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सुदूर पूर्वोत्तर में आबाद यह राज्य धीरे-धीरे भ्रमण के शौक़ीन सैलानियों का एक पसंदीदा ठिकाना बनता जा रहा है. पहाड़ों का यह घर अपनी हरी-भरी घाटियों और सूर्योदय व सूर्यास्त के अद्भुत नज़ारों से सम्मोहित कर लेता है. हमारे साथ चलिए नागालैंड घूम आएं.
प्राकृतिक सौंदर्य से भरे इस राज्य की पहली यात्रा पर जाना हो तो यहां के मशहूर हॉर्नबिल फ़ेस्टिवल के आसपास तय करें. यह महोत्सव राज्य की राजधानी कोहिमा में मनाया जाता है. हफ़्तेभर चलनेवाली उस सांस्कृतिक गतिविधि का हिस्सा बनना अपना आप में मज़ेदार अनुभव होगा. ख़ैर, नागालैंड जाने का रास्ता ख़ूबसूरत नज़ारों से भरा हुआ मिलेगा. सड़क मार्ग से जाते समय दीमापुर की धूल भरी सड़कों से आगे पहुंचते ही आप हरियाली की चादर ओढ़े इलाक़े में प्रवेश करेंगे. वह इलाक़ा पहाड़ी झरनों, देवदार के पेड़ों और भीगे-भीगे जंगल की ख़ुशबू से सराबोर रहता है. रास्ते में पड़नेवाले गांवों में चाय के स्टॉल्स और राइस होटल्स (ढाबों की तरह) दिखेंगे. रास्ते के किनारे लोग सब्ज़ियां, बैम्बू शूट्स और मुर्गे बेचते मिलेंगे. जेरैनियम (एक प्रकार का फूल) और ऑर्किड का तो मानो यहां ख़ज़ाना ही है. उसी तरह पॉइन्सेट (एक तरह का उष्णकटिबंधी पौधा) और जंगली सूरजमुखी की भी कमी नागालैंड में नहीं है.
पहला पड़ाव
नागालैंड का एक महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है कोहिमा वॉर सेमिटेरी (युद्ध स्मारक). वहां सैलानियों की भीड़ लगी रहती है. दीमापुर और इम्फाल रोड पर स्थित यह युद्ध स्मारक उन 1,400 सैनिकों को समर्पित है, जो वर्ष 1944 की कोहिमा की लड़ाई में जापानियों के ख़िलाफ़ लड़ते हुए खेत रहे थे. जापानी सेना ने भारत-म्यांमार सीमा से होते हुए देश में घुसपैठ करने की कोशिश की थी. मारे गए सैनिकों में कुछ की शिनाख़्त नहीं हो पाई थी. सभी स्मृति लेख एक-दूसरे से अलग हैं. ये लेख युद्ध की निरर्थकता और भयावहता का ज़िक्र करते हैं.
रात में शहर जाएं और सड़क के किनारे लगे एक स्टॉल पर डिनर करें. मुरमुरे, भुनी हुई दालें और बैंबू शूट्स के साथ पकाए हुए स्मोक्ड मीट का ज़ायका लाजवाब और मज़ेदार होता है. नागालैंड एक ऐसा राज्य है, जहां शराब बंदी है, कम से कम काग़ज़ पर तो, लेकिन स्थानीय लोग चावल से बनाई जानेवाली शराब परोसते हैं, बैम्बू के ग्लास में. उसके स्वाद का क्या कहना! आप वहां जाएं तो ज़रूर चखें.
वर्ष का सबसे अच्छा समय
नागालैंड जाने का सबसे अच्छा समय है दिसंबर, क्योंकि उस दौरान यहां राज्य के सबसे बड़े महोत्सव हॉर्नबिल फ़ेस्टिवल की धूम रहती है. इसे महोत्सवों के महोत्सव के रूप में प्रचारित किया जाता है. उत्सवी माहौल राज्य की राजधानी को अपने ख़ुमार में ले लेता है. राज्य के सभी 17 नागा क़बीले और उप-क़बीले-अंगामी, ओ, चेखसैंग, चेंग, गारो, कचारी, खिम्निउंग, कोन्याक, कुकी, लोथा, फोम, पोचुरी, रेंगमा, सैंगतम, सुमी, विमचुंगीर और ज़ेलियांग एक साथ आते हैं और सैलानियों को अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की झलक दिखाते हैं. जींस और स्नीकर्स के बजाय हर कोई चाहे वो जवान हो या बूढ़ा, पारंपरिक पोशाक में ही नज़र आता है. नागालैंड की यह रंगारंग संस्कृति तब दिखती है, जब सभी क़बीलों के लोग किसमा नामक विश्व विरासत का दर्जा प्राप्त गांव के विशाल सभागृह में जमा होते हैं. हर क़बीला अपने क़बीले के कुल चिन्ह के साथ आता है. माणिकों, सीपों और पंखों से बने परिधान उन्हें धारण करनेवालों के रसूख़ और उपलब्धि को बयां करते हैं. उसके बाद शुरू होता है लोक नृत्य और खेती के पारंपरिक तरीक़े के प्रदर्शन का सिलसिला.
