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जब कश्मीर और पूरे भारत में हिंदू और सिख धर्म के लोगों
धर्म और उसके आदर्शों की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान हो गए थे. तेग बहादुर जी को सिख धर्म का 9वां गुरु कहा जाता है. क्योंकि उन्होंने धर्म और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए खुशी-खुशी अपने प्राणों की आहुति दे दी. उनका जन्म अमृतसर, पंजाब में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था. उनके बचपन का नाम उनके माता-पिता ने त्यागमल रखा था. नाम के अनुरूप ही उनका व्यक्तित्व भी ‘त्यागी’ था. तेग बहादुर जी इतने पराक्रमी थे कि मात्र 14 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मुगलों से युद्ध किया. और बताया जाता है कि 24 नवंबर, 1675 को भीड़ के सामने तेग बहादुर की मुगलों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी.
गुरु तेग बहादुर से जुड़े इतिहास
जब कश्मीर और पूरे भारत में हिंदू और सिख धर्म के लोगों को मुगलों द्वारा इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया जा रहा था. तब तेग बहादुर ने इसका विरोध किया और मुगलों से आमने सामने युद्ध किया. उनका बचपन का नाम त्यागमल था, लेकिन मुगलों के खिलाफ युद्ध में उनकी वीरता को देखते हुए उनका नाम तेग बहादुर रखा गया.
और वे तेग बहादुर के नाम से विश्व विख्यात हुए. कहा जाता है कि दिल्ली में जिस स्थान पर शीशगंज साहिब गुरुद्वारा स्थित है, वहां धर्म के लिए लड़ते हुए वे शहीद हुए थे. और उनकी अंतिम विदाई भी इसी जगह दी गई थी. उन्हीं की याद में यह गुरुद्वारा बनाया गया है. 115 शब्द भी गुरु तेग बहादुर जी ने लिखे थे. जो अब सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा है.
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Apurva Srivastav
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