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सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शंकर को समर्पित रहता है। भगवान के भक्त पूजा-पाठ से लेकर व्रत, उपवास में लगे रहते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शंकर को समर्पित रहता है। भगवान के भक्त पूजा-पाठ से लेकर व्रत, उपवास में लगे रहते हैं। शिवलिंग की पूजा में कई सारी चीजों दूध, दही, गंगाजल को चढ़ाने का विधान है। वहीं बहुत सारे लोग शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाते हैं। और प्रसाद स्वरुप ग्रहण करते हैं। पंचामृत पांच चीजों को मिलाकर बनता है। पंचामृत केवल पूजा में प्रसाद के तौर पर ही महत्व नही है बल्कि इसे पीने से शरीर को भी कई फायदे होते हैं। पंचामृत शरीर में पानी की कमी को दूर करता है। तो चलिए जानें क्या है पंचामृत बनाने की विधि।
पंचाम़ृत बनाने की विधि
गाय का दूध एक गिलास, दही एक गिलास, गाय का घी एक चम्मच, शहद तीन चम्मच, मिश्री या चीनी स्वादानुसार, तुलसी के पत्ते दस, दस से पंद्रह मखाने कटे हुए, काजू चार से पांच कटे हुए, बादाम पार से पांच कटे हुए, चिरौंजी दस ग्राम, गरी बारीक कटी हुई।
पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, शहद, घी और चीनी की जरूरत होती है। इन पांचों चीजों को मिलाकर ही पंचामृत बनकर तैयार होता है। पंचामृत बनाने के लिए दही और चीनी को लेकर मिक्स कर लें। आप चाहे तो मिक्सी के जार में डालकर दही को चीनी के साथ फेंट लें। इससे चीनी भी आसानी से घुल जाएगी।
दही और चीनी को फेंटने के बाद इसमे दूध, शहद और थोड़ा सा देसी घी मिला दें। इसे चम्मच की सहायता से अच्छी तरह से मिक्स कर लें। साथ में तुलसी के आठ-दस पत्ती भी मिला लें। कटे हुए मखाने, काजू और बादाम के साथ चिरोंजी और गरी के छोटे टुकड़े कर लें। इन सारे पंचमेवे को भी पंचामृत में मिलाकर तैयार कर लें। बस अब इसे शिवलिंग पर चढाकर आप स्वयं प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर सकते हैं। पंचामृत व्रत में पीने से ना केवल शरीर में पानी की कमी नहीं रहता बल्कि इससे दिनभर एनर्जी भी बनी रहती है।
Tara Tandi
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