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जानिए देश के उन मॉर्डन गांवों के बारे में....

Tara Tandi
30 Aug 2022 5:55 AM GMT
जानिए देश के उन मॉर्डन गांवों के बारे में....
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न्यूज़ क्रेडिट: news18

आमतौर पर शहरों को गावों से सुपीरियर माना जाता है. गांवों की अपेक्षा शहरों में रहने की सुविधा ज्यादा बेहतर होती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आमतौर पर शहरों को गावों से सुपीरियर माना जाता है. गांवों की अपेक्षा शहरों में रहने की सुविधा ज्यादा बेहतर होती है. वहीं शहर में तकनीक का विकास भी काफी तेजी से देखने को मिलता है. क्या आप जानते हैं कि भारत के कुछ गांवों का नाम मॉडर्न गांवों (Modern Villages) की फेहरिस्त में शुमार है. जी हां, इन गांवों में हुए तकनीकी विकास ने शहर की टेक्नोलॉजी को भी मात दे दी है. दरअसल जब बात गांव की आती है तो ज्यादातर लोग गांवों को शहरों की तुलना में पिछड़ा और कम विकसित करार देते हैं. बेशक देश के कई गांवों में बिजली, पानी और सड़क जैसी बेसिक संसाधनों की कमी है. बावजूद इसके देश में कुछ गांव ऐसे भी हैं, जिन्होंने नई टेक्नोलॉजी को अपनाकर न सिर्फ खुद को विकसित बनाया है बल्कि शहर की तकनीक को भी काफी पीछे छोड़ दिया है. तो आइए जानते हैं देश के उन मॉर्डन गांवों के बारे में.

महाराष्ट्र का पविहिर और हिवारे बाजार गांव
महाराष्ट्र के पविहिर गांव के लोगों ने साल 2014 में लगभग 182 हेक्टेयर बंजर जमीन को जंगल में तब्दील करके देश के सामने मिसाल पेश की है. इसके लिए पविहिर को जैव विविधता पुरुस्कार से भी नवाजा गया है. वहीं एक समय पर पानी के लिए तरसने वाला महाराष्ट्र के हिवारे बाजार गांव ने बागवानी और डेयरी फार्मिंग करके जल संरक्षण के सपने को भी साकार कर दिखाया है.
नागालैंड का चिजामी गांव
नागालैंड का चिजामी गांव काफी लम्बे समय से पर्यावरण सरंक्षण की कोशिशों में जुटा था. आखिरकार यहां की महिलाओं के सहयोग से चिजामी में न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण सफल हो चुका है बल्कि यहां कई सामाजिक, आर्थिक और जमीनी बदलाव देखने को मिलने लगे हैं.
गुजरात का पुंसारी गांव
अहमदाबाद से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुजरात के पुंसारी गांव ने देश में आधुनिकता की मिसाल कायम की है. पुंसारी गांव में सर्किट कैमरे से लेकर वॉटर प्यूरीफाइंड प्लांट्स, बायोगैस प्लांट, वाई-फाई और बायोमेट्रिक मशीन जैसी सुविधाएं मौजूद हैं.
तेलंगाना का रामचंद्रपुर गांव
तेलंगाना में स्थित रामचंद्रपुर गांव के लोगों ने 2004 में नेत्रहीन व्यक्तियों को आंखें दान देने का संकल्प लिया था. जिसके लिए इस गांव को निर्मल पुरुस्कार से भी नवाजा गया था. वहीं रामचन्द्रपुर गांव के हर घर में बिना धुएं वाला चूल्हा, शौचालय, पानी के टैंक और बगीचे में जल निकासी की बेहतर व्यवस्था भी मौजूद है.
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