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डिसिप्लिन सिखआना यानी बच्चों को कुछ रूल्स या ऐसी आदतें बताना, जिन्हें फॉलो कर वे अपनी आदतों को बदल सकें. माना कि बच्चे के लिए डिसिप्लिन जरूरी है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। डिसिप्लिन सिखआना यानी बच्चों को कुछ रूल्स या ऐसी आदतें बताना, जिन्हें फॉलो कर वे अपनी आदतों को बदल सकें. माना कि बच्चे के लिए डिसिप्लिन जरूरी है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है सही तरीके से उसे समझाना. एक रिसर्च में भी यह बात सामने आई है कि बच्चे को किसी भी बात को समझाने या मनवाने के लिए अगर पनिशमेंट दी जाए तो उससे बच्चे के दिमाग पर नेगेटिव असर पड़ सकता है. जबकि उसे किसी बात को मुंह जुबानी समझाया जाए या प्यार से किसी बात को बताया जाए, तो उसका असर अच्छा और गहरा पड़ता है.
5 साल के बच्चे को ऐसे सिखाएं डिसिप्लिन
-हर रोज बच्चे का एक रूटीन फिक्स कर दें और उसका पालन करने की कोशिश करें. चाहे फिर यह रूटीन सोने का हो, उठने का हो या खाने पीने का. बच्चे एक समय के आदि होने पर वही रूटीन फॉलो करने लग जाते हैं.
–मॉमजंक्शन के अनुसार बच्चे के रोल मॉडल बनें. बच्चा अपने से बड़ों को देख कर उनकी नकल जरूर करने लगता है. अगर नहीं चाहते कि बच्चा चिल्लाए या फिर चीखे तो उसके सामने खुद भी जोर जोर से बातें करना बंद कर दें.
-बच्चे को कुछ हेल्दी हैबिट्स डालें, जैसे कि सोने से पहले ब्रश करना है, टीवी सिर्फ होमवर्क के बाद देखना है. अगर बच्चा इन बातों को नहीं मानता तो उसे उसके साइड इफेक्ट्स भी बताएं.
-आपको लगता है कि बच्चे के अंदर सेल्फ कंट्रोल नहीं है तो, बच्चे पर पूरा ध्यान दें और उसकी परेशानी को दूर करें, ताकि वह डिसिप्लिन जबरदस्ती नहीं मन से फॉलो करे.
–अगर बच्चा कोई ऐसा काम करता है जिसमें उसको खतरा है या उसके लिए सही नहीं है तो, उसको रोकने या उस पर चिल्लाने की बजाए प्यार से समझाएं. बच्चे को डिसिप्लिन सिखाने का मतलब यह नहीं कि वह हर समय आपकी सुने. आप भी उसे मौका दें अपनी बात समझाने का.
-बच्चे के सामने बार-बार न शब्द का प्रयोग न करें. इससे वह भी उल्टी चीजों की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं और जिस चीज को मना किया जाता है उसी को ज्यादा करते हैं. इसलिए उन्हें इस तरह से समझाएं कि न करना उनकी ही भलाई के लिए है.
Tara Tandi
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