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जानिए वैजाइनल टाइटनिंग के लिए व्‍यायाम

Ritisha Jaiswal
21 Jun 2022 2:55 PM GMT
जानिए वैजाइनल टाइटनिंग के लिए व्‍यायाम
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वैजाइनल टाइटनिंग के लिए व्‍यायाम

वैजाइनल टाइटनिंग वह विधि है जिसका इस्‍तेमाल वैजाइना (योनि) में कसाव लाने के लिए किया जाता है, जो बच्‍चे के जन्‍म, मेनोपॉज़ के बाद या उम्र के साथ मसल टोन खो देती है और ढीली हो जाती है। ज्‍यादातर महिलाएं उम्र बढ़ने पर वैजाइना के ल्‍यूब्रिकेशन या इलास्टिसिटी (लचीलेपन) की समस्‍याओं का सामना करती हैं। इससे यौन प्रक्रिया बाधित होती है या फिर वैजाइनल एट्रोफी, वैजाइनल लैक्सिटी की समस्‍या आती है अथवा यौन संबंध बनाना पीड़ादायक हो जाता है और तनाव बढ़ता है, और इन सबसे जिंदगी की गुणवत्‍ता खराब होती है।

इससे निपटने के लिए वैजाइना में सुधार करने वाले कई तरह के उपचार उपलब्‍ध हैं और यह सभी इस प्रक्रिया के तहत वैजाइना को टाइट करने का दावा करते हैं। इन उपचारों में क्रीम और पिल्‍स का इस्‍तेमाल करने से लेकर लेज़र या रेडियोफ्रीक्‍वेंसी थेरैपी और यहां तक कि सर्जरी भी शामिल है।
वैजाइनल टिश्‍यू में खिंचाव और इसके वापस अपने वास्‍तविक आकार में लौटने की क्षमता उम्र एवं बच्‍चे के जन्‍म के बाद अलग-अलग हो सकती है, लेकिन इस तरह के उतार-चढ़ाव का श्रेय पेल्विक मसल्‍स में होने वाले बदलावों को जाता है। पेल्विक फ्‍लोर मसल्‍स की सेहत बच्‍चे के जन्‍म के तुरंत बाद या फिर मेनोपॉज की अवधि के बाद आपकी शारीरिक अंतरंगता को प्रभावित करती है। वैजाइनल लैक्सिटी हॉर्मोन में होने वाले उतार-चढ़ाव या वैजाइना एवं दूसरे पेल्विक अंगों पर पड़ने वाले शारीरिक दबाव या तनाव के कारण हो सकती है। पेल्विक फ्‍लोर मसल्‍स की मजबूती को वापस पाकर वैजाइना को दोबारा सामान्‍य स्थिति में लाने में मदद मिल सकती है।
वैजाइनल टाइटनिंग के फायदे
वैजाइनल टाइटनिंग से महिलाओं को वापस सामान्‍य होने में मदद मिलती है और यह दूसरी बार गर्भधारण करने की दर में भी बढ़ोतरी करता है। वैजाइनल टाइटनिंग के कुछ लाभ इस प्रकार हैं :
- वैजाइनल एट्रोफी के लक्षणों में सुधार आता है
- वैजाइना में सूखापन कम होता है
- स्‍ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस ट्रीटमेंट (एसयूआइ) से बचाता है
- ल्‍यूब्रिकेशन में बढ़ोतरी होती है
- बैक्‍टीरियल वैजाइनोसिस (बीवी) जैसे बार-बार होने वाले संक्रमणों में कमी आती है
- वैजाइना की लैक्सिटी बढ़ती है
- यौन सुख में वृद्धि होती है
वैजाइनल टाइटनिंग के लिए व्‍यायाम
वैजाइनल लैक्सिटी का उपचार करने के लिए कुछ साधारण, दर्दरहित, प्राकृतिक उपचार हैं।
