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- जानें दही हांडी से...

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
हिंदू पंचांग के मुताबिक, कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म इसी अवधि में हुआ था। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 18- 19 अगस्त को मनाई जा रही है। कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था, इसलिए ये पर्व दो दिन का माना जाता है। इस मौके पर श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा होती है। श्रीकृष्ण बचपन में बहुत नटखट थे। वह अपनी लीलाओं से सबका मन मोह लेते थे। कृष्ण की चंचल लीलाओं को याद करते हुए दही हांडी का पर्व मनाया जाता है। इस साल दही हांडी 19 अगस्त को है। कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है। दही हांडी का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाते हैं। चलिए जानते हैं दही हांडी का उत्सव क्यों और कैसे मनाने की शुरुआत हुई? कब मनाया जाता है दही हांडी का पर्व।
श्रीमद्भागवत के मुताबिक, बाल काल में भगवान श्रीकृष्ण बहुत नटखट थे। कान्हा को माखन बहुत प्रिय था। इसलिए वह वृंदावन में लोगों के घरों से माखन चुराकर खाते थे और अपने सखाओं को भी खिलाया करते थे। कन्हैया के माखन चोरी से गांव की महिलाएं परेशान हो रहतीं। इसलिए कान्हा से माखन बचाने के लिए माखन की मटकियां घर पर किसी ऊंची जगह पर टांग दिया करतीं। लेकिन नटखट कृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर तब भी माखन चुरा लिया करते। ऊंचाई पर लटकी माखन की मटकियों तक पहुंचने के लिए कृष्ण दोस्तों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाते और उसपर चढ़ते हुए मटकी से माखन चुरा लेतें। यहीं से दही हांडी उत्सव की शुरुआत हुई।
कृष्ण की माखन चोरी की इस लीला को दही हांडी उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। इसमें ऊंचाई पर मटकी टांग दी जाती है। लड़के मिलकर पिरामिड बनाते हैं। एक लड़का अपने साथियों के ऊपर से चढ़ता हुआ मटकी तक पहुंचकर उसे फोड़ता है। जो लड़का मटकी तक जाता है उसे गोविंदा कहते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को दही हांडी कहा जाता है।
दही हांडी का उत्सव हर साल जन्माष्टमी के अगले दिन होता है। इस बार जन्माष्टमी की तिथि 18 अगस्त से शुरू हो रही है तो दही हांडी 2022 का उत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
दही हांडी का उत्सव गुजरात और महाराष्ट्र में विशेष तौर पर मनाया जाता है। मुंबई में इसे प्रतिस्पर्धी खेल की तरह आयोजित किया जाता है। दही हांडी मंडल यानी मटकी तक पहुंचने वाले लड़कों की टीम को रोकने के लिए महिलाएं और लड़कियां उन पर पानी डालती हैं। नाच गाने के बीच ये उत्सव मनाया जाता है। विजेता हांडी मंडल को पुरस्कार दिया जाता है।