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लंका के राजा रावण ने भगवान शंकर की तपस्या की. उनको लंका ले जाने के लिए मना लिया. लंका ले जाते समय शिवलिंग यहीं स्थापित हो गया

Neha Dani
10 July 2023 2:01 PM GMT
लंका के राजा रावण ने भगवान शंकर की तपस्या की. उनको लंका ले जाने के लिए मना लिया. लंका ले जाते समय शिवलिंग यहीं स्थापित हो गया
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धर्म अध्यात्म : सावन के शुरू होते ही शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. ऐसी ही भक्तों की भीड़ लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्णनाथ मंदिर में भी जुट रही है. इस मंदिर को छोटी काशी भी कहा जाता है. त्रेता युग में शिवलिंग को लंका ले जा रहा था रावण, गोला में हुआ स्थापित; जानें इसकी मान्यता गोला गोकर्णनाथ शिवजी का प्राचीन मन्दिर लखीमपुर: उत्तर प्रदेश के खीरी जिले में स्थित गोला गोकर्णनाथ छोटी काशी के रूप में विख्यात है. वैसे तो यहां सालभर कांवड़ियों, शिवभक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन महीने में भगवान भोले नाथ के दर्शन पूजन व जलाभिषेक के लिए पूरे देश से लोग आते हैं. छोटी काशी गोला में स्थित भोले बाबा का मन्दिर त्रेता युग का बताया जाता है. यह भी कहा जाता है कि लंका के राजा रावण ने भगवान शंकर की तपस्या की. उनको लंका ले जाने के लिए मना लिया. लंका ले जाते समय शिवलिंग यहीं स्थापित हो गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब यहां छोटी काशी कारीडोर बनवा रहे हैं. इससे यहां की मान्यता और बढ़ गई है. सावन महीने में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान शंकर का जलाभिषेक के लिए उमड़ते हैं. ऐसी मान्यता है कि भोले बाबा ने रावण के सामने शर्त यह रखी थी कि लंका ले जाते समय वह जहां भी शिवलिंग को रख देगा. वहीं, शिवलिंग स्थापित हो जाएगा. रावण शिवलिंग को कंधे पर रखकर लंका ले जा रहा था. जब वह गोला पहुंचा तो भगवान शिव को यहां का सुरम्य वातावरण काफी अच्छा लगा. ऐसे बना गोकर्ण जैसा निशान गोला पहुंचने पर भोले बाबा ने कुछ ऐसा किया कि रावण को लघुशंका लग गई.
जंगल में गायों को चरा रहे एक चरवाहे गोकर्ण को रावण ने शिवलिंग दिया और कहा कि उनके वापस आने तक वह शिवलिंग को नीचे नहीं रखेगा. रावण के जाने के बाद कुछ देर तो गोकर्ण शिवलिंग को रोके रहा लेकिन भार सहन नहीं कर सका और शिवलिंग को जमीन पर रख दिया. रावण जब लौट कर आया तो यह देखकर काफी नाराज हुआ. शिवलिंग को उठाने की काफी कोशिश की लेकिन शिवलिंग नहीं उठा सकाय आक्रोशित रावण ने शिवलिंग को ऊपर से अंगूठे से दबा दिया जिससे शिवलिंग में गोकर्ण जैसा निशान बन गया जो अभी भी बना है. रावण से बचने को कुएं में कूदा गड़रिया मान्यता है कि शिवलिंग न उठा पाने पर रावण काफी क्रोधित हुआ. गड़रिया गोकर्ण को मारने के लिए रावण ने उसे दौड़ा लिया. रावण से बचने के लिए भाग रहा गोकर्ण कुछ दूर जाकर एक कुएं में गिर गया. बताते हैं कि गोकर्ण की कुएं में मौत हो गई. यह कुआं भूतनाथ के नाम से जाना जाता है. सावन के अंतिम सोमवार को भूतनाथ का मेला लगता है. यहां भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. सावन के सोमवार को तो यहां कांवड़ियों को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
शिव ने धारण किया तीन सींग वाले मृग का रूप छोटी काशी गोला गोकर्णनाथ के बारे में एक और मान्यता है कि भगवान शंकर ने एक बार तीन सींग वाले मृग का रूप रखकर पृथ्वीलोक पर भ्रमण कर रहे थे. भगवान ब्रह्मा, विष्णु के साथ भगवान इन्द्र सहित अन्य देवता उनको खोजने के लिए धरती पर आए. खोजते समय ब्रह्मा व इन्द्र ने तीन सींग वाले मृग को देख लिया और भोले बाबा के दो सींग पकड़ लिए. बारह पुराण के मुताबिक भगवान शिव अपने सींग छोड़कर गायब हो गए. देवलोक से आए देवताओं ने भोले बाबा के तीन सींग वाले शिव लिंगों में से एक गोला गोकर्णनाथ में स्थापित किया. दूसरा सींग भागलपुर बिहार के शुंगेश्वर में स्थापित किया और तीसरा शिवलिंग भगवान इंद्र अपने साथ इन्द्रलोक लेकर गए. बताया जाता है कि रावण ने जब देवताओं के राजा इन्द्र पर विजय हासिल की तो वहां स्थापित लिंग को उठाकर अपने साथ लंका ले जा रहा था. रावण ने गोला गोकर्णनाथ क्षेत्र में गलती से शिवलिंग जमीन पर रख दिया और भोले बाबा का शिवलिंग यहीं स्थापित हो गया. बन रहा छोटी काशी कारीडोर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर छोटी काशी गोला में काशी की तर्ज पर कारीडोर बनाने का निर्देश दिया. आर्किटेक्ट कॉरीडोर बनाने के लिए लगे हैं. कई बार सर्वे हो चुका है. जल्द ही कॉरीडोर बनाने का काम शुरू हो जाएगा. कॉरीडोर बनने के बाद यहां शिवभक्तों की और भीड़ उमड़ेगी. मुख्यमंत्री यहां दर्शन पूजन व जलाभिषेक कर चुके हैं.|
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