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चाय असली है या नकली?
ज्यादातर लोगों के दिन की शुरुआत एक प्याली चाय (Tea) से होती है. मेहमानों का स्वागत भी चाय के बिना अधूरा माना जाता है. हमारे देश में चाय की जितनी वैरायटी है, उतने ही इसको पीने के अलग-अलग तरीके भी हैं. कोई खूब खौली हुई , चीनी और गाढ़े दूध वाली चाय पीना पसंद करता है, तो किसी को बिना दूध और चीनी वाली ब्लैक टी अच्छी लगती है. किसी को अदरक वाली मसालेदार चाय का शौक होता है, तो किसी को लेमन टी पीना अच्छा लगता है. हेल्थ कांशस लोग ग्रीन टी पीना पसंद करते हैं, लेकिन क्या हो अगर आपकी चाय में मिलावट हो और आप चाय की चुस्कियों की जगह जहर के घूंट पी रहे हों?
चाय में सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल
भारत में दार्जिलिंग चाय, कांगड़ा, असम और नीलगिरी की वैरायटी काफी कॉमन है. चाय की क्वालिटी उसकी पत्तियों, रंग और खुशबू से तय होती है, लेकिन कई बार मैन्युफैक्चरिंग के दौरान पत्तियां टूट जाती हैं और इनकी क्वालिटी बढ़ाने के लिए सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. ये रंग सेहत के लिए बेहद खतरनाक होते हैं और FSSAI ने इन रंगों के इस्तेमाल पर बैन लगाया हुआ है.
घटिया क्वालिटी की चाय का रंग, खुशबू और आकार इम्प्रूव करने के लिए केमिकल मिलाया जाता है. इनमें बिस्मार्क बाउन, पोटैशियम ब्लू, हल्दी, नील और काला शीशा जैसे घातक केमिकल मिलाए जाते हैं.
चाय का गहरा काला रंग
अगर चाय की पत्ती का रंग गहरा काला है, तो समझ जाइए कि इसमें काला शीशा मिलाया गया है. काला शीशा वही केमिकल है, जिससे पेंसिल की नोंक बनती है. इसके अलावा इस्तेमाल की गई चाय की पत्तियों को सुखाकर और उसमें सिंथेटिक रंग मिलाकर दोबारा पैक करके मार्केट में बेच दिया जाता है. कई बार वजन बढ़ाने के लिए लकड़ी का बुरादा भी मिलाया जाता है. इसके अलावा चाय में आयरन फिलिंग, लेदर फिलिंग और स्टार्च भी मिलाया जाता है.
चाय की मिलावट कितने बड़े पैमाने पर होती है इसे मोटे तौर पर समझना हो तो इसी से अंदाजा लगाइए कि बेहतरीन क्वालिटी की दार्जिलिंग की चाय पत्तियों का उत्पादन एक करोड़ किलो होता है लेकिन बाजार में चार करोड़ किलो दार्जिलिंग चाय बेची जाती है. यानी समझ जाईए कि तीन चौथाई चाय मिलावटी होती है.
चाय खरीदते वक्त ध्यान दें...
बाजार में चाय खरीदने वक्त चाय की पत्तियों का आकार, रंग और खुशबू पर ध्यान दें. हाथ से तोड़ी गई पत्तियां बढ़िया क्वालिटी की होती हैं क्योंकि, वो टूटी हुई नहीं होती.
चाय उबालने के बाद रंग चमकीला लाल या सुनहरा है तो चाय अच्छी क्वालिटी की है. अगर उबली चाय का रंग गहरा भूरा है तो समझ जाइए कि घटिया क्वालिटी की चाय है.
चाय की क्वालिटी
खौलने के बाद ब्लैक टी की खुशबू मधुर और जल्दी न जाने वाली होती है. चाय की एक दो चुस्कियां लगाइए. अगर इसका स्वाद संतुलित और आनंददायक है तो समझिए ये अच्छी क्वालिटी की चाय है. अगर मुंह में कड़वाहट घुल जाती है तो समझ जाइए कि चाय की क्वालिटी अच्छी नहीं है.
चाय को मूड बूस्टर भी कहते हैं. सुबह की शुरुआत हो चाहे दिन की थकान मिटानी हो, चाय का नंबर सबसे ऊपर आता है, लेकिन अब धोखाधड़ी करने वाले चाय पत्ती में भी मिलावट कर रहे हैं.
असली और नकली चाय में फर्क कैसे करें?
चाय असली है या नकली? इसका पता करना बेहद आसान है-
-एक फिल्टर पेपर लें.
-चायपत्ती को फिल्टर पेपर पर फैलाएं.
-कागज को गीला करने के लिए पानी छिड़कें.
-कुछ मिनट बाद पत्तियों को हटाएं.
-कागज को नल के नीचे धो लें.
-कागज पर लगे धब्बों को लाइट के नीचे देखें.
-मिलावट नहीं तो कागज पर धुंधलापन नहीं दिखेगा.
-मिलावटी चाय होने पर पेपर पर काले भूरे रंग के धब्बे दिखेंगे.
मिलावटी चाय पीने के नुकसान
मिलावटी चाय आपकी सेहत पर खराब असर डाल सकती है. चाय पत्ती में मिलाए जाने वाले सिंथेटिक रंग आपके वाइटल आर्गन्स जैसे लीवर, हार्ट और किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है. ये आपके डाइजेस्टिव और इम्यून सिस्टम को भी खराब कर सकता है. इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा भी रहता है.
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