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जब कोई व्यक्ति सिगरेट पीता है तो जितना धुआं उसकी सांसों में जाता है, उससे कहीं ज्यादा बाहर की सराउंडिंग में फेल जाता है.
जब कोई व्यक्ति सिगरेट पीता है तो जितना धुआं उसकी सांसों में जाता है, उससे कहीं ज्यादा बाहर की सराउंडिंग में फेल जाता है. इसके कॉन्टेक्ट में आना ही पैसिव स्मोकिंग कहलाता है. पैसिव स्मोकिंग में जान-बूझकर न सही, लेकिन स्मोकिंग के बराबर बीमारियों का खतरा रहता है. सिगरेट का थोड़ा धुआं सिगरेट पीने वाले के फेफड़ों तक पहुंचता है, बाकी व्यक्ति के मुंह से निकलकर आसपास के वातावरण में फैल जाता है. इस स्मोक को सेकंड हैंड स्मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग कहते हैं. इस स्मोक में 4000 से भी ज्यादा इरिटेंट्स, टॉक्सिंस और कैंसर पैदा करने वाले कैमिकल्स होते हैं. ये धुआं व्यक्ति के पास रहने वाले उसके दोस्तों और परिवार वालों की सांसों में जाता है और जाने अनजाने वो भी स्मोकिंग जैसी लत के बराबर नुकसान झेलते हैं.
पैसिव स्मोकिंग कैसे पहुंचाती है नुकसान?
एनएचएस डॉट यूके के मुताबिक पैसिव स्मोकिंग से भी सेहत को उतना ही नुकसान पहुंचता है जितना नॉर्मल स्मोकिंग से होता है. इसमें व्यक्ति को लंग कैंसर और हार्ट से जुड़ी परेशानियों जैसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी रहता है. हर उम्र के व्यक्ति पर इसका बुरा असर देखने को मिलता है. खासकर बुजुर्ग, बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं पर सबसे ज्यादा असर होता है. बच्चों के लंग्स और इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाते हैं. ऐसे में सेकेंड हैंड स्मोकिंग बच्चों में अस्थमा, खांसी, जुखाम, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और तरह तरह के दिमाग और कान के इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा देती है. फेफड़ों के साथ ये आंखों और दांतों को भी नुकसान पहुंचाता है. प्रेग्नेंट महिलाओं में तो पैसिव स्मोकिंग बच्चे के कम वजन से लेकर उसकी मौत तक का कारण बन सकती है.
पैसिव स्मोकिंग से ऐसे करें बचाव
आस-पास किसी के भी स्मोकिंग करने से ये परेशानी हो सकती है. ऐसे में अपने और अपने करीबियों की सेहत के लिए स्मोकिंग छोड़ना ही सबसे सही तरीका है. अगर ये नहीं हो सकता तो कम से कम ये कोशिश करें की स्मोकिंग अपने ऑफिस, घर या कार के अंदर न करें. दरवाज़े-खिड़कियां खोलने से भी पैसिव स्मोकिंग का खतरा कम नहीं होता है. स्मोकिंग से खुद को ना सही पर पैसिव स्मोकिंग से अपने करीबियों को बचाया जा सकता है.
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