हर क़बीले को अस्थाई मोरुंग (पारंपरिक सामुदायिक भवन) दिया जाता है. उन भवनों की आंतरिक साज-सजावट प्राचीन शिल्प कृतियों और उस क़बीले में प्रचलित पारंपरिक गहनों से की जाती है. ये भवन सैलानियों के लिए खुले होते हैं. साथ ही पारंपरिक पकवान भी पकाए जाते हैं. कर्णप्रिय संगीत और नाचते हुए लोगों के पैरों की सामूहिक व लयात्मक थाप आमतौर पर शांत रहनेवाले इस इलाक़े को जीवन के संगीत से गुंजायमान कर देती है.
नागा लोग अपने दूसरे कौशलों का भी प्रदर्शन करते हैं, जैसे-बांस पर चढ़ना, रस्साकशी और मिर्च खाना! सबसे पहले हर क़बीले के युवा सुअर की चर्बी की चिकनाई लगे हुए बांसों पर चढ़ने की कोशिश करते हैं. इस चक्कर में वे लोग कई-कई बार फिसलकर गिरते हैं. कड़ी मशक्कत के बाद ही कोई ऊपर पहुंच पाता है. वहां पहुंचते ही वे विजेता अपने क़बीले का झंडा फहराता है. रस्साकशी की प्रतियोगिता के लिए स्वॉर्ड बीन (सेम) की लता से बनी रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह यह भी पूर्णत: स्थानीय आयोजन बन जाता है. अंत में हर क़बीला अपने यहां के एक-एक व्यक्ति को भूत जोलोकिया खाने की प्रतियोगिता के लिए नामांकित करता है. यह मिर्ची दुनिया की दूसरी सबसे तीखी मिर्ची है. यह प्रतियोगिता कमज़ोर पेट वालों के लिए नहीं है.
शाम को मशहूर रॉक शो की धूम रहती है. यह शो युवा प्रतिभाओं के लिए शानदार मंच की तरह होता है. अपनी यात्रा के दौरान और एक चीज़ जो आपको मिस नहीं करनी चाहिए, वो है सेना द्वारा आयोजित की जानेवाली कार रैली. यह रैली हॉर्नबिल फ़ेस्टिवल का एक प्रमुख आकर्षण है.
हरियाली से प्यार
कोहिमा के आसपास कई छोटे-छोटे गांव बसे हुए हैं. ऐसा ही एक जाना-पहचाना और पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध गांव है-खोनोमा. कोहिमा से २० किलोमीटर दूर स्थित यह गांव भारत का पहला ग्रीन-विलेज है. इस गांव को हरियाली से भरपूर बनाने में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और राज्य पर्यटन विभाग का बड़ा हाथ है. गांव के लोग शिकार नहीं करते, पेड़ों को नहीं काटते. यह देखना अपने आप में अलग अनुभव की तरह है, क्योंकि नागा लोग पारंपरिक रूप से शिकारी या किसान रहे हैं. एक विशाल प्रवेशद्वार गांव में आपका स्वागत करता है. खोनोमा को चारों ओर से पहाड़ियों ने अपनी आगोश में ले रखा है, यही कारण है कि इसे अक्सर हिडेन विलेज (छुपा हुआ गांव) भी कहा जाता है. यहां आपको जंगल के बीच धान के खेत दिखेंगे और घास-फूस के छप्परवाले मकान भी.
घाटी का इतिहास
नागा पेंटिंग से सुशोभित पत्थर का एक दरवाज़ा आपको ऊपरी गांव का दर्शन कराएगा. इसके आसपास ही ऐतिहासिक महत्व की कई चीज़ें दिखेंगी. यहां अनेक मोरुंग हैं, जहां स्थानीय बच्चे पारंपरिक धारणाओं और रीति-रिवाज़ों को सीखने आते हैं. यहां पारंपरिक ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी में हस्तांतरित किया जाता है. आजकल आधुनिक स्कूलों के खुल जाने से ये मोरुंग अपना पुराना महत्व खोते जा रहे हैं. अब ये रीक्रिएशन सेंटर (मनोरंजन केंद्र) में तब्दील हो गए हैं.
स्थानीय लोग काफ़ी दोस्ताना होते हैं. वहां के लोग सैलानियों को अपने घरों में निमंत्रित करते हैं. नागालैंड से वापसी के से पहले जोत्सोमा और अंगामी गांवों में ज़रूर हो आएं. इन गांवों के प्रवेशद्वारों पर भी शक्ति और उत्पादकता के प्रतीकों के चित्र बने दिखेंगे. प्रवेशद्वार के सबसे ऊपर शिकारियों द्वारा मारे गए जानवरों के सिर लटकाए हुए मिलते हैं.
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