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लाइफ स्टाइल
जान लें, ऑक्सीजन बढ़ाने में कितना कारगर है प्रोन पोज़िशन
Kajal Dubey
26 April 2023 6:25 PM GMT
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इस समय भारत कोराना महामारी की बहुत बड़ी मार झेल रहा है. यह तूफ़ान इतना बड़ा है कि इससे हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है. इस समय देश में रोज़ाना 3 लाख से ऊपर मामले आ रहे हैं. मौत के आंकड़ों में भी इज़ाफ़ा हो रहा है. अधिकतर मरीज़ ऑक्सीजन और दवाओं की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं. देशभर में ऑक्सीजन की किल्लत किसी से छुपी नहीं. ऑक्सीजन लेवल ठीक रखने के लिए कई आधुनिक तरीक़े अपनाए जा रहें, लेकिन एक प्राचीन तरीक़े की भी ज़ोरशोर से बात हो रही है, वह है प्रोन पोज़िशन.
क्या है प्रोन पोज़िशन
जिस प्रोन पोज़िशन से ऑक्सीजन बढ़ाने की बात कही जा रही है, उसमें कुछ तकनीक का पालन करते हुए पेट के बल लेटना होता है. इससे फेफेड़ों की कोशिकाएं खुलने लगती हैं और ऑक्सीजन की मात्रा में बढ़ोतरी होने लगती है. मेडिकल साइंस की दुनिया में प्रोन पोज़िशन का प्रयोग सालों से होता आ रहा है.
कोरोना वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित मरीज़ों के फेफड़ों में इंफ़ेक्शन फैल जाता है. यह इंफ़ेक्शन इतना अधिक होता है कि मरीज को सांस लेने में दिक़्क़त होना शुरू हो जाती है, यानी शरीर के अंगों के बीच ऑक्सीजन के आदान-प्रदान में कमी आ जाती है. ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने लिए मरीज़ को अलग से ऑक्सीजन ज़रूरत पड़ती है, जिसकी हमारे देश में भारी कमी देखने को मिल रही है. ऐसे में मरीज़ को कुछ समय तक राहत देने के लिए प्रोन पोज़िशन का सहारा लिया जा रहा है.
इसे करने के लिए सबसे पहले चार या पांच तकिए लें. अब पेट के बल लेट जाएं और एक तकिया गर्दन के नीचे, दो कूल्हों के नीचे और पैर के नीचे रखें. इसमें पेट मैट को नहीं छूना चाहिए. अगर पेट थोड़ा बड़ा हो तो कूल्हे के नीचे तीन तकिए का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर यह पोज़िशन आप किसी कोरोना मरीज़ के लिए अपना रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें और हो सके तो उनकी देखरेख में ही कराएं. क्योंकि कितनी देर तक इस पोज़िशन में रहना है और कम बदलना है यह कोई विशेषज्ञ ही तय कर सकता है. इसके अलावा अगर मरीज़ को सांस लेने में अधिक परेशानी हो तो सिर्फ़ प्रोन के भरोसे नहीं रहें, जल्द से जल्द ऑक्सीजन बेड का इंतजाम करें.
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