लाइफ स्टाइल

क्या सच में आज भी इस भारतीय रेलवे ट्रैक पर ब्रिटिश सरकार का है कब्जा

Manish Sahu
14 Aug 2023 3:26 PM GMT
क्या सच में आज भी इस भारतीय रेलवे ट्रैक पर ब्रिटिश सरकार का है कब्जा
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लाइफस्टाइल: भारत में ट्रेन एक ऐसा यातायात है जिसके माध्यम से एक शहर से दूसरे शहर और एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना काफी आसान होता है। ट्रेन से सफर करना सस्ता और सुरक्षित भी होता है। इसलिए भारतीय रेलवे को देश में लाइफ माना जाता है।
यह हम सभी जानते हैं कि भारत में ट्रेन की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई थी। ब्रिटिश काल में भारत की कुछ खास जगहों पर ही ट्रेन चलती है और धीरे-धीरे देश के लगभग हर हिस्से में ट्रेन चलने लगी।
आज के समय देश के लगभग हर कोने में रेल नेटवर्क मौजूद है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि आजादी के 76 साल भी भारत के एक रेलवे ट्रैक पर ब्रिटिश की हुकूमत चलती है।
इस आर्टिकल में हम आपको उस रेलवे ट्रैक के बारे में बताने जा रहे हैं कि किस रेलवे ट्रैक पर और क्यों ब्रिटिश हुकूमत की राज चलती है।
शकुंतला रेलवे लाइन
कहा जाता है कि जिस भारतीय रेलवे ट्रैक पर ब्रिटिश सरकार का है कब्जा उसका नाम 'शकुंतला रेलवे लाइन' है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शकुंतला रेल रूट देश के महाराष्ट्र राज्य के अमरावती जिले में मौजूद है।
शकुंतला रेलवे लाइन क्यों बनाया गया था?
कहा जाता है कि अमरावती में जिले में मध्य काल में कपास की खेती बहुत ही अधिक पैमाने में की जाती थी। इसी स्थान से देश भर अन्य कई शहरों में कपास भेजा जाता था। यहां से कपास को मुंबई पोर्ट तक पहुंचाने का काम किया जाता है। ऐसे में अंग्रेजों ने रेलवे ट्रैक का निर्माण करवाया था। इस ट्रैक की लंबाई 189 किलोमीटर थी। अमरावती से मुंबई पोर्ट तक जाने में ट्रेन लगभग 5-6 घंटे की समय लेती थी।
क्या सच में शकुंतला रेलवे ट्रैक पर आज भी अंग्रेजों का कब्जा है?
कहा जाता है कि आजादी के इतने सालों बाद भी इस रेलवे ट्रैक पर अंग्रेजों का कब्जा है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि अंग्रेजों के कब्जे वाली बात गलत है। आजादी के बाद इस ट्रैक को भारत ने नियंत्रण में ले लिया। कहा जाता है कि मध्य काल में इस ट्रैक पर लगभग 5 डिब्बों वाली ट्रेन चलती थी। (भारत की सबसे धीमी ट्रेन)
क्या सचे में शकुंतला ट्रेक के लिए भारत को रॉयल्टी देनी पड़ती है?
कई लोगों का मानना है कि आजादी के कई वर्षों बाद भी भारत को शकुंतला ट्रेक के लिए रॉयल्टी देनी पड़ती थी। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि ब्रिटिश से आजादी मिलने के बाद ऐसी कोई रॉयल्टी भारत को नहीं देनी पड़ती थी। एक खबर के मुताबिक इस ट्रैक के लिए भारत को ब्रिटिश सरकार को साल में 1 करोड़ से अधिक रूपया देना होता था।
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