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सर्दियों में कई बार सुबह के समय उठने का मन नहीं करता. किसी तरह उठ जाएं तो बार बार आलस हावी होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सर्दियों में कई बार सुबह के समय उठने का मन नहीं करता. किसी तरह उठ जाएं तो बार बार आलस हावी होता है. ऐसे में समझ नहीं आता कि क्या किया जाए क्योंकि आलस के चलते सारा काम प्रभावित होता है. अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो यहां बताए जा रहे योगासन मददगार हो सकते हैं.
आलस
सुबह की नींद (Sleep) हर किसी को प्यारी होती है. वहीं सर्दियों का मौसम हो तो रजाई से जल्दी निकलने का मन ही नहीं करता. अगर किसी तरह आप हिम्मत करके उठ भी जाएं तो भी आलस (Laziness) पूरे शरीर पर हावी रहता है. ऐसे में किसी काम को करने में मन नहीं लगता. किसी तरह काम को किया भी जाए तो मन मुताबिक काम नहीं हो पाता. बस लगता है कि किसी तरह दोबारा सो जाएं. अगर आप भी रोजाना सुबह उठने की जद्दोजहद में अपना बहुमूल्य समय बर्बाद करते हैं, तो दो योगासन (Yogasanas) आपकी इस समस्या को दूर कर सकते हैं. आपको सुबह उठने के बाद बिस्तर पर बैठे बैठे ये दो योगासन करने हैं. इससे आपका आलस भी भागेगा और आपके शरीर में चुस्ती और फुर्ती का संचार होगा.
शशकासन
शशकासन में व्यक्ति को खरगोश जैसी मुद्रा बनानी होती है. खरगोश काफी चुस्त और फुर्तीला होता है. इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले व्रजासन में बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों को सीधा दोनों घुटनों पर रखें. अब सांस को अन्दर की ओर लें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं. इस बीच गर्दन और रीढ़ की हड्डी को पूरी तरह से सीधा रखें. इसके बाद सांस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे की तरफ झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों को भी साथ में नीचे लाएं. अपनी नाक और माथे को फर्श पर रख दें और हाथों को भी सीधे फर्श पर सीधे रख दें. इसके बाद सांस को लेते हुए फिर से उठ जाएं. इस क्रम को 4 से 5 बार दोहराएं.
मंडुकासन
मंडुकासन को फ्रॉग पोज भी कहते हैं क्योंकि इसमें व्यक्ति की मुद्रा मेंढक जैसी बन जाती है. इस आसन को करने से आपका आलस दूर तो होता ही है, साथ ही डायबिटीज के मरीजों के लिए ये काफी लाभकारी है. इसे करने के लिए पहले वज्रासन पर बैठें और अपने हाथों की मुट्ठी इस तरह से बांधें कि अंगूठे बाहर की तरफ हों. अब दोनों मुट्ठी को नाभि की तरफ लाएं और मुट्ठी से नाभि को ऐसे दबाएं कि आपका अंगूठा नाभि को टच करे. अब सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर की तरफ खींचे और आगे की ओर झुकें. आगे झुकते हुए आपकी छाती आपकी जांघों को टच करे. इसके बाद अपनी गर्दन और सर को उठाएं और सामने की तरफ देखें. इस स्थिति में धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस को छोड़ें. क्षमतानुसार इस स्थिति में रुकें और जब थक जाएं तो सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं.
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