1. कीगल व्‍यायाम: कीगल व्‍यायाम वैजाइनल टाइटनिंग की सबसे पसंदीदा और लोकप्रिय विधियों में से एक है। इसमें क्‍लेंच एवं रिलीज मूवमेंट (सिकोड़ना और ढीला करना) होते हैं। व्‍यायाम में पेल्विक फ्‍लोर मसल्‍स को शामिल करने, उन्‍हें 5-10 सेकंड तक होल्‍ड करने और फिर इसे रिलीज करने की प्रक्रिया कीगल एक्‍सरसाइज कहलाती है। इसे दिन में कई बार लगातार 5-10 बार दोहराना चाहिए। इसका नतीजा यह होता है, कि पेल्विक फ्‍लोर मसल्‍स मजबूत हो जाती हैं और इससे वैजाइनल टाइटनिंग में मदद मिलती है।
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2. स्‍क्‍वैट्स: स्‍क्‍वैट्स (उकडूँ या पालथी मारकर बैठना) पेल्विक एरिया को टोन करने तथा वैजाइनल मसल्‍स को टाइट करने में काफी फायदेमंद हैं। इसमें पैरों एवं हिप्‍स को स्‍ट्रेच करके खड़े होना पड़ता है, खुद को ऐसे झुकाएं जैसे कि आप बेंच पर बैठे हों। इसके बाद, स्‍क्‍वैटिंग एवं फिर से बैठने से पहले कुछ पल के लिए खड़े हो जाएं।
3. पेल्विक स्‍ट्रेचिंग: पेल्विक स्‍ट्रेचिंग से पेल्विक मसल्‍स को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। पेल्विक स्‍ट्रेच करने का सबसे आसान तरीका है कि आप एक कुर्सी के किनारे पर बैठे, अपने पैरों को फैलाएं। अपनी एड़ियों की ओर झुकें और अपनी बांहों को बाहर की ओर फैलाएं। पेल्विस एरिया को अंदर की ओर स्‍ट्रेच करना चाहिए। यह वैजाइनल टाइटनिंग और वैजाइना की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए सबसे प्रभावी व्‍यायामों में से एक है।
4. लेग्‍स अप: वैजाइना को टाइट करने और पेल्विक मसल को मजबूत करने के लिए पैरों को ऊपर उठाना सबसे बढ़िया व्‍यायाम है। फर्श पर अपनी पीठ के बल पर एकदम सीधे लेट जाएं फिर एब्‍डॉमिनल मसल्‍स को खींचे और धीरे-धीरे पैरों को एक के बाद एक करके छत की ओर उठाएं। इससे पेल्विक फ्‍लोर मसल्‍स को मजबूत करने और उन्‍हें सख्‍त बनाए रखने में मदद मिलेगी।
5. मेडिसिन बॉल सिट-अप्‍स: मेडिसिन बॉल सिट-अप्‍स वैजाइनल टाइटनिंग की सबसे उन्‍नत विधियों में से एक हैं जिससे एब्‍डॉमिनल पैक्‍स में भी मदद मिलती है। इस व्‍यायाम में अपने घुटनों को मोड़कर बैठें, पैर के तलवे फर्श पर रखें और अपनी पीठ दीवार की तरफ करके लेटने की मुद्रा में आएं।
6. वैजाइनल मसल्‍स : वैजाइनल मसल्‍स को पेल्विक टिल्‍ट व्‍यायाम करके मजबूत बनाया जा सकता है। अपने कंधों और पीठ को दीवार के सहारे एकदम सीधा रखकर खड़े हो जाएं और अपने घुटनों को ढीला रखें, अपने बेलीबटन (नाभि) को अपनी रीढ़ की हड्डी की तरफ खींचे और इस दौरान अपनी पीठ को दीवार के सहारे सीधा रखें। 4 सेकंड तक के लिए इसी पोजीशन में रहें, उसके बाद बैली बटन को ढील


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