- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- जानिए लौकी से जुड़े...
x
न्यूज़ क्रेडिट: news18
दुनिया में लौकी (Bottle Gourd) एक ऐसी सब्जी है, जो मानव सभ्यता में सबसे प्राचीन है. इसे घीया नाम से भी जाना जाता है,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया में लौकी (Bottle Gourd) एक ऐसी सब्जी है, जो मानव सभ्यता में सबसे प्राचीन है. इसे घीया नाम से भी जाना जाता है, जिसका जूस और सूप भी सेहत के लिए अति लाभकारी है. आयुर्वेद और फूड एक्सपर्ट लौकी को आंतों की कमजोरी, कब्ज, पीलिया, बीपी, दिल में गड़बड़ी, शुगर, शरीर में जलन और मानसिक परेशानी में उपयोगी मानते हैं. भारत सहित पूरे विश्व में लौकी को खाया जा रहा है. विशेष बात यह है कि इसका उपयोग वाद्य यंत्रों को बनाने के लिए भी किया जाता है.
खाने के अलावा और भी हैं इसके कई काम
लौकी रसोई की एक ज़रूरत तो है ही, विभिन्न सामाजिक, कर्मकांड और प्रतीकात्मक संदर्भों में यह अपनी पहचान बनाती रही है. यह लंबी और गोल दोनों प्रकार की होती है और इसका उपयोग भोजन, सूप या जूस तक ही सीमित नहीं है. पूरी तरह पक जाने पर जब यह सूख जाती है तो इसके अन्य प्रयोग भी होते हैं. विश्वकोष (Encyclopaedia Britannica) के अनुसार, प्राचीन समय में लौकी से पानी की बोतल, चम्मच, पाइप, कलाकृतियां, कई बर्तन, कंटेनर आदि बनाए जाते थे. इसका उपयोग बर्डहाउस, फैंसी आभूषण, लैंप और संगीत वाद्ययंत्र के लिए भी किया जाता था. इसकी बेल के सफेद फूल और घने पत्ते घरों की सजावट में काम आते थे. बताया जाता है कि भारत में सामाजिक समारोह व अन्य संस्कारों में लौकी, इसके फूल का प्रयोग किया जाता था. अफ्रीका में इसके बने गिलासों में चावल की बियर भरकर देवताओं को समर्पित किया जाता था तो चीन में इसे दीर्घायु और सौभाग्य का प्रतीक माना गया. पुराने समय में नाइजीरिया में दुल्हन के दहेज के रूप में लौकी एक अनिवार्य हिस्सा रही है.
करीब 10,000 साल से भोजन में शामिल है लौकी
लौकी की उत्पत्ति का इतिहास बहुत ही पुराना है. अमेरिका में हुए डीएनए शोध से पता चलता है कि हजारों साल पहले दुनिया के तीन स्थलों पर अलग-अलग इसकी उत्पत्ति हुई. मध्य अमेरिका में 10,000 वर्ष पूर्व, एशिया में भी लगभग इतने ही वर्ष पूर्व और अफ्रीका में लगभग 4,000 ईसा पूर्व. इसके अलावा पूरे पोलिनेशिया में करीब 1,000 ईस्वी में इसकी खेती शुरू हुई. वैसे एक रिसर्च में लौकी को अफ्रीका का मूल निवास बताया गया है. यह भी कहा जाता है कि जिम्बाब्वे में यह सबसे पहले खोजी गई. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने यह दावा किया है कि लौकी की उत्पत्ति (खेती) लंबे समय से अफ्रीका में मानी जाती रही है, लेकिन हाल के अध्ययनों ने एशिया में इसकी उत्पत्ति और मूल निवास का खुलासा किया है. वैसे एक पक्ष का यह भी कहना है कि मेक्सिको की गुफाओं (ईसा पूर्व 7000 से 5500) व मिस्र के पुराने पिरामिडो (ईसा पूर्व 3500 से 3300 वर्ष) इसकी उपस्थिति इसके प्राचीनतम होने के प्रमाण हैं.
लौकी को आयुर्वेद में बताया गया है बेहद गुणकारी
भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ 'चरकसंहिता' में लौकी को 'अलाबू' कहकर संबोधित किया गया है. इसके 'शाकवर्ग' अध्याय में लौकी को शीतल और भारी तो बताया ही गया है, साथ ही इसे पेट साफ करने वाली सब्जी के रूप में भी वर्णित किया गया है. अन्य आयुर्वेदिक ग्रंथों में लौकी को रुचिकर, हृदय के लिए हितकर, पित्त व कफ दोष नाशक व धातुओं की पुष्टि वाला माना गया है. यह भी कहा गया है कि रोजाना एक गिलास ताजा लौकी का रस पीने से डायबिटीज, आमाशयिक प्रदाह (गर्मी या जलन), उच्च रक्तचाप और हृदय में ब्लड सर्कुलेशन में लाभ मिलता है. लौकी आंतों की कमजोरी, कब्ज, पीलिया, डायबिटीज और मानसिक उत्तेजना को दूर करने में भी उपयोगी है.
शरीर में घुलकर तुरंत छोड़ती है पोषक तत्व
आधुनिक विज्ञान के अनुसार, 116 ग्राम लौकी में करीब 95% पानी होता है और कैलोरी मात्र 16 होती है. इसके अलावा, 13% विटामिन सी और 7.36% जिंक होता है. साथ ही 174 मिलीग्राम पोटैशियम, 13 मिलीग्राम मैग्नीशियम, 15 मिलीग्राम फॉस्फोरस और 2 मिलीग्राम सोडियम भी पाई जाती है. फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार, लौकी में विभिन्न मात्रा में पोषक तत्व, खनिज, विटामिन, लिपिड और अमीनो एसिड होते हैं. यह ऐसी सब्जी है जो शरीर में तुरंत घुलने लगती है, जिसके चलते यह पेट के लिए तो लाभकारी है ही, साथ ही इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व तुरंत शरीर और ब्लड में मिल जाते हैं. सुबह इसका जूस शरीर के लिए जबरदस्त है. यह आपका वजन घटा सकता है. इसका सेवन लीवर के लिए भी बेहद प्रभावी है.
कड़वी लौकी खाएंगे तो हो सकता है पेट दर्द
लौकी के सेवन से याददाश्त में इजाफा होता है, जबकि यूरिन से जुड़ी जलन व अन्य परेशानियों से लाभ होता है. चूंकि, इसमें फैट न के बराबर है, इसलिए यह दिल को सुकून पहुंचाती है और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल में रखने के अलावा बीपी को सामान्य बनाए रखने में मदद करती है. ऐसी भी जानकारी मिली है कि लौकी के नियमित सेवन से झुर्रियां एकदम से अटैक नहीं कर पातीं. गठिया से पीड़ित लोगों को लौकी आराम पहुंचाती है. लौकी में कुछ ऐसे तत्व भी होते हैं, जो शरीर में मौजूद हानिकारक रसायनों को निकाल देते हैं. मोटे तौर पर लौकी के सेवन से कोई नुकसान नहीं है, लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा कि लौकी कड़वी न हो. यह पेट और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है. कड़वी लौकी का जूस भी पीने से बचना चाहिए.
Next Story