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जानिए भेड़ाघाट के प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में....

Tara Tandi
14 Jun 2022 9:08 AM GMT
जानिए भेड़ाघाट के प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में....
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अगर आप घुमक्कड़ मिजाज के हैं, तो आपको एक बार भेड़ाघाट (Bhedaghat) घूमने के लिए जरूर जाना चाहिए.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आप घुमक्कड़ मिजाज के हैं, तो आपको एक बार भेड़ाघाट (Bhedaghat) घूमने के लिए जरूर जाना चाहिए. ये जगह मध्यप्रदेश के जबलपुर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा नदी के घाट पर स्थित है. इसे जबलपुर की पहचान माना जाता है. भेड़ाघाट पर पहुंचने के बाद आपको मार्बल रॉक्स, धुआंधार फॉल्स, चौसठ योगिनी मंदिर के अलावा नौका​ विहार का आनंद भी मिल जाएगा. भेड़ा का अर्थ होता है भिड़ना यानी टकराना, यहां दो न​दियों के मिलने के कारण इस जगह का नाम भेड़ाघाट रखा गया.

इस घाट का इतिहास काफी रोचक है. कहा जाता है इस स्थान पर कभी भृगु ऋषि का आश्रम हुआ करता था. आज इस स्थान पर नर्मदा नदी और पावन गंगा की धाराओं का मिलन होता है. आइए आपको बताते हैं भेड़ाघाट के प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में.
धुआंधार फॉल्स
धुआंधार फॉल्स यहा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. ये एक सुंदर जल प्रपात है जो नर्मदा नदी से निकलता है. यहां नर्मदा नदी करीब 30 मीटर की ऊंचाई से गिरती है. ऐसे में दृश्य देखकर लगता है कि मानो वहां धुआं ही धुआं हो. इस कारण इस जगह को धुआंधार कहा जाता है. जब इन धाराओं पर सूरज की किरणें पड़ती हैं, तो नजारा मानो आपके मन को ही मोह लेता है. परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने के लिए ये एक शानदार जगह है.
मार्बल रॉक्स
नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर लगभग सौ फीट ऊंची संगमरमर की चट्टानें खड़ी हैं. जैसे ही सूरज की किरणें इन पत्थरों पर पड़ती हैं, तो नजारा इतना खूबसूरत हो जाता है कि मानों वक्त वहीं पर ठहर जाए. मार्बल रॉक्स के बीच नर्मदा नदी में आप नौकाविहार का भी आनंद ले सकते हैं.
चौंसठ योगिनी मंदिर
ये जबलपुर का ऐतिहासिक मंदिर है. इस मंदिर में मां दुर्गा के 64 परिचारकों की मूर्तियां हैं, इसलिए इसे चौंसठ योगिनी मंदिर के नाम से जाना जाता है. नर्मदा नदी के ऊपर एक पहाड़ पर स्थित इस मंदिर में देवी की मूर्तियों के बीच शिव भगवान की भी एक मूर्ति है. भेड़ाघाट आने वाले पर्यटक इस मंदिर के ​दर्शन जरूर करते हैं.
बैलेंसिंग रॉक्स
बैलेंसिंग रॉक्स में आपको पत्थर की बड़ी सी गोलाकार चट्टानें देखने को मिलती हैं. इन चट्टानों का निर्माण मानव ने नहीं किया, बल्कि ये हजारों साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट से खुद बन गईं थीं. ये अपना बैलेंस इस तरह से बनाए हुए हैं कि भूकंप या कोई आपदा आ जाए, लेकिन इन पर इसका कोई असर नहीं होता. इसलिए इन चट्टानों को बैलेंसिंग रॉक्स कहा जाता है.
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