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लाइफ स्टाइल
जानिए कोविड महामारी हमारी नींद के पैटर्न और सपनों पर कैसे असर डाल रही है:
Admin4
18 Feb 2022 6:31 AM GMT
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कोविड पैनडेमिक
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या आपने भी ऐसा महसूस किया है. आप कहीं बाहर मार्केट में या दुकान में हैं, ऑफिस में हैं, लिफ्ट में हैं, किसी के घर पर हैं या किसी सार्वजनिक जगह पर हैं और अचानक आपके आसपास किसी को तेज छींक आ जाती है. या आपके आसपास कोई खांस रहा है और आप अचानक एक अजीब सी घबराहट, बेचैनी और डर महसूस करने लगते हैं. अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो यकीन मानिए कि आप अकेले नहीं हैं और ये लक्षण बिलकुल असामान्य नहीं हैं.
कोविड पैनडेमिक ने हमारी जिंदगी को जिस तरह बदलकर रख दिया है, उसके बहुत हम सभी ऐसे-ऐसे डर, बेचैनी, घबराहट और भय महसूस कर रहे हैं. ऐसी घबराहट और परेशानी, जो शायद पहले हमने कभी इस तरह महसूस नहीं की. हाल ही में एक साइंस स्टडी में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि पैनडेमिक ने हमारी जिंदगी के साथ-साथ हमारे सपनों को भी बदल दिया है. अब लोगों को ज्यादा डरावने और भयभीत करने वाले सपने आ रहे हैं.
पैनडेमिक के दौरान यह जानने के लिए यह स्टडी की गई कि कोविड का लोगों की नींद की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ रहा है. स्टडी में शामिल 5525 लोगों की डीटेल्ड अध्ययन के बाद यह पाया कि कोविड से पहले जहां 36 फीसदी लोगों को खराब नींद और बुरे सपनों की शिकायत थी, वहीं महामारी के दौरान यह प्रतिशत बढ़कर 50 हो गया. अब वो लोग भी ठीक से न सो पाने और बुरे सपने देखने की शिकायत कर रहे थे, जिन्हें पैनडेमिक के पहले ऐसी समस्या नहीं थी.
नींद का हमारे स्वास्थ्य के साथ गहरा रिश्ता है. जो लोग अच्छी, गहरी नींद सो पाते हैं, वो दुनिया के सबसे खुशकिस्मत लोगों में से एक हैं क्योंकि यदि आपकी बाकी जीवन शैली बहुत स्वस्थ और वैज्ञानिक है, लेकिन आपकी नींद का रूटीन और पैटर्न सही नहीं है तो आपकी सेहत खतरे में है. आपके स्ट्रोक और हार्ट की बीमारियों से लेकर नर्वस सिस्टम से जुड़ी कई तकलीफों का शिकार होने की संभावना ज्यादा है.
मेडिकल साइंस कहता है कि नींद हमारे बेहतर स्वास्थ्य को जांचने का बुनियादी लिटमस पेपर टेस्ट है. अगर पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं ले रहे हैं, यदि आप उतने घंटे बिस्तर पर सोने की कोशिश में गुजार रहे हैं, फिर भी ठीक से सो नहीं पा रहे हैं तो ये खतरे की घंटी है. आपको तुरंत अपना स्लीप टेस्ट करवाना चाहिए. स्लीप एप्निया भी हो सकता है.
संक्षेप में बात यह है कि बदलती सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों, कोविड महामारी, जीवन पर मंडरा रहे संकट और अनिश्चितताओं ने हमारे जीवन और स्वास्थ्य के अन्य पहलुओं के साथ-साथ नींद को भी नकारात्मक ढंग से प्रभावित किया है और हम उन प्रभावों के प्रति लापरवाही नहीं बरत सकते.
Admin4
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