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पीरियड्स के दौरान किसी भी लड़की को कुछ मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। इस दौरान लड़की हाइजीन का सबसे ज्यादा ध्यान रखती है। इसके लिए वह सैनिटरी पैड या टैम्पोन का इस्तेमाल करती हैं। लेकिन कुछ लड़कियां ऐसी भी होती हैं जो इन चीजों के बारे में ज्यादा जागरूक नहीं होती हैं और इन महंगे उत्पादों को खरीद नहीं पाती हैं। 'विश्व बैंक' ने हाल ही में एक शोध प्रकाशित किया है जिसमें यह पाया गया है कि 50 करोड़ महिलाएं या लड़कियां आज भी पीरियड्स के उत्पाद नहीं खरीद पाती हैं। इसका मुख्य कारण महंगाई है।
पीरियड्स पर हर लड़की का 500 रु
पीरियड्स के उत्पाद आमतौर पर इसलिए महंगे होते हैं क्योंकि भारत में सैनिटरी पैड ब्रांड के उत्पाद 200 से 300 रुपये में मिल जाते हैं। यानी अगर किसी महिला या लड़की को पीरियड्स और अपनी हाइजीन का ध्यान रखना है तो उसे हर महीने 500 रुपये इस पर खर्च करने होंगे.
सरकार तरह-तरह के कदम उठा रही है
कई लड़कियां ऐसी हैं जो गरीबी के इस दौर से गुजर रही हैं। ऐसे मामले भारत के ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखे जा रहे हैं। हालांकि, भारत सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए भी विशेष कदम उठाए हैं कि महिलाएं पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
पीरियड टैक्स क्या है?
टैम्पोन टैक्स या पीरियड टैक्स वैट या जीएसटी है जो पीरियड्स के दौरान लगाया जाता है। जिससे इनकी कीमतों में इजाफा हुआ है। जिससे गरीब व पिछड़ा वर्ग इसे नहीं खरीद पा रहा है। टैम्पोन टैक्स दुनिया भर में कई लड़कियों या महिलाओं के लिए मासिक धर्म के उत्पादों को खरीदना बहुत महंगा बना देता है। जिस कारण इन महिलाओं व बालिकाओं को अन्य सुविधाओं में कमी करनी पड़ रही है।साल 2018 में भारत सरकार ने टैम्पोन टैक्स को पूरी तरह खत्म करने का फैसला किया है। इसके साथ ही सभी तरह के उत्पादों और पीरियड्स पर लगने वाले सैनिटरी पैड्स पर लगने वाले 12 फीसदी टैक्स को हटा दिया गया है.
Tara Tandi
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