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जानिए नए साल में देश की तरक्की और परिवार की खुशहाली के लिए लड़कियों के प्रति अपनी सोच में लाए बदलाव

Tara Tandi
1 Jan 2022 3:08 AM GMT
जानिए नए साल में देश की तरक्की और परिवार की खुशहाली के लिए लड़कियों के प्रति अपनी सोच में लाए बदलाव
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नया साल अपने साथ नई उम्मीदें लेकर आ गया है। उत्साह और उमंग के साथ सभी नए साल का स्वागत कर रहे हैं। सभी की उम्मीद रहती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नया साल अपने साथ नई उम्मीदें लेकर आ गया है। उत्साह और उमंग के साथ सभी नए साल का स्वागत कर रहे हैं। सभी की उम्मीद रहती है कि नया साल खुशियां लेकर आए। आपके सपने साकार हों। जिन लक्ष्यों को आपने तय किया है, उसे आने वाले साल में पूरा कर लें। नए साल पर लगभग हर कोई कुछ न कुछ संकल्प भी करता है। ऐसे में एक संकल्प हमारे समाज की लड़कियों के लिए भी जरूर करें। देश और परिवार दोनों तभी खुशहाल होंगे जब लोगों की सोच महिलाओं और लड़कियों के प्रति बदलेगी। लड़कियां अपने क्षेत्र में तरक्की कर रही हैं लेकिन समाज में अभी भी जेंडर स्टीरियोटाइप है, जो उनके हाथ पैरों को जकड़ कर रखा है। ऐसे में महिलाओं के खिलाफ होने वाले भेदभाव को फौरन बदलने की जरूरत है। चलिए जानते हैं देश की तरक्की और परिवार की खुशहाली के लिए लड़कियों के प्रति अपनी सोच में लाने होंगे क्या बदलाव, जिसकी करें नए साल से शुरुआत।

लड़कियों को न समझें अबला
अक्सर लड़कियों और महिलाओं को बेचारी और अबला समझा जाता है। इस तरह की सोच की शुरुआत परिवार से ही होती है। अपने बेटी या बहन को आप कमजोर समझते हैं और उन्हें हर पल इस बात का एहसास भी कराते हैं कि वह अकेले कोई काम नहीं कर सकतीं। लड़कियां बचपन से यही सब सुनती है,जिससे वह खुद के पैरों पर खड़े होने के बजाए पिता, भाई और फिर पति पर निर्भर हो जाती हैं। इस नए साल पर आप संकल्प लें कि लड़कियों को कभी कमजोर या बेचारी नहीं समझेंगे।
महिला-पुरुष में न करें भेदभाव
परिवार में बेटा-बेटी हो या ऑफिस में महिला या पुरुष सहकर्मी, अक्सर उनके बीच भेदभाव किया जाता है। परिवार में भाई को अधिक जिम्मेदारी और उम्मीदें उससे रखी जाती हैं तो ऑफिस में बाॅस भी पुरुष कर्मंचारियों को अधिक महत्वपूर्ण कार्य व पद देते हैं। नए साल पर आप महिलाओं के प्रति अपनी इस सोच में बदलाव लाएं। लड़कों या पुरुषों की तुलना में उनसे भेदभाव न करें। महिलाएं आज हर क्षेत्र में अव्वल हैं।
नारी उपभोग या सजावट की कोई वस्तु नहीं
शादी के बाद पति या ससुरालीजन महिलाओं को घर की कोई सजावट का सामान या उपभोग की वस्तु जैसा समझ लेते हैं। सास चाहती हैं कि वह सज संवर कर रिश्तेदारों के बीच दिखें तो ससुर अपेक्षा करते हैं कि उसे सारे कामकाज आते हों, वहीं पति उसे घर संभालने और उसकी सेवा करने भर का साथी मान लेते हैं। ये सोच बदल लें।
महिलाओं का इच्छा का करें सम्मान
नारी सशक्त हो चुकी है। उनकी अपनी सोच- समझ और इच्छाएं हैं। ये बात समाज के हर वर्ग को याद रखनी चाहिए और महिलाओं की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए। लड़कियों के रहन-सहन और लाइफस्टाइल को लेकर कमेंट न करें।
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