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जब आपका शरीर ज्यादा समय तक गर्म वातावरण के संपर्क में रहता है,
गर्मी ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है. नित बढ़ते तापमान के कारण बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. गरमी का सबसे ज्यादा असर हमारी सेहत पर पड़ता है. एक तरफ H3N2 इन्फ्लूएंजा के बढ़ते प्रकोप से चिकित्सा जगत में वैसे ही त्राहिमाम् मची हुई है, ऊपर से गर्मी से उपजने वाली बीमारियों ने भी अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है. गर्मी अभी और प्रचंड होने वाली है, यहां दिल्ली के चिकित्सक डॉ जितेंद्र सिंह बता रहे हैं गर्मी से उपजने वाली आम बीमारियों के बारे में, साथ ही जानें कैसे करें इनसे अपनी सुरक्षा .
हीट स्ट्रोक
जब आपका शरीर ज्यादा समय तक गर्म वातावरण के संपर्क में रहता है, तो वह गर्म हो जाता है, जिससे हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) होता है. इस वजह से सिरदर्द, चक्कर आना और बहुत ज्यादा कमजोरी आदि महसूस होती है. आप आइस पैक की मदद लें. बाहर निकलने पर एक गिलास कच्चे आम का पन्ना या बेल का शर्बत जरूरी पीयें.
फूड पाइजनिंग
फूड पाइजनिंग पेट से संबंधित गर्मी की आम बीमारी है, जो स्टैफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया, वायरस या अन्य जीवाणुओं से होता है. यह बैक्टीरिया या वायरस हमारे खाने, पानी या कोल्ड-ड्रिंक आदि के साथ पेट में जाता है, जिसकी वजह से फूड पाइजनिंग जैसी समस्या उत्पन्न होती है. इससे पेट में मरोड़ के साथ दर्द, कमजोर, दस्त, भूख न लगना, मल से खून आने जैसी समस्या हो सकती है. इससे बचने के लिए सफाई का पूरा ध्यान रखें, सादा भोजन करें, भोजन के साथ दही या छाछ का सेवन करें. दिन में दो से तीन बार ओआरएस ले सकते हैं.
डिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी)
डिहाइड्रेशन गर्मी की सबसे आम समस्या है. जब शरीर में पानी की मात्रा सामान्य से कम हो जाती है, तो शरीर में खनिजों (नमक और शक्कर) की मात्रा को असंतुलित कर देता है, इसकी वजह से प्यास लगना, चक्कर आना, कम पेशाब होना, बच्चों में नैपकिन का कम गीला होना जैसे लक्षण दिखते हैं. ऐसी स्थिति में इलेक्ट्रॉल, तरल पदार्थ, नारियल पानी, ताजे फलों के रस ज्यादा लें. समस्या ज्यादा गंभीर लगे तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें.
कंठमाला
कंठमाला जिसे पैरोटाइटिस या मम्प्स के नाम से जाना जाता है. यह भी गर्मी से उत्पन्न संक्रामक वायरल (पैरामिक्सोवायरस) रोग है, जो आपकी लार ग्रंथियों को प्रभावित करता है. ये ग्रंथियां आपके कानों के पास मौजूद होती हैं. कण्ठमाला इन एक या दोनों ग्रंथियों को प्रभावित कर सकती है, जिसकी वजह से एक या दोनों लार ग्रंथियां सूज जाती हैं. इससे बचने का सबसे सरल उपाय है टीकाकरण. कंठमाला की स्थिति में बेड रेस्ट करें, ज्यादा से ज्यादा पानी या तरल पेय पीयें. सादा और आसानी से पचने वाला भोजन करें. सूजन वाली जगह (अगर है तो) पर आइस पैक रखें.
चिकन पॉक्स
गर्मियों की सबसे आम बीमारियों में से एक है चिकन पॉक्स, जो अप्रैल से मई के बीच लोग ज्यादा पीड़ित होते हैं. इसके सामान्य लक्षणों में लाल रंग के फफोले जैसे दाने, खुजली, तेज बुखार, त्वचा में लालिमा, भूख नहीं लगना एवं सिर दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं. गाजर और धनिया की तासीर ठंडी होती है. इनका मिश्रण एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होता है. एक प्याला गाजर के टुकड़े और डेढ़ प्याला कटा हुआ साफ धनिया की पत्ती उबालें. आधा होने के बाद ठंडा करके मरीज को दें. इसमें नीम के ताजे पत्ते भी बहुत लाभकारी होते हैं. नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उसे ठंडा कर इसी पानी से मरीज को स्नान कराएं, फफोलों से राहत मिलेगी.
टायफाइड
यह जल से जनित गर्मी की आम बीमारियों में एक है, जो ओरोफेर मार्ग से फैलता है. इसके सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, थकान, कमजोर, पेट दर्द, सिर दर्द, और भूख नहीं लगना है. टाइफाइड में तेल-मसाले वाले खाने से परहेज करें. चूंकि टायफाइड में अक्सर पाचन तंत्र कमजोर हो जाते हैं, ऐसे में तली-भुनी चीजों का सेवन जहर साबित होता है. इसमें खिचड़ी, दलिया, सूप एवं उबले हुए चावल खाएं. डॉक्टर के संपर्क में जरूर रहें.
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Apurva Srivastav
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