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जानिए ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस में क्या है अंतर

Nilmani Pal
26 May 2021 7:32 AM GMT
जानिए ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस में क्या है अंतर
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जैसा कि भारत COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के साथ कठिन संघर्ष कर रहा है,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क जैसा कि भारत COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के साथ कठिन संघर्ष कर रहा है, इसी बीच देश में फैली फंगल इंफेक्शन लोगों के लिए नई मुसीबत बनती जा रही है। इतना ही नहीं ब्लैक फंगस के बाद देश में व्हाइट फंगस और येलो फंगस के भी केस सामने आए हैं। हाल ही में गाजियाबाद में एक कोरोना मरीज में येलो फंगस की पुष्टि हुई थी, तो इससे पहले गुजरात में एक व्यक्ति में व्हाइट फंगस देखा गया था। देश में अब तक तीन तरह के फंगल केस सामने आ चुके हैं यानी ब्लैक, सफेद और पीला।

वहीं, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने को कहा है। राजस्थान, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पहले ही इसे महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत एक उल्लेखनीय बीमारी घोषित कर दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अब तक 18 राज्यों में म्यूकोर्मिकोसिस यानि कि ब्लैक फंगस के 8000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। जो लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और जो स्टेरॉयड ले रहे हैं, उनमें इन फंगल रोगों का खतरा अधिक होता है। आईए जानते हैं इन तीनों फंगल इंफेक्शन के बारे में विस्तार से-
क्या है 'म्यूकोर्मिकोसिस' ब्लैक फंगस?
ब्लैक फंगस या 'म्यूकोर्मिकोसिस' एक जानलेवा बीमारी है, जो COVID-19 रोगियों को संक्रमित करता है और हालांकि कई मरीज इस संक्रमण से ठीक भी हो चुके है। फंगस mucormycetes कई तरह से शरीर पर अटैक करता हैं, यह वातावरण में भी मौजूद होता है। यह फंगस रक्त वाहिकाओं को घेर लेता है और उन्हें नष्ट कर देता है जिसके परिणामस्वरूप मरीज की जान भी चली जाती हैं।
ब्लैक फंगस के सामान्य लक्षण-

-नाक में रूकावट महसूस होना
-खून का बहना
-नाक से डिस्चार्ज होना
-चेहरे का दर्द रहना
-सूजन
-सुन्न होना
-नज़र का धुंधला होना
-दोहरी दृष्टि या आंखों में ज्यादा पानी आना।
अस्पताल में रहते हुए भी आप खुद को ब्लैक फंगस से कैसे बचा सकते हैं?
-अपने आस-पास अच्छी स्वच्छता और साफ-सफाई बनाए रखें।
-माउथवॉश, पोविडोन-आयोडीन से गरारे करके मुंह की स्वच्छता बनाए रखें।
-ऑक्सीजन का प्रबंध करते समय sterile water का प्रयोग करें, ह्यूमिडिफायर से कोई रिसाव नहीं होना चाहिए।
-strict blood glucose control के साथ स्टेरॉयड का उपयोग जरूरत से ज्यादा न करें।
- ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल के अनावश्यक उपयोग से बचें, इसके परिणामस्वरूप अवांछित बैक्टीरिया या जीवों की वृद्धि हो सकती है।
कवक संक्रमण, काला कवक, सफेद कवक, पीला कवक संक्रमण, Fungal infection, black fungus, white fungus, yellow fungus infection,-अपने आस-पास को साफ और धूल और नमी से मुक्त रखें।
-अपनी मुंह और नाक की स्वच्छता बनाए रखें।
-घर के अंदर रहने की कोशिश करें और नियमित व्यायाम या कसरत करें।
-construction areas, खेत और खुले मैदान में जानें से बचें।
- बागवानी से बचें क्योंकि मिट्टी और पौधों में फफूंद की भरमार होती है। अगर बादबानी करने का शौक है तो रबर के दस्ताने, मास्क और जूते का जरूर पहनें।
जानिए क्या है एस्परगिलोसिस यानि की व्हाइट फंगस-
विशेषज्ञों के अनुसार व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से भी ज्यादा घातक है। यह आपके शरीर के कई हिस्सों में फैलता है और आपके फेफड़ों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। इसका गुर्दे, मुंह, त्वचा और मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव देखने को मिलता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रोफेसर डॉ. कौशल वर्मा के अनुसार, व्हाइट फंगस जीभ या निजी अंगों से शुरू होता है, यह जीभ को सफेद बनाता है, और फिर यह फेफड़े, मस्तिष्क और भोजन नली जैसे अन्य भागों में फैलता है।
व्हाइट फंगस के लक्षण -
-खांसी
-बुखार
-दस्त
-फेफड़ों पर काले धब्बे
-ऑक्सीजन का स्तर कम होना
-मौखिक गुहा में सफेद धब्बे
-स्किन रैशिज़
व्हाइट फंगस से कैसे बच सकते हैं?
-जिन लोगों का इम्यून सिस्‍टम कमजोर होता है, उनमें इन फंगल रोगों का खतरा अधिक होता है, इसलिए इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाएं रखने के लिए अपनी डाइट का खास ख्याल रखें।
-अपने आस-पास को साफ और धूल से मुक्त रखें।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में येलो फंगस का पहला मामला सामने आया था। विशेषज्ञों का कहना है कि येलो फंगस, ब्लैक और व्हाइट की तुलना में डबेहद रावना हो सकता है क्योंकि यह शरीर के आंतरिक अंगों को प्रभावित करता है।
जानिए क्या है येलो फंगस?
ब्लैक और व्हाइट के विपरीत, येलो फंगस आंतरिक रूप से शुरू होता है, मवाद के रिसाव का कारण बनता है, और घावों की धीमी गति से उपचार होता है। कुछ गंभीर मामलों में, यह आगे चलकर विनाशकारी लक्षण जैसे कि organ failure और तीव्र परिगलन (कोशिका की चोट) को जन्म दे सकता है।
येलो फंगस के लक्षण
- शरीर में हमेशा सुस्ती रहना
-भूख कम लगना या भूख न लगना
- वजन कम होना या खराब मेटाबॉलिज्म
- धंसी हुई आंखें, या आंखों का डार्क होना।
आप अपने आप को येलो फंगस से कैसे बचा सकते हैं?
-फंगल संक्रमण आमतौर पर खराब स्वच्छता से फैलता है, इसलिए शरीर की साफ-सफाई का खास तौर पर ध्यान रखें।
- शरीर की सफाई के साथ ही अपने आसपास की साफ-सफाई का भी ध्यान रखें।
-फंगस या बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए घर से बासी भोजन को हटा दें।
- येलो फंगस को बढ़ावा देने के लिए Humidity भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए अपने humidity level को 30% से 40% के बीच रखें।


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