा (Mercury) होता है, जो सेहत के लिए खतरनाक है?
फैक्ट- थियोमर्सल एक ऑर्गेनिक, एथिलमरकरी कंपाउंड है, जिसे कुछ टीकों में प्रीजर्वेटिव के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन बहुत कम टीकों में ही थियोमर्सल होता है। अगर वैक्सीन में इसका उपयोग किया जाता है, तो इसकी मात्रा बहुत, बहुत कम होती है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि किसी भी टीके में इस्तेमाल होने वाली थियोमर्सल की मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।
मिथ- अतीत में जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ था, वे लंबा और स्वस्थ जीवन जीते थे। इसलिए टीकाकरण की कोई आवश्यकता नहीं है?
फैक्ट- खसरे का टीका आने से पहले 10 वर्ष की आयु में पहुंचने तक 90% से अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे। ऐसे में इस बीमारी से बचे हुए लोगों में से कई को गंभीर और कभी-कभी आजीवन परिणाम भुगतने पड़े। टीका लगाने इन रोगों के प्रभाव कम हो सकते हैं, इसलिए सुरक्षित रहने के लिए बेहतर है कि आप वैक्सीन लगवाएं, ताकि किसी बीमारी के गंभीर परिणाम से बचा जा सके।
मिथ- वैक्सीन न लगवाने की तुलना में, टीका लगवाने वाले बच्चों में एलर्जी, ऑटोइम्यून और रेस्पिरेटरी संबंधित बीमारियों के मामले ज्यादा देखने को मिले।
फैक्ट- टीका हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कुछ एंटीजनों पर प्रतिक्रिया करना सिखाता है। लेकिन वैक्सीन इसके काम करने के तरीके को नहीं बदलती है। ऐसे में टीकाकरण का एलर्जी, ऑटोइम्यून और रेस्पिरेटरी संबंधित बीमारियों के साथ संबंध का कोई सबूत नहीं मिला है।
मिथ- कैंसर के मामलों में वैश्विक वृद्धि के लिए आंशिक रूप से टीकाकरण जिम्मेदार है?
फैक्ट- वैक्सीन लगवाने से कैंसर नहीं होता है। इसके विपरीत ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के खिलाफ टीके के उपयोग से कई प्रकार के कैंसर जैसे सर्वाइकल, एनल,ऑरोफरीन्जियल आदि को रोकने में मदद मिलती है।
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Apurva Srivastav
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