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बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें अनुशासन में रखना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसा करते समय कई बार माता पिता गलत तरीका अपना लेते हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें अनुशासन में रखना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसा करते समय कई बार माता पिता गलत तरीका अपना लेते हैं। डांट फटकार या फिर पिटाई से आपके बच्चे के व्यवहार में कुछ हद तक ही सुधार आ सकता है। ये तरीके फायदे से ज्यादा आपके बच्चे के लिए नुकसानदेह ज्यादा साबित होते हैं।
इस विषय पर कई तरह के अध्ययन भी किए गए हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि जिन बच्चों के साथ ज़्यादा सख्ती से पेश आया जाता है अकसर ऐसे बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और उनका मनोबल भी गिर जाता है। केवल गुस्सा और हिंसा ही बच्चे को सही राह पर लाने का एकमात्र विकल्प नहीं है बल्कि दूसरे कई तरीके हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।
बच्चों की पिटाई करने के नुकसान-
आत्म सम्मान में कमी-
कई पेरेंट्स अपने बच्चों को बात-बात पर डांटते रहते हैं, उन्हें लगता है कि इनका बच्चा अनुशासन में रहता है। लेकिन ऐसा करने से बच्चे के आत्मसम्मान पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन आप अगर बच्चे को पब्लिक प्लेस पर डांटने से भी नहीं चूकते हैं तो बच्चे को दूसरों के सामने भी काफी छोटा महसूस होता है। फिर वे खुलकर अपनी बातों को रखने में डरते हैं या कहीं भी कुछ कहने से कतराने लगते हैं। समय के साथ ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है।
अकेलापन महसूस करते हैं बच्चे-
बहुत अधिक अनुशासन में रहने वाले बच्चों के दोस्त भी कम ही बनते हैं। ऐसे बच्चे अपनी दिल की बात भी बहुत कम लोगों से कह पाते हैं। ऐसे बच्चे अपने मन की बातें अपने तक ही रखते हैं और आसानी से दूसरों से खुलकर बात नहीं करते हैं। जिसके कारण वे डिप्रेशन और स्ट्रेस का शिकार हो सकते हैं।
बागी हो जाते हैं बच्चे-
बच्चों पर हाथ उठाने वाले पैरेंट्स अक्सर यह नहीं समझ पाते हैं कि ऐसा करके वो अपने बच्चों को ही अपने से दूर कर रहे हैं। बच्चा शुरू में तो आपसे डरेगा लेकिन बाद में खुद को बचाने के लिए आपसे बागी हो जाएगा। माता-पिता से अक्सर मार खाने वाले बच्चों के मन में अपने पेरेंट्स के लिए जरा भी इज्जत नहीं होती है।
बच्चों में बढ़ सकता है गुस्सा-
जिन बच्चों के साथ मारपीट होती है, उनमें अक्सर गुस्सा अधिक होता है। छोटी-छोटी बातों पर बच्चे की पिटाई करने से उनके मन में गुस्सा पैदा होने लगता है। ये गुस्सा किसी भी नकारात्मक तरीके से बाहर आ सकता है। वह अपने से छोटे बच्चों को हमेशा पीटने या डांटने की कोशिश करने लगता है।
खुद पर विश्वास की कमी-
माता-पिता से हर बात पर डांट खाने वाले बच्चे अपने निर्णय खुद लेते समय आत्मविश्वास की कमी महसूस कर सकते हैं। ऐसे बच्चे आगे चलकर अपने जीवन के छोटे-बड़े सही निर्णय तक नहीं ले पाते हैं। इसलिए बच्चों के हमेशा गाइड करने की कोशिश करें लेकिन उनपर अपने फैसले थोपने की कोशिश न करें।
बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए अपनाएं ये उपाय-
बच्चों की ज़िद्द को करें नजरअंदाज -
अगर आपका बच्चा हर समय चॉकलेट, बिस्किट या फिर इस तरह की अन्य चीज की मांग करे तो उनकी ज़िद्द को नज़रअंदाज़ करते हुए अपने काम में लगे रहें। थोड़ी देर वो आपको तंग ज़रूर करेंगे लेकिन बाद में खुद ही सामान्य हो जाएंगे। कई बच्चों को अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने की आदत सी होती है आपके ऐसा करने से वे सतर्क हो जाएंगे और भविष्य में भी इस बात का फायदा उठाएंगे।
प्रतिक्रिया ना दें-
अकसर आपने देखा होगा कि पेरेंट्स के गुस्से पर बच्चे नकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं या फिर वे मज़ाक बनाने लगते हैं जिससे आपका क्रोध और भी बढ़ता है।ऐसे में सबसे पहले आप कोई प्रतिक्रिया ना दें। इसके बाद भी अगर आपको बच्चे के बर्ताव में कोई सुधार न दिखे तो उसे चेतावनी दें। इससे बच्चे को शांत रहने और अच्छा व्यवहार करने की सीख मिलेगी।
बच्चों के प्रति अपना बर्ताव बदलें-
जब भी आपका बच्चा गलती करे तो इस बात का उसे एहसास कराएं कि आप उनकी हरकत से नाराज़ हैं। कुछ समय के लिए आप अपने बर्ताव से उन्हें बताने की कोशिश करें जैसे जिस काम में हर रोज़ आप उनकी मदद करते हैं उस दिन वह न करें। ऐसे में आपका बच्चा दूसरों की भावनाओं की कद्र करना सीखेंगे।
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