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जानें ई-स्कूटर और ई-ट्रांसपोर्टेशन कैसे करेगा पर्यावरण पर असर
SANTOSI TANDI
25 Sep 2023 9:48 AM GMT
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करेगा पर्यावरण पर असर
ई-स्कूटर और परिवहन का सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है। सड़कों पर लगी लंबी ट्रैफिक आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इसके निवारण में ई-स्कूटर या परिवहन वातावरण को अधिक प्रदूषण फैलने के रोकथाम में क्या सहायक है? आइए आज जानते हैं क्यों वातावरण को स्वच्छ बनाने के लिए ई-स्कूटर या परिवहन एक सार्थक विकल्प हो सकता है।
दरअसल, भारत सरकार के नीति आयोग की ई-अमृत वेबसाइट के मुताबिक, इलेक्ट्रिक वाहन ज्यादा असरदार होते हैं और बिजली की लागत के साथ इस्तेमाल करने का मतलब है कि इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करना आपकी यात्रा के लिए पेट्रोल या डीजल भरवाने की तुलना में सस्ता है। रिन्यूएबल एनर्जी से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बना सकता है।
क्या होता है ई-स्कूटर और ई-ट्रांसपोर्टेशन?
ई-स्कूटर एक प्रकार का इलेक्ट्रिक वाहन होता है जो इलेक्ट्रिक मोटर की मदद से चलता है। ई-स्कूटर आमतौर पर साइज में छोटे और हल्के हो सकते हैं और उनका इस्तेमाल शहरी इलाकों में परिवहन के लिए किया जाता है। कुछ एक साधारण ई-स्कूटर चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है, लेकिन कंपनी द्वारा रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इनका नगर निगम के तहत सामान्य गाड़ियों से अलग ई-व्हीकल की श्रेणी में रजिस्ट्रेशन कराई जाती है। इलेक्ट्रिक वाहन आमतौर पर ईंधन से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम खर्चीले हो सकते हैं।
ई-परिवहन के कई फायदे हो सकते हैं?
ई-परिवहन का मतलब इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करके यात्रा करना है।
ई-वाहन Fossil Fuel यानी जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम प्रदूषण करते हैं। इससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिल सकती है।
ई-वाहन ईंधन से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम ईंधन का उपयोग करते हैं। इससे वाहन मालिकों को पैसे बचाने में भी मदद मिल सकती है।
ई-वाहन ईंधन से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम शोर करते हैं। इससे शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए रहने की गुणवत्ता में सुधार होता है। साथ ही ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
ई-परिवहन को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारें सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन भी प्रदान कर रही हैं। भारत सरकार ने ई-वाहनों के लिए सब्सिडी और टैक्स पर छूट की घोषणा की है।
ई-स्कूटर और ई-परिवहन एक बढ़ती हुई लोकप्रियता का विकल्प है जो प्रदूषण को कम करने, ईंधन की बचत करने और शहरी क्षेत्रों में रहने की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है।
इसे भी पढ़ें: जानिए क्या होती है इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी और क्यों है यह जरूरी?
ई-स्कूटर का पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है?
ई-स्कूटर का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। बिना टेल्पाइप के इलेक्ट्रिक वाहन चलाते समय कोई कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य हानिकारक उत्सर्जन नहीं करती हैं।
ई-स्कूटर से हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और हमारे आस-पास के पर्यावरण को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
ई-स्कूटर आवाज में उत्पन्न प्रदूषण को कम करते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण में शोर कम हो सकता है और यह सुरक्षित वाहन से चलने का विकल्प दे सकता है।
ई-स्कूटर ऑटोमोबाइल की तरह ईंधन बचाने के लिए विशेष तरीके से डिजाइन किए जाते हैं, जिससे उनकी वाटर ट्रांसमिशन में कमी होती है और यह जल संकटों को कम करने में मदद कर सकता है।
ई-स्कूटर छोटे और आपकी यातायात की जगह कम जगह लेते हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या को कम किया जा सकता है।
ई-स्कूटर अक्सर आमजन के लिए आदर्श विकल्प हो सकती हैं, क्योंकि वे पब्लिक यातायात के साथ स्वस्थ विचारों को प्रोत्साहित कर सकता हैं।
ई-स्कूटर शहरी परिवहन में सुरक्षित विकल्प के तौर पर प्रोत्साहित किए जा सकते हैं, जो शहरी मोबिलिटी को सुधारने में मदद कर सकता है।
हालांकि ई-स्कूटर पर्यावरण के लिए आसान विकल्प हो सकता है, यह अहम है कि वे बढ़ने वाले पॉल्यूशन और ट्राफिक जाम की समस्याओं को समाधान के तौर में देखे जा सकते हैं। वहीं देखा जाए तो दूसरी तरफ, ई-स्कूटर का पर्यावरण पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, ई-स्कूटर के निर्माण और रखरखाव के लिए कुछ ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, ई-स्कूटर के लिए बैटरी को अक्सर बदलने की जरूरत पड़ती है, जिससे कचरे का भी उत्पादन हो सकता है।
कुल मिलाकर, भारत सरकार के नीति आयोग की ई-अमृत वेबसाइट के मुताबिक, ई-स्कूटर का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ई-स्कूटर Fossil Fuel यानी जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम प्रदूषण करते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलती है।
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