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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| गर्भावस्था को तीन-तीन महीनों के पीरियड में बांटा गया है. तीसरी तिमाही को आखिरी तिमाही कहते हैं जो 28वें सप्ताह से शुरू होकर 40वें सप्ताह तक चल सकती है. हर तिमाही में महिला के लिए खास अनुभव और शारीरिक बदलाव होते हैं. लेकिन हम यहां बात करेंगे तीसरी तिमाही की.
दरअसल तीसरी तिमाही महिला के लिए शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह से चुनौतीपूर्ण होती है. तीसरी तिमाही के दौरान बच्चे का पूर्ण विकास हो जाता है और महिला के शरीर में बच्चे का मूवमेंट भी तेजी से बढ़ जाता है. इस दौरान महिला को बच्चे की सुरक्षा और सुरक्षित प्रसव की चिंता होने लगती है, जिसके कारण उसका मानसिक तनाव भी बढ़ता है. यहां जानिए तीसरी तिमाही में किस तरह की स्थिति पैदा होती है.
महिला के सामने आती ये समस्याएं
तीसरी तिमाही में महिला के सामने कई तरह की समस्याएं आती हैं जैसे- शिशु का मूवमेंट ज्यादा होना, सीने में जलन और ब्रेस्ट में दर्द, चेहरे, उंगलियों आदि में सूजन, सोने में परेशानी और कभी-कभी गर्भाशय का टाइट होना आदि. लेकिन अगर इसके अलावा कोई लक्षण जैसे- दर्द की तीव्रता, ब्लीडिंग, शिशु के मूवमेंट में कमी, अधिक सूजन आदि महसूस हो तो फौरन विशेषज्ञ से परामर्श करें.
शिशु का होता ये विकास
32वें सप्ताह के आसपास शिशु की हड्डियांं पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं. शिशु अपनी आंखें खोलने और बंद करने लगता है. सूरज की रोशनी महसूस करने लगता है. 36वें हफ्ते तक उसका सिर योनि की ओर आ जाता है. 37वें हफ्ते में शिशु का सारा शरीर खुद काम करने के लिए तैयार रहता है. उसकी लंबाई 19 से 21 इंच तक बढ़ जाती है और वजन 6 से 9 पाउंड के बीच हो जाता है.
तीसरी तिमाही में इन जटिलताओं की भी आशंका
तीसरी तिमाही में महिला के साथ कई जटिलताएं भी आ सकती हैं, इसलिए बहुत सावधान और शांत रहने की जरूरत होती है. तीसरी के दौरान अनिद्रा, जेस्टेशनल डायबिटीज, हाई बीपी, सांस लेने में दिक्कत, डिप्रेशन और डीप वेन थोम्बोसिस की दिक्कत भी हो सकती है. इन समस्याओं से बचने के लिए संतुलित आहार लें. विशेषज्ञों के निर्देशों का पालन करें. भरपूर पानी पीएं. नियमित रूप से चेकअप करवाती रहें. मेडिटेशन जरूर करें.