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लाइफस्टाइल : क्या आप अपनी स्किन का ख्याल रखने के लिए महंगे स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं? अगर हां, तो क्या आप उसके बाद Sunscreen का इस्तेमाल करते हैं? अगर नहीं, तो आप अपने पैसे बर्बाद कर रहे हैं। आपकी स्किन केयर का सबसे अहम स्टेप होता है- सनस्क्रीन। यह धूप की हानिकारक किरणों से आपकी स्किन को बचाता है। इसलिए रोज सनस्क्रीन लगाना और सही सनस्क्रीन लगाना बेहद जरूरी होता है।
दरअसल, सूरज की हानिकारक UV किरणें हमारी स्किन को डैमेज करने लगती है, जिसके कारण एजिंग, डार्क स्पॉट्स और स्किन कैंसर भी हो सकता है। इसलिए घर से बाहर निकलने से पहले Sunscreen लगाना बेहद जरूरी होता है। हालांकि, सनस्क्रीन का चयन करते समय कुछ जरूरी बातें, जैसे आपका सनस्क्रीन वाटर प्रूफ है कि नहीं, और इसका SPF कितना है, आदि का ख्याल रखना जरूरी है। ऐसे में अगर आप नहीं जानते कि सनस्क्रीन खरीदते समय किन बातों का ख्याल रखें, तो आपके इन सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में मिल सकते हैं। आइए जानें।
क्यों जरूरी है सनस्क्रीन लगाना?
सूरज से दो तरह की हानिकारक किरणें निकलती हैं- UVB (यूवीबी)और UVA (यूवीए)। ये हमारी स्किन हेल्थ को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं, जिसमें यूवीबी किरणें स्किन कैंसर का कारण भी बन सकती हैं और यूवीए किरणों से स्किन में झुर्रियां, पिगमेंटेशन और समय से पहले बुढ़ापा जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।
सनस्क्रीन खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
एसपीएफ का रखें ख्याल
सनस्क्रीन में एसपीएफ जितना ज्यादा होगा, वह हमारी स्किन के लिए उतना ही अधिक फायदेमंद होगा। इसलिए अधिक एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का ही चयन करें। जिस सनस्क्रीन में कम से कम एसपीएफ 30 या उससे ज्यादा हो। इससे 97% तक यूवीबी किरणों को रोकने में मदद मिलती है।
सनस्क्रीन PA+ होना चाहिए
यदि आपके सनस्क्रीन में एसपीएफ के साथ PA+++ है, तो यह आपकी स्किन को और अधिक प्रोटेक्ट करेगा। PA+++ का मतलब है, सनस्क्रीन आपको ब्लूलाइट और सनबर्न से बचाने के साथ हानिकारक यूवीए किरणों से भी बचाएगा।
एक्स्ट्रा प्रोटेक्शन के लिए ब्रॉड स्पेक्ट्रम एसपीएफ
यूवीबी और यूवीए दोनों तरह की हानिकारक किरणों से एक्स्ट्रा प्रोटेक्शन के लिए ब्रॉड स्पेक्ट्रम क्रीम का चयन करें। ये दाग धब्बों, झुर्रियों से छुटकारा दिलाने के साथ ही स्किन में जलन, रैशेज और स्किन कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं से बचाता है।
नॉन-कॉमेडोजेनिक सनस्क्रीन
नॉन कॉमेडोजेनिक का मतलब होता है कि इससे आपकी स्किन के पोर्स क्लॉग नहीं होते, जिसके कारण ब्लैक हेड्स और व्हाइट हेड्स जैसी परेशानियां नहीं होती। जिनकी स्किन ऑयली या एक्ने प्रोन स्किन है, उन्हें नॉन-कॉमेडोजेनिक सनस्क्रीन का ही चयन करना चाहिए।
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Apurva Srivastav
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