लाइफ स्टाइल

मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस कितने प्रकार का होता है, जानें

Bhumika Sahu
21 Feb 2022 4:47 AM GMT
मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस कितने प्रकार का होता है, जानें
x
जब पहली बार प्राइमरी प्रोग्रेसिव मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस का पता चलता है, तभी स्थिति खराब हो चुकी होती है. कह सकते हैं कि मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस के चरम पर पहुंचने के बाद यह पहली बार पकड़ में आता है और तब तक स्थिति नियंत्रण से बाहर निकल चुकी होती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले आर्टिकल में हमने पूरी दुनिया में महिलाओं को सबसे ज्‍यादा शिकार बनाने वाली बीमारी मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस के बारे में बात की थी, जो एक ऑटो इम्‍यून बीमारी है. जो किसी बाहरी वायरस, प्रभाव या जेनेटिक कारणों से नहीं होती, बल्कि शरीर के भीतर ही पैदा होती है. शरीर की एक ऐसी अवस्‍था, जब शरीर की रक्षा करने और बाहरी खतरों से हमेशा उसका बचाव करने वाला हमारा इम्‍यून सिस्‍टम हमारे खिलाफ ही लड़ने पर उतारू हो जाता है.

आगे कई आलेखों में हम आपको मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस के बारे में विस्‍तार से बताएंगे. यह किस कारण होता है, इसके लक्षण क्‍या है, इस बीमारी का पता किस तरह लगता है, इसका पता लगाने के लिए कौन-कौन सी जरूरी जांच करवाई जानी चाहिए, उपचार क्‍या है. मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस महिलाओं को ही ज्‍यादा क्‍यों होता है और इसका सामाजिक और ऐतिहासिक जेंडर भेदभाव से क्‍या ताल्‍लुक है. क्‍या इस बीमारी को समय रहते डायग्‍नोस किया जा सकता है और इससे निजात पाई जा सकती है.
मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस के प्रकार:
मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस (MS) मुख्‍यत: चार प्रकार का होता है-
रिलाप्सिंग और रेमिटिंग मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस (RRMS)
यह मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस की सबसे सामान्‍य और शुरुआती अवस्‍था है. इसकी शुरुआत होने पर लंबे समय तक इसके लक्षण भी प्रकट नहीं होते और जब होते हैं तो भी स्‍थाई रूप से नहीं रहते. शुरुआती अवस्‍था में मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस के लक्षण अटैक की तरह कभी-कभार प्रकट होते हैं और फिर अपने आप विलुप्‍त भी हो जाते हैं. लेकिन हर थोड़े अंतराल पर यह लक्षण बार-बार उभरते हैं.

Multiple Sclerosis
सेकेंडरी प्रोग्रेसिव मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस (SMS)
मेडिसिन की भाषा में कहें तो ये मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस का दूसरा चरण है. शुरुआती चरण में लक्षण सामान्‍य और कभी-कभार रह-रहकर प्रकट होने वाले होते हैं. लेकिन जैसे-जैसे मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस की स्थिति गंभीर होती जाती है और यह सेकेंडरी चरण में पहुंचती है तो लक्षण गंभीर होने लगते हैं. उनका अंतराल कम होने लगता है और कई बार उसके परिणाम सीवियर ढंग से प्रकट होते हैं.
प्राइमरी प्रोग्रेसिव मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस (PPMS)
यह मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस का सबसे रेयर रूप है. इस बीमारी में लक्षण धीरे-धीरे नहीं प्रकट होते और धीरे-धीरे प्रोग्रेस नहीं करते. जब पहली बार प्राइमरी प्रोग्रेसिव मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस का पता चलता है, तभी स्थिति खराब हो चुकी होती है. कह सकते हैं कि मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस के चरम पर पहुंचने के बाद यह पहली बार पकड़ में आता है और तब तक स्थिति नियंत्रण से बाहर निकल चुकी होती है. मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस के शिकार सिर्फ 10 फीसदी लोगों में बीमारी इस अवस्‍था में पहुंचती है.
प्रोग्रेसिव रिलैप्सिंग मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस (PRMS)
यह मल्‍टीपल स्क्लिेरोसिस का सबसे खतरनाक रूप है. साथ ही सबसे दुर्लभ भी. बहुत कम लोगों को यह बीमारी होती है, लेकिन जिन्‍हें भी होती है, यह नियंत्रण और उपचार की सीमा के बाहर होती है. स्क्लिेरोसिस के लक्षण अपने चरम पर होते हैं और बार-बार प्रकट होते हैं.


Next Story