लाइफ स्टाइल

यूटरिन कैंसर कैसे करवाएं इसकी जांच जानिए

Teja
1 Dec 2021 12:27 PM GMT
यूटरिन कैंसर कैसे करवाएं इसकी जांच जानिए
x

यूटरिन कैंसर कैसे करवाएं इसकी जांच जानिए

आजकल महिलाओं में कैंसर की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। ब्रेस्ट कैंसर से लेकर यूटरिन कैंसर तक हर तरह के कैंसर केसेस महिलाओं में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।


जनता से रिश्ता वेबडेस्क |आजकल महिलाओं में कैंसर की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। ब्रेस्ट कैंसर से लेकर यूटरिन कैंसर तक हर तरह के कैंसर केसेस महिलाओं में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। आज के इस विषय में हम यूटरिन कैंसर के बारे में बात करने जा रहे है।
एंडोमेट्रियल या गर्भाशय कैंसर का अक्सर प्रारंभिक चरण में निदान किया जाता है क्योंकि यह असामान्य योनि रक्तस्राव का कारण बनता है। यदि एंडोमेट्रियल कैंसर का जल्दी पता चल जाता है, तो गर्भाशय को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाने से इस कैंसर का इलाज हो सकता है।
जानें क्या होता है यूटरिन कैंसर , कैसे करवाएं इसकी जांच
यूटरिन कैंसर जो महिलाओं के लिए खतरानक हो सकता है उसका पता लगाने के लिए कुछ खास तरीके हैं। इनके बारे में विस्तार से आज हम आपको बताएंगे । यूट्रस के अंदरूनी भाग में मौजूद एक परत को एंटोमेट्रियम कहा जाता है और जब इस परत की कोशिकाएं तेज़ी से बढ़ने लगती हैं तो आगे चलकर यूयूटरिन/एंडोमेट्रियल कैंसर होता है।
ऐसे कई जांच के तरीके हैं जिनसे एंडोमेट्रियल कैंसर का पता कोई सक्षण या किसी संकेत के दिखने के पहले ही लगाया जा सकता है।
ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड
अल्ट्रासाउंड एक ऐसा तरीका होता है जिससे ध्वनी (अल्ट्रासाउंड एनर्जी) के जरिए शरीर के अंदरूनी अंगों को स्क्रीन पर देखा जा सकता है। इसमें ट्रांसड्यूसर की मदद ली जाती है जिसे वेजाइना में इंसर्ट किया जाता है और पेल्विक क्षेत्र में मौजूद अंगो का जायजा लिया जाता है। इससे एंडोमेट्रियम की मोटाई का अनुपात लिया जा सकता है।
एंडोमेट्रियल सैम्पलिंग
इसमें यूट्रस की परत से एक टिशू निकाला जाता है जिसे टेस्ट किया जाता है कि कहीं इसमें कोई अपवाद तो नहीं। इस तरीके में 10 मिनट का समय ही लगता है और कुछ मामलों में तो एनेस्थीसिया देने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। महिला की पीरियड साइकल के आधार पर अगर उसे इस प्रक्रिया के बाद बीच में भी थोड़ी ब्लीडिंग होती है तो ये पूरी तरह से नॉर्मल है।
कैंसर के उपचार का सबसे सही तरीका यही है कि उसका पता शुरुआती दौर में ही लगाया जा सके। एक महिला को यूटरिन कैंसर का टेस्ट तब भी करवाना चाहिए जब उसे लगे कि वेजाइना से अलग तरह से ब्लीडिंग हो या किसी तरह का डिस्चार्ज हो जो आम नहीं है। ताकि इस तरह के कैंसर का पता शुरुआती दौर में ही लगाया जा सके।


Next Story