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इनमें क्लिनजिंग, टोनिंग और मॉइस्चराइजिंग के स्टेप्स सामान्य हैं। लेकिन कुछ स्टेप्स ऐसे हैं
स्किनकेयर एक ऐसी आदत है जिसके परिणाम एक दिन में विकसित नहीं होते बल्कि निरंतर अभ्यास से इसके फायदे नजर आते हैं। हर किसी का स्किनकेयर रूटीन अलग होता है, जो उनकी त्वचा के अनुकूल होता है। लेकिन कुछ स्टेप्स ऐसे हैं जो हर व्यक्ति अपनाता ही है। इनमें क्लिनजिंग, टोनिंग और मॉइस्चराइजिंग के स्टेप्स सामान्य हैं। लेकिन कुछ स्टेप्स ऐसे हैं जिन्हें लेकर लोगों के मन में कई तरह के भ्रम बैठे हुए हैं। ऐसे ही स्किनकेयर मिथकों के बारे में बात करने जा रहे हैं जो सालों से लोगों के मन घर कर के बैठे हुए हैं।
स्किनकेयर को लेकर सबसे बड़े मिथक-
1. "ऑइली स्किन को मॉइश्चराइजर की जरूरत नहीं होती"
तैलीय त्वचा वाले कई लोगों का मानना है कि उन्हें मॉइश्चराइजर की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उनकी स्किन पहले से ही पर्याप्त तेल का उत्पादन कर रही है। लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि तैलीय त्वचा भी डीहाईड्रेट हो सकती है और मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करने से त्वचा के तेल उत्पादन को संतुलित करने में मदद मिलती है। एक हल्का और ऑइल फ्री मॉइश्चराइजर चुननें जो आपकी पोर्स को बंद नहीं करेगा।
2. "महंगे प्रोडक्ट्स स्किन के लिए बेहतर होते हैं"
स्किनकेयर को लेकर आम गलत धारणाओं में से एक यह भी है कि प्रोडक्ट जितना महंगा होता है, उतना ही बेहतर होता है। हालांकि, यह हमेशा सही नहीं होता है। कई हाई-एंड स्किनकेयर प्रोडक्ट्स में दूसरे उतपादों जितना ही एक्टिव इंग्रीडिएट शामिल होता है, बस महंगे उत्पादों को अधिक लग्जरी तरीके से पैक किया जाता है और मार्केट में बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जाता है। इसीलिए आपको कोई भी उत्पाद चुनने से पहले उसमें मौजूद इंग्रीडिएंट के बारे में जानना चाहिए और यह निर्धारित करना चाहिए कि कौन से उत्पाद आपकी त्वचा के लिए सबसे अच्छा काम करेंगे।
3. "आपको हर दिन एक्सफोलिएट करना चाहिए"
किसी भी स्किनकेयर रूटीन में एक्सफोलिएशन एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे डेड स्किन सेल्स हटाने में मदद मिलती है, जिससे आपकी त्वचा चमकदार होती है। हालांकि, कई बार हद से ज्यादा एक्सफोलिएट करना त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है। अत्यधिक एक्सफोलिएशन से रेडनेस, जलन और यहां तक कि स्किन ब्रेकआउट्स की समस्या भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने स्किन टाइप को समझें और उसी के आधार पर सप्ताह में दो से तीन बार से अधिक एक्सफोलिएट ना करें।
4. "सनस्क्रीन केवल धूप के दिनों में जरूरी है"
सनस्क्रीन का नाम सुनकर लोगों को लगता है कि धूप में निकलने के दौरान ही इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। सूरज की हानिकारक यूवी रेज बादलों, खिड़कियों और यहां तक कि कपड़ों में भी प्रवेश कर सकते हैं। मौसम की स्थिति की परवाह किए बिना, त्वचा को नुकसान से बचाने और समय से पहले बूढ़ा होने से बचने के लिए हर दिन सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
5. "आपके पोर्स 'सिकुड़' सकते हैं"
पोर्स स्किन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इन्हें छोटा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, उन्हें कम जरूर कर सकते हैं। ठीक तरह से क्लिंजिंग और एक्सफोलिएशन पोर्स को साफ रखने में मदद कर सकते हैं, जबकि सैलिसिलिक एसिड या रेटिनोइड्स वाले उत्पाद समय के साथ चेहरे पर पोर्स की उपस्थिति को कम करने में मदद कर सकते हैं।
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Apurva Srivastav
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