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आज के समय में खुद को फिट रखना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है, खासकर, महिलाओं के लिए जब आप 40+ ग्रुप में शामिल होने जा रही हैं। 40 की उम्र के बाद दिल की बीमारी, मधुमेह, ब्लड प्रेशर, किडनी और लिवर संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरुरत पड़ती है। इसमें सही दिनचर्या का पालन, रोजाना योग और एक्सरसाइज जरूर करें। साथ ही अपने आहार पर भी ध्यान देना बेहद जरुरी है। आज इस कड़ी में हम आपको ऐसे ही आहार के बारे में बताए जा रहे हैं जिन्हें महिलाएं 40 की उम्र के बाद डाइट में शामिल कर अपनी सेहत का ख्याल रख सकती हैं।
डाइट में एड करें फाइबर को
शरीर को हेल्दी रखने के लिए हमें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स के अलावा फाइबर की जरूरत भी होती है। फाइबर कोलस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है। साथ ही यह भोजन को पाचन प्रणाली से निकलने में मदद करने के साथ-साथ जरूरी मात्रा में मल निकाल कर शरीर को स्वस्थ्य बनाता है। डाइट में फाइबर की कमी कब्ज का कारण बन सकती है। कब्ज होने पर व्यक्ति को मलत्याग करने में परेशानी, गैस और एसिडिटी होने लगती है। ऐसे में अगर कई दिनों तक कब्ज की समस्या बनी रहे, तो पाइल्स भी हो सकती है। आपको कभी भी खाने की क्रेविंग हो तो आपको फाइबर का सेवन करना चाहिए। अलसी, बादाम, अनार, सूखा अंजीर, गेहूं का चोकर, बाजरा, राई का आटा, राजमा, दाल, गाजर और चुकंदर में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे रोजाना की डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं।
फ्लैक्स सीड्स
फ्लैक्स सीड्स यानी अलसी के बीज ओमेगा 3 से भरपूर होते हैं। अलसी के बीज का सेवन हमें कब्ज, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, कैंसर और कई अन्य बीमारियों से बचाता हैं। अलसी के बीज को आप सुबह में खाली पेट गरम पानी में 1 चम्मच मिलाकर पी सकते हैं। यह बहुत ज्यादा लाभकारी होता है। इस तरीके से खाने से फैट तेजी से घटता है। आप इसका रोजाना नियमित रूप से सेवन करते हैं तो इसमें मौजूद अल्फा लाइनोइक अर्थाराइटिस, अस्थमा, डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे से बचाता है। अलसी को विभिन्न तरीकों से दैनिक आहार में शामिल किया जा सकता है। आप अलसी के बीजों को पीसकर और स्मूदी, मिल्कशेक जैसे पेय में या बेकरी उत्पादों के लिए एक घटक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। साबुत अलसी के बीज या अलसी के तेल का उपयोग भोजन के पूरक के रूप में भी किया जा सकता है।
कैल्शियम
कैल्शियम एक महत्वपूर्ण मिनरल है जो हमारी शरीर की हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मदद करता है। साथ ही यह हमारे दिल और शरीर की अन्य मांसपेशियों के समुचित कार्य के लिए भी आवश्यक है। 40 साल के बाद शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है। खासकर यह समस्या महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती हैं, क्योंकि प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं में कैल्शियम की कमी होना आम बात है। मेनोपॉज के दौरान कैल्शियम विशेष रूप से जरूरी होता है क्योंकि एस्ट्रोजेन लेवल में कमी से हड्डियों के नुकसान में तेजी आ सकती है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के लिए डेयरी प्रोडक्ट का सेवन बिल्कुल जरूरी है। इसके लिए अपनी डाइट में रागी, छोले, अंडे, दूध, दही, पनीर, आंवला आदि को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। कैल्शियम का सबसे अच्छा स्त्रोत दूध को माना जाता है। एक गिलास दूध में करीब 300 ग्राम कैल्शियम होता है।
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Rani Sahu
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