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- जाने फलो के राजा आम का...
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गर्मियों का राजा आम, भारत में ही नहीं, दुनिया भर में पसंद किया जाता है। इसकी मिठास और स्वाद हर किसी को मोह लेता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम की विभिन्न किस्मों के नाम कैसे पड़े? कुछ किस्मों के नाम उनके स्वाद या आकार पर आधारित हैं, जैसे लंगड़ा (मीठा और रसदार), दशहरी (दस दिनों तक टिकने वाला), तोतापुरी (तोते की चोंच जैसा आकार), आप्टस (अमृत फल)। कुछ किस्मों का नाम उनके उगने वाले क्षेत्र पर आधारित है, जैसे बंगालशाह (बंगाल में उगने वाला), लखनवी (लखनऊ में उगने वाला), फैजाबादी (फैजाबाद में उगने वाला)।कुछ किस्मों का नाम किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम पर रखा गया है, जैसे हाफिज (मशहूर कवि हाफिज के नाम पर), नूरजहाँ (मुगल बादशाह जहाँगीर की पत्नी नूरजहाँ के नाम पर) तो अगली बार जब आप आम का आनंद लें, तो ज़रा सोचिए कि आप किस किस्म का स्वाद ले रहे हैं और उसका नाम कैसे पड़ा। आम की अनेक किस्में हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अनूठा स्वाद, आकार और रंग होता है। इनमें से कुछ प्रसिद्ध किस्मों के नामों के पीछे दिलचस्प कहानियां भी छिपी हैं। आइए, लंगड़ा, सिंदूरी, केसर और दशहरी नामों की कहानियों को जानते हैं ।
सिंदूरी आम ,आम के कई स्वादिष्ट किस्मों में से एक है सिंदूरी आम। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, इस किस्म का आम अपने लाल रंग के छिलके के लिए जाना जाता है। यह लाल रंग सिर्फ दिखने में ही सुंदर नहीं है, बल्कि इसमें कुछ खास भी है। सिंदूरी आम का लाल रंग एंथोसाइन नामक एक एंटीऑक्सीडेंट के कारण होता है। एंथोसाइन न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह आम को एक अनोखा स्वाद और सुगंध भी प्रदान करता है। सिंदूरी आम का स्वाद मीठा और रसीला होता है, और इसमें हल्का खट्टापन भी होता है। यह आम मध्यम आकार का होता है और इसका गूदा सुनहरा पीला होता है। सिंदूरी आम जून और जुलाई के महीनों में बाजार में आता है।
लंगड़ा आम, अपने स्वादिष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका नाम कैसे पड़ा? कहा जाता है कि 250 साल पहले, बनारस के एक शिव मंदिर में एक लंगड़ा पुजारी रहता था। एक दिन, एक साधु मंदिर में आया और उसने मंदिर परिसर में दो आम के पौधे लगाए। जाते-जाते, साधु ने पुजारी से कहा कि इन पेड़ों से होने वाले फल किसी को न देना। कुछ सालों बाद, पेड़ों में फल लगने लगे। फल बहुत स्वादिष्ट थे, और उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई। बनारस के राजा को भी इन आमों के बारे में पता चला और उन्होंने पुजारी से फल मांगे। पुजारी ने साधु की बात मानते हुए राजा को फल देने से मना कर दिया। राजा ने गुस्से में पुजारी को गिरफ्तार कर लिया और उसे लंगड़ापन का ताना मारते हुए कहा, “तुम्हारे जैसे लंगड़े आदमी के लिए इतने स्वादिष्ट फल क्यों?” यह सुनकर, पुजारी ने राजा को पूरी कहानी सुनाई। राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने पुजारी को माफ़ी मांगी। उसी दिन से, उन आमों को “लंगड़ा” के नाम से जाना जाने लगा।
केसर आम,गुजरात में उगाया जाने वाला केसर आम, अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए जाना जाता है। इस आम का नाम केसरी रंग के होने के कारण पड़ा है। यह आम गहरे केसरिया रंग का होता है, जो इसे आमों की भीड़ से अलग बनाता है। केसर आम मीठा और रसीला होता है, और इसमें हल्का खट्टापन भी होता है। यह आम मध्यम आकार का होता है और इसका गूदा सुनहरा पीला होता है। यह आम जून और जुलाई के महीनों में बाजार में आता है।
तोतापुरी आम भारत के दक्षिणी भागों में लोकप्रिय आम की एक किस्म है। इसका नाम तोते की चोंच जैसी नुकीली चोंच के आकार के कारण पड़ा है। यह आम मध्यम आकार का होता है और इसका रंग हरा होता है। तोतापुरी आम मीठा और थोड़ा खट्टा होता है। इसमें रेशेदार गूदा होता है और बीज छोटा होता है। इसका उपयोग चटनी, सलाद और अन्य व्यंजनों में भी किया जाता है। तोतापुरी आम विटामिन ए, सी और पोटेशियम का अच्छा स्रोत है। यह आम जून और जुलाई के महीनों में बाजार में आता है।
दशहरी आम, भारत के सबसे लोकप्रिय आमों में से एक है। यह अपनी मीठी सुगंध, स्वादिष्ट रस और लंबे समय तक टिकने की क्षमता के लिए जाना जाता है। दशहरी आम का नाम उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के पास स्थित दशहरी गांव के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है कि इस गांव में 18वीं शताब्दी में एक पहला दशहरी आम का पेड़ लगाया गया था। इस पेड़ से ही दशहरी आम की किस्म की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे यह पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गया। दशहरी आम को ‘आमों की माँ’ भी कहा जाता है। इसके अलावा, चौसा और अन्य कई आमों की किस्मों के नाम भी उनके गांवों के नाम पर रखे गए हैं। दशहरी आम जून और जुलाई के महीनों में बाजार में आता है।
हाथी झूल आम, भारत के सबसे भारी आमों में से एक है। इसका नाम सहारनपुर के एक किसान ने रखा था, जिन्होंने इसके विशाल आकार और वजन को देखते हुए इसे हाथी से तुलना की थी। यह आम 3-3.5 किलोग्राम तक वजन का हो सकता है, जो इसे आमों की दुनिया में एक विशालकाय बनाता है। हाथी झूल आम का गूदा सुनहरा पीला होता है और इसका स्वाद मीठा और रसीला होता है। यह आम अप्रैल और मई के महीनों में बाजार में आता है।
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Kavita Yadav
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