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आयुर्वेद में पानी पीने के तरीके को लेकर बहुत विस्तार से बताया गया है
आयुर्वेद में पानी पीने के तरीके को लेकर बहुत विस्तार से बताया गया है. इसके मुताबिक डाइजेशन सही रखने के लिए भोजन के बीच में कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए. ऐसा करना मोटापे का कारण भी बनता है. आयुर्वेद के मुताबिक भोजन करने से पेट में गर्मी पैदा होती है और पानी का गुण शीतलता का है. ऐसे में भोजन के बीच में पिया गया पानी उस गर्मी को खत्म कर देता है जो बीमारियों की वजह बनता है.
एक सांस में पानी गटकना
एक बार में एक गिलास पानी पीना गलत है. पानी हमेशा घूंट-घूंट करके ही पीना चाहिए.
गर्म पानी
गर्म पानी पीना भोजन को जल्दी पचाता है. लिहाजा भोजन करने के आधा घंटे बाद घूंट-घूंट करके पानी पिएं.
खाने के बाद और पहले न पिएं पानी
खाना खाने से तुरंत पहले और बाद में कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए. हमेशा खाने के पहले और बाद में पानी पीने को लेकर कम से कम 30 मिनट का अंतराल रखें. ताकि पानी गैस्ट्रिक जूस को पतला न करे और भोजन के पाचन में रुकावट न डाले. बहुत जरूरत हो तो ही एक-दो घूंट पानी पिएं.
खड़े होकर पानी न पिएं
शरीर के सभी अंगों को पानी की जरूरत होती है ताकि यह वहां पर गंदगी या विषैले पदार्थों को अपने साथ ले जाए. लेकिन जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो यह तेजी से गुजरकर सीधे कोलन में पहुंच जाता है. इससे शरीर की अंदरूनी सफाई नहीं हो पाती और यह बीमारियों का कारण बनती है.
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